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आचार संहिता के बाद थमा विकास का पहिया, PWD ने चुनाव आयोग से मांगी 296 कामों की मंजूरी - PWD on Himachal Roads

PWD on Himachal Roads: हिमाचल प्रदेश में पीडब्ल्यूडी ने चुनाव आयोग से करीब 296 कामों को कराने की मंजूरी मांगी है. विभाग ने सीएस की अध्यक्षता में गठित कमेटी के माध्यम से चुनाव आयोग को प्रस्ताव भेज दिया है. पीडब्ल्यूडी ने पीएमजीएसवाय के फेज थ्री के तहत 51 और एनुअल मेंटेनेंस प्लान में टारिंग, पैचवर्क, भवन निर्माण आदि के करीब 245 कार्य की अनुमति मांगी है.

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Apr 23, 2024, 8:50 AM IST

शिमला: हिमाचल में लोगों को खराब सड़कों की वजह से परेशानियों का सामना न करना पड़े और बरसात से पहले सड़कें चकाचक हो सके, इसके लिए पीडब्ल्यूडी ने चुनाव आयोग से करीब 296 कार्यों को कराने के लिए अनुमति मांगी है. विभाग ने सीएस की अध्यक्षता में गठित कमेटी के जरिए चुनाव आयोग को प्रस्ताव भेज दिया है. पीडब्ल्यूडी ने पीएमजीएसवाय के फेस थ्री के तहत 51 और एनुअल मेंटेनेंस प्लान में टारिंग, पैचवर्क, भवन निर्माण आदि के करीब 245 कार्य की अनुमति मांगी है, ताकि सड़कों की मरम्मत के लिए चुनाव खत्म होने तक का लंबा इंतजार न करना पड़े और बरसात से पहले सड़कों के मरम्मत कार्यों को पूरा किया जा सके.

आचार संहिता की वजह से रुके काम

हिमाचल में 1 जून को 4 लोकसभा सीटों सहित विधानसभा की 6 सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान होना है. ऐसे में प्रदेश में चुनाव के कारण आचार संहिता लगी है. जिस कारण बहुत से विकास कार्य रुक गए हैं. प्रदेश में गर्मियों के मौसम में सड़कों की टारिंग सहित अन्य कार्यों होते हैं. ऐसे में पीडब्ल्यूडी ने मौसम को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग को सड़कों की मरम्मत सहित अन्य कार्यों की मंजूरी के लिए प्रस्ताव भेजा है. इसमें नए और पुराने दोनों ही तरह के कार्य शामिल हैं. बता दें कि पीडब्ल्यूडी ने पीएमजीएसवाय के तीसरे फेज में करीब 51 कार्यों को अवार्ड करने की भी अनुमति मांगी है. जिस पर करीब 650 करोड़ खर्च किए जाने हैं.

गर्मियों के मौसम में ही होती है टारिंग

हिमाचल प्रदेश में सर्दियों के मौसम में अधिक ठंड पड़ती है. ऐसे में इस दौरान सड़कों की टारिंग का काम संभव नहीं है. मानसून सीजन में भी बारिश के मौसम में 3 महीने टारिंग का काम नहीं हो पाता है. ऐसे में विभाग के पास केवल गर्मियों के मौसम में 20 से 25 जून तक ही सड़कों की टारिंग का सही समय है. इसको देखते हुए विभाग ने चुनाव आयोग से कार्य की अनुमति मांगी है. वहीं, विभाग ने गर्मियों के मौसम में प्रदेश भर में सड़कों की टारिंग के लिए पहले ही लक्ष्य निर्धारित किया है. जो चुनाव आयोग की मंजूरी के बाद पूरा होना संभव है.

ये भी पढे़ं: अवैध खनन बंद किया तो बागी खिलाफ हो गए, जल्द होगा 100 करोड़ के घोटाले का खुलासा: CM सुक्खू

शिमला: हिमाचल में लोगों को खराब सड़कों की वजह से परेशानियों का सामना न करना पड़े और बरसात से पहले सड़कें चकाचक हो सके, इसके लिए पीडब्ल्यूडी ने चुनाव आयोग से करीब 296 कार्यों को कराने के लिए अनुमति मांगी है. विभाग ने सीएस की अध्यक्षता में गठित कमेटी के जरिए चुनाव आयोग को प्रस्ताव भेज दिया है. पीडब्ल्यूडी ने पीएमजीएसवाय के फेस थ्री के तहत 51 और एनुअल मेंटेनेंस प्लान में टारिंग, पैचवर्क, भवन निर्माण आदि के करीब 245 कार्य की अनुमति मांगी है, ताकि सड़कों की मरम्मत के लिए चुनाव खत्म होने तक का लंबा इंतजार न करना पड़े और बरसात से पहले सड़कों के मरम्मत कार्यों को पूरा किया जा सके.

आचार संहिता की वजह से रुके काम

हिमाचल में 1 जून को 4 लोकसभा सीटों सहित विधानसभा की 6 सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान होना है. ऐसे में प्रदेश में चुनाव के कारण आचार संहिता लगी है. जिस कारण बहुत से विकास कार्य रुक गए हैं. प्रदेश में गर्मियों के मौसम में सड़कों की टारिंग सहित अन्य कार्यों होते हैं. ऐसे में पीडब्ल्यूडी ने मौसम को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग को सड़कों की मरम्मत सहित अन्य कार्यों की मंजूरी के लिए प्रस्ताव भेजा है. इसमें नए और पुराने दोनों ही तरह के कार्य शामिल हैं. बता दें कि पीडब्ल्यूडी ने पीएमजीएसवाय के तीसरे फेज में करीब 51 कार्यों को अवार्ड करने की भी अनुमति मांगी है. जिस पर करीब 650 करोड़ खर्च किए जाने हैं.

गर्मियों के मौसम में ही होती है टारिंग

हिमाचल प्रदेश में सर्दियों के मौसम में अधिक ठंड पड़ती है. ऐसे में इस दौरान सड़कों की टारिंग का काम संभव नहीं है. मानसून सीजन में भी बारिश के मौसम में 3 महीने टारिंग का काम नहीं हो पाता है. ऐसे में विभाग के पास केवल गर्मियों के मौसम में 20 से 25 जून तक ही सड़कों की टारिंग का सही समय है. इसको देखते हुए विभाग ने चुनाव आयोग से कार्य की अनुमति मांगी है. वहीं, विभाग ने गर्मियों के मौसम में प्रदेश भर में सड़कों की टारिंग के लिए पहले ही लक्ष्य निर्धारित किया है. जो चुनाव आयोग की मंजूरी के बाद पूरा होना संभव है.

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