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विक्रमादित्य ने छेड़ी हिमाचल रेजिमेंट की चर्चा, सबसे पहले धूमल ने उठाई थी मांग, क्या पीएम मोदी अपने दूसरे घर को देंगे गारंटी - Demand for Himachal Regiment

Vikramaditya Singh's demand for Himachal Regiment: हिमाचल में इन दिनों लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव को लेकर प्रदेश की सियासत गरम है. वहीं, इन सबके बीच सुक्खू सरकार में कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने सांसद बनने पर प्रदेश के सैनिकों के लिए हिमाचल रेजिमेंट की मांग करने की बात कही है. हिमाचल रेजिमेंट की मांग पहले भी कई नेता उठा चुके हैं. ऐसे में देखना होगा की क्या पीएम मोदी अपने दूसरे घर हिमाचल को ये गारंटी देंगे? पढ़िए पूरी खबर...

DEMAND FOR HIMACHAL REGIMENT
विक्रमादित्य ने छेड़ी हिमाचल रेजिमेंट की चर्चा (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 22, 2024, 3:26 PM IST

Updated : May 22, 2024, 3:34 PM IST

शिमला: लोकसभा चुनाव प्रचार में अचानक से हिमाचल रेजिमेंट की चर्चा सामने आ गई. हॉट सीट मंडी से चुनाव लड़ रहे विक्रमादित्य सिंह ने देश की सेना में इस पहाड़ी राज्य के योगदान का जिक्र करते हुए हिमाचल रेजिमेंट की मांग उठा दी. यहां बता दें कि पहाड़ी राज्यों को मिलाकर हिमालयन रेजिमेंट की मांग कई बार हो चुकी है. सबसे पहले प्रेम कुमार धूमल ने बतौर सांसद ये मुद्दा उठाया था. हिमाचल विधानसभा में इस बारे में प्रस्ताव भी पास हो चुके हैं. यही नहीं, देश की सेना के सुप्रीम कमांडर यानी राष्ट्रपति के समक्ष भी ये आग्रह हो चुका है. वर्ष 2021 में सितंबर माह में देश के तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हिमाचल आए थे. विधानसभा में आयोजित समारोह में उनके समक्ष हिमालयन रेजिमेंट की मांग दोहराई गई थी. इस तरह हिमाचल में कोई पहली बार ये मांग नहीं उठी है. अब सवाल ये है कि क्या पीएम नरेंद्र मोदी अपने दूसरे घर को इस बारे में कोई गारंटी देंगे?

Vikramaditya Singh
विक्रमादित्य सिंह ने छेड़ी हिमाचल रेजिमेंट की चर्चा (FILE)

सबसे पहले परमवीर की धरती हिमाचल की पुरानी मांग
सितंबर 2021 में संभवत पहली ऐसा हुआ था जब सेना के तीनों अंगों के सुप्रीम कमांडर के सामने हिमालयन रेजिमेंट की मांग हुई. तब हिमाचल विधानसभा के विशेष सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में आए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के समक्ष तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने हिमालयन रेजिमेंट की बात कही. हिमाचल और सेना के रिश्ते की बात की जाए तो देश का पहला परमवीर चक्र हिमाचल के ही महान वीर सपूत मेजर सोमनाथ शर्मा को मिला था. वहीं, करगिल युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा को बलिदान उपरांत परमवीर चक्र दिया गया. हिमाचल के बिलासपुर के राइफलमैन संजय कुमार (अब सूबेदार मेजर) हैं, उन्हें भी परमवीर चक्र मिला था. इसके अलावा हिमाचल के वीरों ने विभिन्न युद्धों में कई सैन्य सम्मान हासिल किए. देश की सेवा के लिए डेढ़ हजार से अधिक गैलेंट्री अवार्ड हिमाचल के वीरों को मिले हैं. ऐसे में हिमाचल की हिमालयन रेजिमेंट की मांग में दम है.

