शिमला: शनिवार को देशभर में 7वें और अंतिम चरण की वोटिंग हुई. हिमाचल में भी शनिवार को 4 लोकसभा और 6 विधानसभा सीटों पर मतदान हुआ. शाम को करीब 6 बजे कुछ मतदाता कतार में वोट डालने के लिए खड़े ही थे कि नतीजों से पहले एग्जिट पोल के आंकड़ों ने दिल्ली से शिमला तक सियासी माहौल गर्मा दिया. हिमाचल भले 4 सीटों वाला छोटा पहाड़ी राज्य हो लेकिन इस बार यहां सियासी रण में बड़े-बड़े चेहरों के साथ-साथ जीत के दावे करने वाले की साख दांव पर है. एग्जिट पोल ने जो आंकड़े दिए हैं वो बता रहा है कि इस बार नतीजे 2014 और 2019 के मुकाबले अलग हो सकते हैं.
हिमाचल में एग्जिट पोल के आंकड़े ?
4 जून को नतीजों से पहले शनिवार को आए एग्जिट पोल के आंकड़ों में एक बार भी केंद्र में एनडीए की सरकार बनती दिख रही है. बीजेपी ने केंद्र में हैट्रिक का दावा भी किया है. वैसे बीजेपी का दावा हिमाचल में भी 4-0 की हैट्रिक का है लेकिन एग्जिट पोल के आंकड़े कुछ और ही कहते हैं. कुछ एग्जिट पोल में बीजेपी के फिर से क्लीन स्वीप यानी 4-0 का दावा किया गया है तो कुछ ने कांग्रेस के हाथ भी मजबूत किए हैं.
- जन की बात - बीजेपी- 04, कांग्रेस- 0
- इंडिया टीवी सीएनएक्स- बीजेपी 3-4, कांग्रेस 0-1
- न्यूज 24-टुडेज चाणक्य- बीजेपी- 04, कांग्रेस- 0
- टाइम्स नाउ-ईटीजी- बीजेपी- 03, कांग्रेस- 01
- रिपब्लिक पी मार्क- बीजेपी- 04, कांग्रेस- 0
- इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया- बीजेपी- 04, कांग्रेस- 0
- इंडिया न्यूज-डी डायनामिक्स- बीजेपी- 04, कांग्रेस- 0
- दैनिक भास्कर- बीजेपी- 2-3, कांग्रेस 1-2
- रिपब्लिक भारत-मेरटाइज- बीजेपी- 03, कांग्रेस- 01
बीजेपी को जोर का झटका धीरे से लगेगा ?
हिमाचल की सियासत और मुद्दों पर बेबाक राय रखने वाले लेखक और वरिष्ठ पत्रकार पंडित कृष्ण भानू के मुताबिक हिमाचल में इस बार 2014 और 2019 जैसी लहर नहीं है. इस बार कांग्रेस को फायदा मिलेगा और नतीजे 2-2 हो सकते है. कृष्ण भानू की मानें तो इस बार कांग्रेस के लिए कुछ खोने को नहीं है. शिमला और मंडी सीट पर बीजेपी के समीकरण बिगड़ सकते हैं, जिसका फायदा कांग्रेस को हो सकता है. कृष्ण भानू सोशल मीडिया पर अपनी बेबाक राय रखते रहे हैं और हिमाचल चुनाव को लेकर भी उन्होंन अपनी राय अपने सोशल मीडिया पेज पर साझा की थी. हालांकि ये राय एग्जिट पोल से दो दिन पहले की है. हालांकि कुछ एग्जिट पोल और एक्सपर्ट का इशारा इसी ओर है कि हिमाचल में इस बार बीजेपी को जोर का झटका धीरे से लग सकता है.
वरिष्ठ पत्रकार ओपी वर्मा भी मानते हैं कि 2014 और 2019 में जैसी मोदी नाम की लहर धरातल पर दिखती थी वो इस बार नहीं दिखी. जिसका असर चुनावी नतीजों पर जरूर दिखेगा. हार जीत का फैसला तो 4 जून को हो जाएगा लेकिन जैसी बंपर जीत 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान हिमाचल में बीजेपी उम्मीदवार जैसी बंपर मार्जिन से जीते वैसा इस बार नहीं होने वाला. कांग्रेस उम्मीदवारों ने कड़ी टक्कर दी है. मंडी सीट पर कंगना को टिकट देकर बीजेपी ने सुर्खियां तो बटोरीं लेकिन कार्यकर्ता और स्थानीय नेताओं की नाराजगी झेलनी पड़ी. पार्टी नाराज नेताओं और कार्यकर्ताओं को कितना मना पाई, इसका असर भी नतीजों पर दिखेगा. कंगना की बयानबाजी भी सुर्खियां बनीं और विक्रमादित्य सिंह के बयान भी चर्चा में रहे लेकिन इस बयानबाजी को वोटर ने कैसे लिया है ये बड़ा सवाल है. कंगना के नाम को भुनाने की कोशिश बीजेपी ने की है लेकिन दांव पर साख जयराम ठाकुर की होगी. एक युवा कैबिनेट मंत्री के रूप में अपनी और परिवार की साख विक्रमादित्य सिंह के साथ है. कांग्रेस ने चुनाव प्रचार के दौरान लोकल और बाहरी का मुद्दा भी उठाया था. कुल मिलाकर इस बार हिमाचल में चुनाव बहुत दिलचस्प है, खासकर मंडी सीट पर ऊंट किस करवट बैठेगा इसपर नतीजों से पहले कोई शर्त नहीं लगा सकता. लेकिन ओपी वर्मा का दावा है कि जीत किसी की भी हो लेकिन मार्जिन बड़ा नहीं होने वाला.
