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राजधानी शिमला के जंगलों में लगी आग पहुंची टुटीकंडी के बालिका आश्रम तक, लोगों में मची अफरा-तफरी - Shimla Fire Break out

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 29, 2024, 4:05 PM IST

Shimla Fire Break Out in Forest: गर्मी की वजह से पिछले तीन दिनों से शिमला की वादियां आग से झुलस रही है. इस आगलगी की वजह से करोड़ों रुपये की वन संपदा के नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है. साथ ही वन्य जीवों की भी इसमें मौत हो रही है. चालकों को गाड़िया चलाने में धुएं की वजह से दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है.

Shimla Fire Break Out in Forest
शिमला को जंगलों में लगी आग (फोटो- ईटीवी भारत)

शिमला: राजधानी शिमला के जंगलों में भारी गर्मी के चलते आग अपना विक्राल रूप धारण कर रही है. बुधवार को जंगल की आग बालिका आश्रम टुटीकंडी तक पहुंच गई. जिससे लोगों के बीच अफरा-तफरी मच गई. हालांकि बीते दिन भी यहां पर आग का क्रम जारी था, लेकिन आग अभी भी बुझने का नाम नहीं ले रही है. स्थानीय लोगों सहित दमकल विभाग के कर्मी आग बुझाने में जुटे हुए हैं.

आग यही नहीं बल्कि शिमला के चारों तरफ, तारादेवी, मशोबरा, घनाटी, गोलछा सहित अन्य जगलों में लगी है. करोड़ों की वन संपदा आग की भेंट चढ़ गई है. कई जीव जंतु अपनी जान से हाथ धो बैठें हैं. गर्मियों के मौसम में आग से जंगलों को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है. चारों तरफ धुंए का गुबार उठ रहा है. पिछले तीन दिनों से आग लगी हुई है, जिस पर अभी तक काबू नहीं किया जा सका है.

धुंए की वजह से चालकों को भी गाड़ियां चलाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. अग्निश्मन विभाग के साथ वन विभाग की गाड़ियां आग बुझाने में जुटी हैं, लेकिन आग काफी फैल चुकी है. जिसकी वजह से आग बुझाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. आग बुझाने पहुंचे अग्निशमन के कर्मियों का कहना है कि तारा देवी और टुटीकंडी सहित अन्य जंगल में आग लगी हुई है, जो काफी फैल चुकी है.

आग बुझाने के लिए दो तीन फायर टेंडर लग चुके है, बावजूद इसके, आग पर अभी तक काबू नहीं पाया जा सका है. शिमला के आसपास ही काफी जगहों में आग लगी हुई है. अग्निशमन विभाग को लगातार आग लगने की सूचनाएं मिल रही हैं, जिसे बुझाने की कोशिश की जा रही है. गर्मियों के मौसम में हिमाचल प्रदेश में करोड़ों की वन संपदा आग की भेंट चढ़ जाती है. कई जीव जंतु अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं. पहाड़ में कई क्षेत्र ऐसे है जहां तक गाड़ियां नहीं पहुंच पाती है. ऐसे में गर्मियों के मौसम में आग से जंगलों को खासा नुकसान है.

धुंए की वजह से चालकों को भी गाड़ियां चलाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. अग्निश्मन विभाग के साथ वन विभाग की गाड़ियां आग बुझाने में जुटी हैं, लेकिन आग काफी फैल चुकी है. इस वजह से आग बुझाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. आग बुझाने पहुंचे अग्निशमन के कर्मी का कहना है कि तारा देवी और टुटीकंडी सहित अन्य जंगल में आग लगी हुई है, जो काफी फैल चुकी है. आग को बुझाने के लिए दो तीन फायर टेंडर लग चुके है, बावजूद इसके आग पर अभी तक काबू नहीं पाया जा सका है. शिमला के आसपास ही काफी जगहों में आग लगी हुई है. अग्निशमन विभाग को लगातार आग लगने की सूचनाएं मिल रही हैं. जिसे बुझाने की कोशिश की जा रही है. गर्मियों के मौसम में हिमाचल प्रदेश में करोड़ों की वन संपदा आग की भेंट चढ़ जाती है. कई जीव जंतु अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं. पहाड़ में कई क्षेत्र ऐसे है, जहां तक गाड़ियां नहीं पहुंच पाती है. ऐसे में गर्मियों के मौसम में आग से जंगलों को खासा नुकसान उठाना पड़ता है.