Ramnath Kovind
तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सामने भी उठी थी मांग (FILE)

अकेले हिमाचल को न सही, सभी पहाड़ी राज्यों को मिलाकर दी जाए रेजिमेंट
देश की सेना में हिमाचल के योगदान की सभी सराहना करते हैं. पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर अन्य बड़े नेता अकसर हिमाचल के वीरों का तारीफ करते आए हैं. समय-समय पर हिमाचल की सरकारों ने तो यहां तक कहा है कि यदि अकेले इस पहाड़ी प्रदेश के लिए रेजिमेंट घोषित करना संभव नहीं है तो उत्तराखंड और जेएंडके को भी शामिल कर संयुक्त रूप से सभी राज्यों के लिए रेजिमेंट गठित कर दी जाए. हिमाचल के कई राजनेता भी सेना में रहे हैं. इनमें वर्तमान कैबिनेट मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल, पूर्व विधायक कर्नल इंद्र सिंह, पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर, शिमला से सांसद सुरेश कश्यप, पूर्व विधायक विक्रम जरियाल आदि का नाम शामिल है. मंडी से चुनाव लड़ चुके भाजपा नेता ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर कारगिल वॉर हीरो कहे जाते हैं.

DEMAND FOR HIMACHAL REGIMENT
लंबे समय से उठ रही हिमाचल रेजिमेंट की मांग (FILE)

सेना और हिमाचल का अटूट नाता
छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल का सेना से अटूट रिश्ता है. यहां की धरती की शौर्य परंपरा निरंतर मजबूत होती चली आ रही है. हिमाचल के सैन्य अफसरों और जांबाजों ने युद्ध के मैदान और अन्य बहादुरी की कहानियों को साकार रूप देते हुए 1160 से अधिक शौर्य सम्मान हासिल किए हैं. इनमें भारतीय सेना के सर्वोच्च सम्मान के तौर पर 4 परमवीर चक्र, दो अशोक चक्र, दस महावीर चक्र, 18 कीर्ति चक्र, 51 वीर चक्र, 89 शौर्य चक्र व 985 अन्य सेना मेडल शामिल हैं. आबादी के लिहाज से देखा जाए तो भारतीय सेना को मिले शौर्य सम्मानों में से हर दसवां मेडल हिमाचली के वीर के सीने पर सजा है. करीब 70 लाख की आबादी वाले हिमाचल प्रदेश में 1.06 लाख से अधिक भूतपूर्व फौजी हैं. यानी एक लाख से अधिक फौजी देश की सेवा करने के बाद सेवानिवृत्त जीवन जी रहे हैं. यदि सेवारत सैनिकों व अफसरों की बात की जाए तो हिमाचल प्रदेश के थल सेना में ही 55 हजार अफसर व जवान हैं. हिमाचल प्रदेश में चार लाख परिवार किसी न किसी रूप से सेना व अन्य सुरक्षा बलों से जुड़े हुए हैं.

Prem Kumar Dhumal
सबसे पहले प्रेम कुनार धूमल ने उठाई थी हिमाचल रेजिमेंट की मांग (FILE)

प्रेम कुमार धूमल ने सबसे पहले उठाई मांग
हिमाचल अथवा हिमालयी राज्यों की अलग से बटालियन हो, ये सपना सबसे पहले प्रेम कुमार धूमल ने देखा था. पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल ने इसके लिए काफी प्रयास किया. बाद में हिमाचल के हर सीएम ने इसके लिए प्रयास किए. स्व. वीरभद्र सिंह और फिर पूर्व सीएम जयराम ठाकुर की सरकार ने भी बाकायदा विधानसभा से प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजा. हिमाचल के पूर्ण राज्यत्व दिवस पर स्वर्ण जयंती समारोह के दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के समक्ष भी देवभूमि के शौर्य का उल्लेख करते हुए तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने हिमाचल की मांग को जोरदार तरीके से उठाया. ये एक ऐसी मांग है, जिसके लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष में कई मतभेद नहीं है.