क्या मंडी में होने वाला है खेला ?
अब सवाल है कि क्या मंडी लोकसभा सीट पर खेला होने वाला है ? दरअसल बीजेपी उम्मीदवार कंगना रनौत की वजह से मंडी सीट देशभर में चर्चा का विषय है और हर किसी की दिलचस्पी मंडी के नतीजे में बढ़ गई है. जानकार भी मानते हैं कि हिमाचल प्रदेश की चारों लोकसभा सीटों में से सबसे दिलचस्प टक्कर मंडी सीट पर ही होनी है.
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार रामस्वरूप शर्मा चार लाख से ज्यादा मतों के अंतर से जीते थे. लोकसभा चुनाव से पहले माना जा रहा था कि इस लीड को तोड़ना ही कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती होगा क्योंकि 2022 में मंडी लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भले कांग्रेस ने जीत हासिल की थी लेकिन प्रतिभा सिंह ये चुनाव करीब 6 हजार के मार्जिन से जीत पाई थी. लेकिन सियासी पंडितों के मुताबिक इस बार मंडी सीट पर कांटे की टक्कर है और कांग्रेस उम्मीदवार विक्रमादित्य सिंह ने कंगना को कड़ी टक्कर दी है.
इस सीट पर नतीजा कुछ भी हो सकता है लेकिन जीत का अंतर पिछली बार जैसे विशालकाय ना होने की गारंटी दी जा रही है. सवाल है कि क्या मंडी सीट की इसी कड़ी टक्कर के कारण कुछ एग्जिट पोल एक सीट कांग्रेस को दे रहे हैं. इसके जवाब के लिए 4 जून का इंतजार करना होगा लेकिन उससे पहले एग्जिट पोल ने सियासी दलों से लेकर प्रत्याशियों और जनता की दिल की धड़कनें बढ़ा दी हैं.
बीजेपी का 4-0 की हैट्रिक के दावा और एग्जिट पोल
हिमाचल प्रदेश में 2014 और 2019 में चारों सीटें बीजेपी ने जीतीं थी और इस बार भी बीजेपी ने चारों सीटों पर जीत का दावा किया है. लेकिन कुछ एग्जिट पोल के मुताबिक हिमाचल में बीजेपी को एक सीट का नुकसान हो सकता है. एक एग्जिट पोल में तो कांग्रेस को दो सीटें मिलने का अनुमान भी जताया गया है. ऐसे में नतीजों से पहले बीजेपी को जोर का झटका दे दिया है. हालांकि एग्जिट पोल के आंकड़ें सामने आने के बाद पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि इस बार भी चारों सीटों पर कमल खिलेगा.
मंडी से कई चेहरों की साख दांव पर
मंडी लोकसभा सीट का समीकरण बहुत दिलचस्प है. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है लेकिन मंडी लोकसभा के तहत आने वाली ज्यादातर सीटों पर भाजपा के विधायक हैं. अकेले मंडी जिले में 10 में से 9 सीटें बीजेपी के पास हैं. कांग्रेस विक्रमादित्य सिंह जिस रामपुर रिसासत के राजा हैं वो सीट भी इसी मंडी लोकसभा सीट के तहत आती है. कंगना का पैतृक घर मंडी के सरकाघाट में है और वो अपने परिवार के साथ मनाली में रहती हैं. जो मंडी लोकसभा सीट का ही हिस्सा है.
कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ-साथ मंडी की मौजूदा सांसद, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और विक्रमादित्य सिंह की माता प्रतिभा सिंह की साख भी मंडी सीट से दांव पर होगी. वहीं विक्रमादित्य सिंह ने चुनाव प्रचार के दौरान अपने पिता वीरभद्र सिंह के नाम का भी कई बार जिक्र किया है. जो 6 बार हिमाचल के मुख्यमंत्री और 3 बार मंडी से सांसद रहे थे. उधर मंडी पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का इलाका माना जाता है. विधानसभा चुनाव में 2017 के बाद 2022 में भी बीजेपी का परचम मंडी जिले में लहराया. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का भी हिमाचल से ही हैं. ऐसे में दोनों प्रत्याशियों के साथ-साथ दोनों दलों के कई चेहरों की साख भी यहां से दांव पर है.
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