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हिमाचल प्रदेश में CPS को कितना वेतन और भत्ता मिलता है ? - CPS Salary and Allowances - CPS SALARY AND ALLOWANCES

CPS SALARY ALLOWANCES IN HIMACHAL- अपने चेहतों और नाराज नेताओं को कैबिनेट मंत्री वाला फील देने के लिए राज्य सरकारें सीपीएस की नियुक्ति करती हैं. हिमाचल सरकार में इस समय छह सीपीएस की नियुक्तियां की गई हैं. सरकार इन नियुक्तियों पर घिरी हुई है. डीए और एरियर के मुद्दे को लेकर चल रहे प्रदर्शन के दौरान इन नियुक्तियों पर हो फिजूलखर्ची की भी खूब चर्चा हो रही है. आईए जानते हैं सीपीएस का वेतन कितना होता है और उन्हें क्या-क्या सुविधाएं मिलती हैं.

CPS SALARY ALLOWANCES IN HIMACHAL
हिमाचल में सीपीएस का वेतन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Aug 25, 2024, 2:33 PM IST

Updated : Aug 26, 2024, 11:56 AM IST

शिमला: हिमाचल में इन दिनों कर्मचारी डीए और एरियर की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ हल्ला बोल रहे हैं. कर्मचारियों से लेकर विपक्ष तक सरकार पर फिजूलखर्ची का आरोप लगा रहे हैं. सरकार पर सीपीएस की नियुक्ति के साथ-साथ मंत्रियों को मिलने वाली सुविधाओं को लेकर सवाल उठते रहे हैं. सीपीएस की नियुक्ति का मामला तो हाइकोर्ट में भी चल रहा है.

सीपीएस का वेतन और भत्ते

हिमाचल प्रदेश में सीपीएस का मूल वेतन 65 हजार रुपए है. भत्ते मिलाकर ये वेतन 2.20 लाख रुपए प्रति महीना पहुंच जाता है. इसके अलावा सीपीएस को गाड़ी, स्टाफ अलग से मुहैया करवाया जाता है. विधायकों और सीपीएस के वेतन में दस हजार रुपए का अंतर है. विधायकों का वेतन और भत्ते प्रतिमाह 2.10 लाख रुपये है. कुल मिलाकर सीपीएस को मिलने वाले सुविधाओं पर ही सवाल उठते रहे हैं. क्योंकि एक तरफ सरकार आर्थिक संकट का तर्क दे रही है और अपने एरियर और डीए को लेकर सड़क पर उतरे कर्मचारी मंत्रियों पर फिजूलखर्ची और सीपीएस की नियुक्ति पर सवाल उठा रहे हैं. इस समय हिमाचल में अर्की विधानसभा क्षेत्र से संजय अवस्थी, कुल्लू से सुंदर सिंह, दून से राम कुमार, रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, पालमपुर से आशीष बुटेल और बैजनाथ से किशोरी लाल को सुक्खू सरकार में सीपीएस बनाया गया है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल के सीएम, मंत्री, विधायक और स्पीकर की कितनी सैलरी है ?

15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकते मंत्री

सवाल ये है कि सीपीएस को लेकर इतना बवाल क्यो हो रहा है. दरअसल संविधान के 91वें संशोधन के मुताबिक संसद, विधानसभा में मंत्रियों और सदस्यों की संख्या 15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती. इसमें यह भी प्रावधान था कि किसी राज्य में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की संख्या 12 से कम नहीं होगी. क्योंकि एक निश्चित संख्या से अधिक मंत्री नहीं बनाए जा सकते इसलिये सरकारें सीपीएस की नियुक्तियां नाराज नेताओं को एडजस्ट करने के लिए की जाती हैं. इन्हें मंत्रियों के विभाग साथ अटैच किया जाता है, लेकिन ये फाइलों पर किसी भी प्रकार की नोटिंग नहीं कर सकते हैं. इन्हें झंडी वाली कार, स्टाफ के साथ-साथ कार्यालय भी मिलता है. इससे कैबिनेट मंत्री वाली फील आती है.

वीरभद्र-धूमल सरकार ने बनाए थे सीपीएस

वैसे सीपीएस की नियुक्ति पर सियासी संग्राम देश के तमाम राज्यों में होता आया है और ये मसले राज्यों के हाइकोर्ट से लेकर देश की सबसे बड़ी अदालत तक में पहुंचे हैं. हिमाचल में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2013 में दस सीपीएस नियुक्त किए थे. सत्ता में आते ही तत्कालीन सीएम वीरभद्र सिंह ने जनवरी, मई व अक्टूबर 2013 में सीपीएस बनाए. प्रेम कुमार धूमल वर्ष 2007 में दूसरी बार सत्ता में आए तो उनके नेतृत्व वाली सरकार ने 18 महीने के कार्यकाल के बाद 2009 में तीन सीपीएस की नियुक्ति की थी. इनमें सतपाल सिंह सत्ती, वीरेंद्र कंवर व सुखराम चौधरी शामिल थे. हिमाचल में वर्ष 2007 में सीपीएस की नियुक्ति के लिए हिमाचल प्रदेश संसदीय सचिव नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्ति, सुविधा व एमेनेटिज एक्ट बना था. इसके तहत ही नियुक्तियां होती आई हैं.