Former PM Atal Bihari Vajpayee
पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के सामने भी हुई थी हिमाचल रेजिमेंट की मांग (FILE)

भारत रत्न पूर्व पीएम अटल जी के सामने भी हुई मांग
पूर्व पीएम और हिमाचल को दूसरा घर कहने वाले भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में हिमाचल की ये मांग जोरदार तरीके से उठी थी. उस समय देश के रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडीज थे. तब उन्होंने कहा था कि राज्यों के नाम से रेजिमेंट नहीं बनती. इस पर पहाड़ के नेताओं ने तर्क दिया कि हिमाचल न सही हिमालयन रेजिमेंट का गठन किया जाए, जिसमें सभी हिमालयी राज्य शामिल हों. यदि ये संभव हो जाए तो हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और अन्य हिमालयी राज्यों के वीरों को नई पहचान भी मिलेगी.

जनसंख्या के आधार पर सेना में राज्यों की भागीदारी
यदि जनसंख्या के आधार पर देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की सेना में भागीदारी सर्वाधिक है. देश की जनसंख्या का 16.5 प्रतिशत यूपी में है और सेना में भागीदारी 14.5 प्रतिशत है. इसी तरह पंजाब में देश की जनसंख्या का 2.3 प्रतिशत हिस्सा है और सेना में भागीदारी 7.7 प्रतिशत है. इसके बाद महाराष्ट्र और राजस्थान और फिर हरियाणा का नंबर आता है. हरियाणा की सेना में भागीदारी 5.7 प्रतिशत है. यदि जम्मू-कश्मीर और हिमाचल को देखा जाए तो यहां देश की जनसंख्या का क्रमश: 1.01 और 0.57 प्रतिशत है. लेकिन सेना में भागीदारी चार प्रतिशत या उससे अधिक है. जब देश में पंजाब रेजिमेंट, डोगरा रेजिमेंट, सिख रेजिमेंट, सिख लाइट इन्फेंट्री, जम्मू कश्मीर रेजिमेंट, जम्मू कश्मीर राइफल्स, लद्दाख स्काउट्स सक्रिय भूमिका में हैं तो हिमालयन रेजिमेंट का अस्तित्व भी होना चाहिए.

हिमालयन रेजिमेंट की मांग पर क्या होगा पीएम मोदी का रुख
वरिष्ठ मीडिया कर्मी नवनीत शर्मा का कहना है कि हिमाचल में सैन्य सेवा की परंपरा को देखते हुए ये मांग समुचित ध्यान आकर्षित करने की क्षमता रखती है. शिमला के सांसद सुरेश कश्यप भी इसे जायज मांग बताते हैं. युवा भाजपा नेता कर्ण नंदा भी इस मांग के पक्षधर हैं. अब विक्रमादित्य सिंह ने नए सिरे से हिमाचल रेजिमेंट की चर्चा शुरू की है. क्या हिमाचल अथवा सभी पहाड़ी राज्यों को मिलाकर हिमालयन रेजिमेंट की मांग को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी भी अपनी मंडी दौरे पर कोई जिक्र करेंगे, ये देखना होगा.

ये भी पढ़ें: "सांसद बना तो प्रदेश के सैनिकों के लिए करूंगा हिमाचल रेजिमेंट की मांग, OPS पर भी नहीं आने दूंगा आंच"

शिमला: लोकसभा चुनाव प्रचार में अचानक से हिमाचल रेजिमेंट की चर्चा सामने आ गई. हॉट सीट मंडी से चुनाव लड़ रहे विक्रमादित्य सिंह ने देश की सेना में इस पहाड़ी राज्य के योगदान का जिक्र करते हुए हिमाचल रेजिमेंट की मांग उठा दी. यहां बता दें कि पहाड़ी राज्यों को मिलाकर हिमालयन रेजिमेंट की मांग कई बार हो चुकी है. सबसे पहले प्रेम कुमार धूमल ने बतौर सांसद ये मुद्दा उठाया था. हिमाचल विधानसभा में इस बारे में प्रस्ताव भी पास हो चुके हैं. यही नहीं, देश की सेना के सुप्रीम कमांडर यानी राष्ट्रपति के समक्ष भी ये आग्रह हो चुका है. वर्ष 2021 में सितंबर माह में देश के तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हिमाचल आए थे. विधानसभा में आयोजित समारोह में उनके समक्ष हिमालयन रेजिमेंट की मांग दोहराई गई थी. इस तरह हिमाचल में कोई पहली बार ये मांग नहीं उठी है. अब सवाल ये है कि क्या पीएम नरेंद्र मोदी अपने दूसरे घर को इस बारे में कोई गारंटी देंगे?

