शिमला: हिमाचल में इन दिनों कर्मचारी अपने बकाये डीए और एरियर की मांग को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. सरकार कर्मचारियों के साथ-साथ विपक्ष के भी निशाने पर हैं. दरअसल वक्त-वक्त पर विपक्ष सरकार पर फिजूलखर्ची को लेकर सवाल उठाता रहता है. खासकर आर्थिक तंगी झेल रही हिमाचल सरकार मंत्रियों को मिलने वाले वेतन और सुविधाओं पर एक बार फिर चर्चा होने लगी है. कर्मचारियों का गुस्सा फूटा तो राज्य सचिवालय कर्मचारी महासंघ ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन के दौरान कर्मचारियों ने नेताओं के आवास से लेकर टेलीफोन और अन्य भत्तों पर तंज कसा. मंत्रियों को हर महीने 20 हजार रुपए टेलीफोन भत्ता मिलता है. जब इंटरनेट के इस युग में सौ रुपए से लेकर एक हजार रुपए तक लंबे समय अनलिमिटेड कॉलिंग व नेट की सुविधा है तो हर महीने 20 हजार रुपए टेलीफोन भत्ता क्यों ? इसी सवाल को विस्तार देते हुए आपको हिमाचल प्रदेश के माननीयों के वेतन और भत्तों की जानकारी देते हैं.
स्पीकर व डिप्टी स्पीकर का वेतन और भत्ते
हिमाचल प्रदेश विधानसभा की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में विधानसभा अध्यक्ष का मूल वेतन बेशक अस्सी हजार रुपए महीना है, लेकिन अन्य भत्तों को मिलाकर ये रकम 2.54 लाख रुपए बनती है. विधानसभा अध्यक्ष को कंपनसेटरी अलाउंस के तौर पर 5 हजार रुपए प्रतिमाह मिलते हैं. उनका हाल्टिंग अलाउंस 54 हजार रुपए यानी 1800 रुपए प्रतिदिन है. इसी तरह टेलीफोन भत्ता 20 हजार रुपए मिलता है. इन भत्तों में सबसे अधिक सत्कार भत्ता है. स्पीकर को सत्कार भत्ते के रूप में 95 हजार रुपए प्रति माह मिलते हैं. डिप्टी स्पीकर का मूल वेतन 75 हजार रुपए है. बाकी भत्ते सेम हैं. यानी उन्हें स्पीकर से केवल 5 हजार रुपए कम मिलते हैं. उनका एक महीने का मूल वेतन व भत्ते मिलाकर 2.49 लाख रुपए वेतन बनता है.
माननीयों का वेतन 2.10 लाख रुपए
हिमाचल विधानसभा के सदस्यों की कुल संख्या 68 है. विधानसभा की वेबसाइट hpvidhansabha.nic.in पर दी गई जानकारी के मुताबिक विधायकों यानी माननीयों का मूल वेतन 55 हजार रुपए मासिक है. उन्हें टेलीफोन भत्ते के रूप में 15 हजार रुपए मासिक मिलते हैं. निर्वाचन क्षेत्र भत्ते के रूप में 90 हजार रुपए मासिक दिए जाते हैं. वे 15 हजार रुपए डाटा ऑपरेटर भत्ता व 30 हजार रुपए कार्यालय भत्ते के हकदार भी हैं.
सीएम और मंत्रियों का वेतन
सीएम का मूल वेतन सबसे अधिक है. उन्हें मूल वेतन के रूप में 95 हजार रुपए मिलते हैं. कुल वेतन 2.69 लाख रुपए मासिक है. मंत्रियों का वेतन 2.54 लाख रुपए मासिक है. पहले माननीयों के वेतन का टैक्स सरकार देती थी, लेकिन अब ये टैक्स खुद भरते हैं. इसके अलावा माननीयों को साल में चार लाख रुपए यात्रा भत्ता भी मिलता है. यानी वे साल में सैर-सपाटे के लिए चार लाख रुपए तक खर्च करने के हकदार हैं. उनके बिजली व पानी का बिल सरकार भरती है. सीएम, डिप्टी सीएम व मंत्रियों को आलीशान सरकारी आवास की सुविधा हासिल है. हिमाचल प्रदेश में आखिरी बार माननीयों के वेतन व भत्ते वीरभद्र सिंह सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2016 में बढ़ाए गए थे. उसके बाद केवल जयराम सरकार ने यात्रा भत्ता ढाई लाख रुपए सालाना से बढ़ाकर चार लाख रुपए सालाना किया था.
इसके अलावा माननीयों को अपनी पसंद का लैपटॉप, मोबाइल फोन लेने की सुविधा है. कार्यकाल समाप्त होने के बाद उन्हें इसे विधानसभा में जमा करवाना पड़ता है. इसके साथ ही क्लास वन ऑफिसर के समान चिकित्सा भत्ते और सुविधा मिलती है. साथ ही 4 प्रतिशत की ब्याज दर पर घर बनाने और कार खरीदने के लिए 50 लाख रुपये तक का लोन मिलता है.
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कर्ज में डूबी हिमाचल सरकार इस समय कर्मचारियों के गुस्से का सामना कर रही है. कर्मचारियों का ये गुस्सा डीए व एरियर की अदायगी न होने पर फूटा है. कांग्रेस पार्टी ने चुनाव पूर्व ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने का वादा किया था. सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ये वादा पूरा किया. उसके बाद कर्मचारी वर्ग खुश हो गया, लेकिन डीए व एरियर का लंबे समय से भुगतान न होने से कर्मचारियों में असंतोष पैदा हो गया. उन्होंने पहले तो सरकार को ज्ञापन दिए और फिर बात न बनी तो विरोध शुरू हो गया. दरअसल कर्मचारियों से पहले विपक्ष भी सरकार के मंत्रियों और सीपीएस को लेकर सरकार पर फिजूलखर्ची का आरोप लगाता रहा है.
हिमाचल में कर्मचारियों का हल्ला बोल क्यों ?
हिमाचल प्रदेश में कर्मचारियों ने डीए और एरियर को लेकर मोर्चा खोल रखा है. इस विरोध में कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी के एक बयान ने आग में घी डालने का काम किया. कर्मचारी वर्ग भडक गया और राज्य सचिवालय कर्मचारी महासंघ ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया. दरअसल राजेश धर्माणी ने कर्मचारियों के प्रदर्शन पर कहा था कि "सरकार के पास सीमित विकल्प हैं और अगर कर्माचारी चाहते हैं कि ये लाभ मिलते रहे तो सरकार के साथ खड़ा होना पड़ेगा. हर चीज पैसे से जुड़ी हुई है, नोट छापने की आजादी हमारे पास नहीं है". जिसके बाद कर्मचारियों ने मंत्रियों को मिलने वाली सुविधाओं पर सवाल उठा दिए.
इस प्रदर्शन के दौरान कर्मचारियों ने नेताओं के आवास से लेकर टेलीफोन और अन्य भत्तों पर तंज कसा. मंत्रियों को हर महीने 20 हजार रुपए टेलीफोन भत्ता मिलता है. जब इंटरनेट के इस युग में सौ रुपए से लेकर एक हजार रुपए तक लंबे समय अनलिमिटेड कॉलिंग व नेट की सुविधा है तो हर महीने 20 हजार रुपए टेलीफोन भत्ता क्यों ? इसी सवाल को विस्तार देते हुए आपको हिमाचल प्रदेश के माननीयों के वेतन और भत्तों की जानकारी दी है.