ये भी पढ़ें: फिर छिड़ी बात माननीयों के वेतन की, हिमाचल में सीएम व मंत्रियों को हर महीने मिलते हैं लाखों, इंटरनेट के युग में 20 हजार टेलीफोन भत्ता

शिमला: हिमाचल में इन दिनों कर्मचारी डीए और एरियर की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ हल्ला बोल रहे हैं. कर्मचारियों से लेकर विपक्ष तक सरकार पर फिजूलखर्ची का आरोप लगा रहे हैं. सरकार पर सीपीएस की नियुक्ति के साथ-साथ मंत्रियों को मिलने वाली सुविधाओं को लेकर सवाल उठते रहे हैं. सीपीएस की नियुक्ति का मामला तो हाइकोर्ट में भी चल रहा है.

सीपीएस का वेतन और भत्ते

हिमाचल प्रदेश में सीपीएस का मूल वेतन 65 हजार रुपए है. भत्ते मिलाकर ये वेतन 2.20 लाख रुपए प्रति महीना पहुंच जाता है. इसके अलावा सीपीएस को गाड़ी, स्टाफ अलग से मुहैया करवाया जाता है. विधायकों और सीपीएस के वेतन में दस हजार रुपए का अंतर है. विधायकों का वेतन और भत्ते प्रतिमाह 2.10 लाख रुपये है. कुल मिलाकर सीपीएस को मिलने वाले सुविधाओं पर ही सवाल उठते रहे हैं. क्योंकि एक तरफ सरकार आर्थिक संकट का तर्क दे रही है और अपने एरियर और डीए को लेकर सड़क पर उतरे कर्मचारी मंत्रियों पर फिजूलखर्ची और सीपीएस की नियुक्ति पर सवाल उठा रहे हैं. इस समय हिमाचल में अर्की विधानसभा क्षेत्र से संजय अवस्थी, कुल्लू से सुंदर सिंह, दून से राम कुमार, रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, पालमपुर से आशीष बुटेल और बैजनाथ से किशोरी लाल को सुक्खू सरकार में सीपीएस बनाया गया है.

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15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकते मंत्री

सवाल ये है कि सीपीएस को लेकर इतना बवाल क्यो हो रहा है. दरअसल संविधान के 91वें संशोधन के मुताबिक संसद, विधानसभा में मंत्रियों और सदस्यों की संख्या 15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती. इसमें यह भी प्रावधान था कि किसी राज्य में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की संख्या 12 से कम नहीं होगी. क्योंकि एक निश्चित संख्या से अधिक मंत्री नहीं बनाए जा सकते इसलिये सरकारें सीपीएस की नियुक्तियां नाराज नेताओं को एडजस्ट करने के लिए की जाती हैं. इन्हें मंत्रियों के विभाग साथ अटैच किया जाता है, लेकिन ये फाइलों पर किसी भी प्रकार की नोटिंग नहीं कर सकते हैं. इन्हें झंडी वाली कार, स्टाफ के साथ-साथ कार्यालय भी मिलता है. इससे कैबिनेट मंत्री वाली फील आती है.

वीरभद्र-धूमल सरकार ने बनाए थे सीपीएस

वैसे सीपीएस की नियुक्ति पर सियासी संग्राम देश के तमाम राज्यों में होता आया है और ये मसले राज्यों के हाइकोर्ट से लेकर देश की सबसे बड़ी अदालत तक में पहुंचे हैं. हिमाचल में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2013 में दस सीपीएस नियुक्त किए थे. सत्ता में आते ही तत्कालीन सीएम वीरभद्र सिंह ने जनवरी, मई व अक्टूबर 2013 में सीपीएस बनाए. प्रेम कुमार धूमल वर्ष 2007 में दूसरी बार सत्ता में आए तो उनके नेतृत्व वाली सरकार ने 18 महीने के कार्यकाल के बाद 2009 में तीन सीपीएस की नियुक्ति की थी. इनमें सतपाल सिंह सत्ती, वीरेंद्र कंवर व सुखराम चौधरी शामिल थे. हिमाचल में वर्ष 2007 में सीपीएस की नियुक्ति के लिए हिमाचल प्रदेश संसदीय सचिव नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्ति, सुविधा व एमेनेटिज एक्ट बना था. इसके तहत ही नियुक्तियां होती आई हैं.

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Last Updated : Aug 26, 2024, 11:56 AM IST
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