Vikramaditya Singh
विक्रमादित्य सिंह ने छेड़ी हिमाचल रेजिमेंट की चर्चा (FILE)

सबसे पहले परमवीर की धरती हिमाचल की पुरानी मांग
सितंबर 2021 में संभवत पहली ऐसा हुआ था जब सेना के तीनों अंगों के सुप्रीम कमांडर के सामने हिमालयन रेजिमेंट की मांग हुई. तब हिमाचल विधानसभा के विशेष सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में आए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के समक्ष तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने हिमालयन रेजिमेंट की बात कही. हिमाचल और सेना के रिश्ते की बात की जाए तो देश का पहला परमवीर चक्र हिमाचल के ही महान वीर सपूत मेजर सोमनाथ शर्मा को मिला था. वहीं, करगिल युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा को बलिदान उपरांत परमवीर चक्र दिया गया. हिमाचल के बिलासपुर के राइफलमैन संजय कुमार (अब सूबेदार मेजर) हैं, उन्हें भी परमवीर चक्र मिला था. इसके अलावा हिमाचल के वीरों ने विभिन्न युद्धों में कई सैन्य सम्मान हासिल किए. देश की सेवा के लिए डेढ़ हजार से अधिक गैलेंट्री अवार्ड हिमाचल के वीरों को मिले हैं. ऐसे में हिमाचल की हिमालयन रेजिमेंट की मांग में दम है.

Ramnath Kovind
तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सामने भी उठी थी मांग (FILE)

अकेले हिमाचल को न सही, सभी पहाड़ी राज्यों को मिलाकर दी जाए रेजिमेंट
देश की सेना में हिमाचल के योगदान की सभी सराहना करते हैं. पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर अन्य बड़े नेता अकसर हिमाचल के वीरों का तारीफ करते आए हैं. समय-समय पर हिमाचल की सरकारों ने तो यहां तक कहा है कि यदि अकेले इस पहाड़ी प्रदेश के लिए रेजिमेंट घोषित करना संभव नहीं है तो उत्तराखंड और जेएंडके को भी शामिल कर संयुक्त रूप से सभी राज्यों के लिए रेजिमेंट गठित कर दी जाए. हिमाचल के कई राजनेता भी सेना में रहे हैं. इनमें वर्तमान कैबिनेट मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल, पूर्व विधायक कर्नल इंद्र सिंह, पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर, शिमला से सांसद सुरेश कश्यप, पूर्व विधायक विक्रम जरियाल आदि का नाम शामिल है. मंडी से चुनाव लड़ चुके भाजपा नेता ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर कारगिल वॉर हीरो कहे जाते हैं.

DEMAND FOR HIMACHAL REGIMENT
लंबे समय से उठ रही हिमाचल रेजिमेंट की मांग (FILE)

सेना और हिमाचल का अटूट नाता
छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल का सेना से अटूट रिश्ता है. यहां की धरती की शौर्य परंपरा निरंतर मजबूत होती चली आ रही है. हिमाचल के सैन्य अफसरों और जांबाजों ने युद्ध के मैदान और अन्य बहादुरी की कहानियों को साकार रूप देते हुए 1160 से अधिक शौर्य सम्मान हासिल किए हैं. इनमें भारतीय सेना के सर्वोच्च सम्मान के तौर पर 4 परमवीर चक्र, दो अशोक चक्र, दस महावीर चक्र, 18 कीर्ति चक्र, 51 वीर चक्र, 89 शौर्य चक्र व 985 अन्य सेना मेडल शामिल हैं. आबादी के लिहाज से देखा जाए तो भारतीय सेना को मिले शौर्य सम्मानों में से हर दसवां मेडल हिमाचली के वीर के सीने पर सजा है. करीब 70 लाख की आबादी वाले हिमाचल प्रदेश में 1.06 लाख से अधिक भूतपूर्व फौजी हैं. यानी एक लाख से अधिक फौजी देश की सेवा करने के बाद सेवानिवृत्त जीवन जी रहे हैं. यदि सेवारत सैनिकों व अफसरों की बात की जाए तो हिमाचल प्रदेश के थल सेना में ही 55 हजार अफसर व जवान हैं. हिमाचल प्रदेश में चार लाख परिवार किसी न किसी रूप से सेना व अन्य सुरक्षा बलों से जुड़े हुए हैं.