हिमाचल में पिछले कुछ वर्षों में हुए आगलगी की घटनाओं का रिकॉर्ड

  • वर्ष 2015-16 में 672 घटनाओं में 5,750 हैक्टेयर वन भूमि को क्षति पहुंची थी
  • वर्ष 2016-17 में 1,832 आग की घटनाएं दर्ज की गई थी.
  • वर्ष 2017-18 में 1,164 और
  • वर्ष 2019-20 में 1,445 और
  • वर्ष 2020-21 में 1,027 घटनाएं दर्ज की गई थी. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि 2050 तक ऐसी घटनाएं खतरनाक स्तर तक पहुंच जाएंगी.
  • वर्ष 2022 में 1223 आगलगी की घटनाएं सामने आई हैं.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में आग का तांडव, कुल्लू के जंगलों में भड़की आग, वन निगम के डिपो में रखे 2400 स्लीपर जलकर राख

शिमला: राजधानी शिमला के जंगलों में भारी गर्मी के चलते आग अपना विक्राल रूप धारण कर रही है. बुधवार को जंगल की आग बालिका आश्रम टुटीकंडी तक पहुंच गई. जिससे लोगों के बीच अफरा-तफरी मच गई. हालांकि बीते दिन भी यहां पर आग का क्रम जारी था, लेकिन आग अभी भी बुझने का नाम नहीं ले रही है. स्थानीय लोगों सहित दमकल विभाग के कर्मी आग बुझाने में जुटे हुए हैं.

आग यही नहीं बल्कि शिमला के चारों तरफ, तारादेवी, मशोबरा, घनाटी, गोलछा सहित अन्य जगलों में लगी है. करोड़ों की वन संपदा आग की भेंट चढ़ गई है. कई जीव जंतु अपनी जान से हाथ धो बैठें हैं. गर्मियों के मौसम में आग से जंगलों को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है. चारों तरफ धुंए का गुबार उठ रहा है. पिछले तीन दिनों से आग लगी हुई है, जिस पर अभी तक काबू नहीं किया जा सका है.

धुंए की वजह से चालकों को भी गाड़ियां चलाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. अग्निश्मन विभाग के साथ वन विभाग की गाड़ियां आग बुझाने में जुटी हैं, लेकिन आग काफी फैल चुकी है. जिसकी वजह से आग बुझाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. आग बुझाने पहुंचे अग्निशमन के कर्मियों का कहना है कि तारा देवी और टुटीकंडी सहित अन्य जंगल में आग लगी हुई है, जो काफी फैल चुकी है.

आग बुझाने के लिए दो तीन फायर टेंडर लग चुके है, बावजूद इसके, आग पर अभी तक काबू नहीं पाया जा सका है. शिमला के आसपास ही काफी जगहों में आग लगी हुई है. अग्निशमन विभाग को लगातार आग लगने की सूचनाएं मिल रही हैं, जिसे बुझाने की कोशिश की जा रही है. गर्मियों के मौसम में हिमाचल प्रदेश में करोड़ों की वन संपदा आग की भेंट चढ़ जाती है. कई जीव जंतु अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं. पहाड़ में कई क्षेत्र ऐसे है जहां तक गाड़ियां नहीं पहुंच पाती है. ऐसे में गर्मियों के मौसम में आग से जंगलों को खासा नुकसान है.

धुंए की वजह से चालकों को भी गाड़ियां चलाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. अग्निश्मन विभाग के साथ वन विभाग की गाड़ियां आग बुझाने में जुटी हैं, लेकिन आग काफी फैल चुकी है. इस वजह से आग बुझाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. आग बुझाने पहुंचे अग्निशमन के कर्मी का कहना है कि तारा देवी और टुटीकंडी सहित अन्य जंगल में आग लगी हुई है, जो काफी फैल चुकी है. आग को बुझाने के लिए दो तीन फायर टेंडर लग चुके है, बावजूद इसके आग पर अभी तक काबू नहीं पाया जा सका है. शिमला के आसपास ही काफी जगहों में आग लगी हुई है. अग्निशमन विभाग को लगातार आग लगने की सूचनाएं मिल रही हैं. जिसे बुझाने की कोशिश की जा रही है. गर्मियों के मौसम में हिमाचल प्रदेश में करोड़ों की वन संपदा आग की भेंट चढ़ जाती है. कई जीव जंतु अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं. पहाड़ में कई क्षेत्र ऐसे है, जहां तक गाड़ियां नहीं पहुंच पाती है. ऐसे में गर्मियों के मौसम में आग से जंगलों को खासा नुकसान उठाना पड़ता है.

हिमाचल में पिछले कुछ वर्षों में हुए आगलगी की घटनाओं का रिकॉर्ड

  • वर्ष 2015-16 में 672 घटनाओं में 5,750 हैक्टेयर वन भूमि को क्षति पहुंची थी
  • वर्ष 2016-17 में 1,832 आग की घटनाएं दर्ज की गई थी.
  • वर्ष 2017-18 में 1,164 और
  • वर्ष 2019-20 में 1,445 और
  • वर्ष 2020-21 में 1,027 घटनाएं दर्ज की गई थी. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि 2050 तक ऐसी घटनाएं खतरनाक स्तर तक पहुंच जाएंगी.
  • वर्ष 2022 में 1223 आगलगी की घटनाएं सामने आई हैं.

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