शिमला: हिमाचल में रसोई घर में अब विदेशी दालों का स्वाद चखने से लोगों को नई और अनोखी फ्लेवर्स का अनुभव होगा. दालों की कमी को पूरा करने और बाजार में कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए इस बार सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत 5200 से अधिक डिपुओं के माध्यम से उपभोक्ताओं को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण विदेशी दालें उपलब्ध कराई जाएंगी. हिमाचल प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के होल सेल गोदाम में ये दालें पहुंचनी शुरू हो गई है. ऐसे में अब डिपुओं के माध्यम से लाखों उपभोक्ता इस महीने विदेशी दालों का स्वाद अनुभव कर सकेंगे.
पांच और दो रुपये सस्ती मिलेगी आयात की गई दालें: प्रदेश में उपभोक्ताओं को महंगाई से राहत दिलाने और बाजार की कीमतों में स्थिरता बनी रहे, इसके लिए डिपुओं में दी जाने वाली दाल मलका और उड़द को विदेशों से आयात किया गया है. प्रदेश भर में 5200 से अधिक उचित मूल्यों की दुकानें है. जिसमें लाखों उपभोक्ताओं को अब म्यांमार, मोजांबिक और तंजानिया की उड़द और कनाडा और ऑस्ट्रेलिया से आयात की गई दाल मलका उपलब्ध कराई जाएगी. विदेशों से आयात की गई दालें उपभोक्ताओं को जुलाई महीने के तुलना में सस्ती मिलेगी. इस महीने डिपुओं में उड़द 5 रुपये और मलका की दाल 1 रुपये प्रति किलो सस्ती मिलेगी. ऐसे ने उपभोक्ताओं को कुछ राहत मिल सकती है.
हर महीने 5500 मीट्रिक टन दालों की खपत: प्रदेश सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत डिपुओं के माध्यम से बाजार से सस्ते रेट पर दालें उपलब्ध करा रही है. जिस कारण उचित मूल्यों की दुकानों में लगातार दालों की मांग बढ़ती जा रही है. प्रदेश में हर महीने राशन कार्ड धारक डिपुओं से दाल का कोटा उठा रहे हैं. इस तरह से उचित मूल्य की दुकानों के दालों की लिफ्टिंग सौ फीसदी है. प्रदेश में राशन कार्ड धारकों की संख्या 19 लाख से अधिक है. ऐसे में डिपुओं में हर महीने डिपुओं में दालों की खपत करीब 5500 मीट्रिक टन तक पहुंच गई है.
प्रदेश में 19 लाख से अधिक कार्ड धारक: हिमाचल में वर्तमान में 19,65,589 राशन कार्ड धारक है. जो उचित मूल्य की दुकानों से सस्ते राशन की सुविधा का लाभ उठा रहे हैं. इन राशन कार्ड धारकों की कुल आबादी 73,20,338 है. इसमें नॉन एनएफएसए आबादी 43,27,171 हैं. वहीं, एनएफएसए के अंतर्गत 29,93,167 आबादी कवर होती है.
इसलिए पड़ी जरूरत: भारत दुनिया का सबसे बड़ा दालों का उत्पादक है, जो विभिन्न प्रकार की दालें जैसे चना, मसूर, मूंग, अरहर आदि का उत्पादन करता है. लेकिन मौसमी समस्याएं जैसे सूखा, बाढ़, और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसलें खराब हो जाती हैं. जिससे बाजार में दालों की कमी हो जाती है. देश सहित प्रदेश की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है. इसके साथ दालों की मांग भी बढ़ रही है. ऐसे में डिमांड और सप्लाई के अंतर में संतुलन बनाने के लिए आयात के माध्यम से दालों की आपूर्ति को बढ़ाकर घरेलू बाजार में कीमतों को स्थिर रखने का प्रयास किया जाता है. बढ़ती जनसंख्या की मांग को पूरा करने के लिए विदेशी दालों का आयात खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायक होती है.
हिमाचल प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंध निदेशक राजेश्वर गोयल ने कहा, "मलका और उड़द की दालें विदेशों से आयात की गई हैं, जो डिपुओं में इस बार सस्ती मिलेगी".
ये भी पढ़ें: हिमाचल में लाखों परिवारों की रसोई में महंगाई का तड़का, डिपुओं में मिलने वाला सरसों का तेल हुआ महंगा, दालें सस्ती