Prem Kumar Dhumal
सबसे पहले प्रेम कुनार धूमल ने उठाई थी हिमाचल रेजिमेंट की मांग (FILE)

प्रेम कुमार धूमल ने सबसे पहले उठाई मांग
हिमाचल अथवा हिमालयी राज्यों की अलग से बटालियन हो, ये सपना सबसे पहले प्रेम कुमार धूमल ने देखा था. पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल ने इसके लिए काफी प्रयास किया. बाद में हिमाचल के हर सीएम ने इसके लिए प्रयास किए. स्व. वीरभद्र सिंह और फिर पूर्व सीएम जयराम ठाकुर की सरकार ने भी बाकायदा विधानसभा से प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजा. हिमाचल के पूर्ण राज्यत्व दिवस पर स्वर्ण जयंती समारोह के दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के समक्ष भी देवभूमि के शौर्य का उल्लेख करते हुए तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने हिमाचल की मांग को जोरदार तरीके से उठाया. ये एक ऐसी मांग है, जिसके लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष में कई मतभेद नहीं है.

Former PM Atal Bihari Vajpayee
पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के सामने भी हुई थी हिमाचल रेजिमेंट की मांग (FILE)

भारत रत्न पूर्व पीएम अटल जी के सामने भी हुई मांग
पूर्व पीएम और हिमाचल को दूसरा घर कहने वाले भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में हिमाचल की ये मांग जोरदार तरीके से उठी थी. उस समय देश के रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडीज थे. तब उन्होंने कहा था कि राज्यों के नाम से रेजिमेंट नहीं बनती. इस पर पहाड़ के नेताओं ने तर्क दिया कि हिमाचल न सही हिमालयन रेजिमेंट का गठन किया जाए, जिसमें सभी हिमालयी राज्य शामिल हों. यदि ये संभव हो जाए तो हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और अन्य हिमालयी राज्यों के वीरों को नई पहचान भी मिलेगी.

जनसंख्या के आधार पर सेना में राज्यों की भागीदारी
यदि जनसंख्या के आधार पर देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की सेना में भागीदारी सर्वाधिक है. देश की जनसंख्या का 16.5 प्रतिशत यूपी में है और सेना में भागीदारी 14.5 प्रतिशत है. इसी तरह पंजाब में देश की जनसंख्या का 2.3 प्रतिशत हिस्सा है और सेना में भागीदारी 7.7 प्रतिशत है. इसके बाद महाराष्ट्र और राजस्थान और फिर हरियाणा का नंबर आता है. हरियाणा की सेना में भागीदारी 5.7 प्रतिशत है. यदि जम्मू-कश्मीर और हिमाचल को देखा जाए तो यहां देश की जनसंख्या का क्रमश: 1.01 और 0.57 प्रतिशत है. लेकिन सेना में भागीदारी चार प्रतिशत या उससे अधिक है. जब देश में पंजाब रेजिमेंट, डोगरा रेजिमेंट, सिख रेजिमेंट, सिख लाइट इन्फेंट्री, जम्मू कश्मीर रेजिमेंट, जम्मू कश्मीर राइफल्स, लद्दाख स्काउट्स सक्रिय भूमिका में हैं तो हिमालयन रेजिमेंट का अस्तित्व भी होना चाहिए.

हिमालयन रेजिमेंट की मांग पर क्या होगा पीएम मोदी का रुख
वरिष्ठ मीडिया कर्मी नवनीत शर्मा का कहना है कि हिमाचल में सैन्य सेवा की परंपरा को देखते हुए ये मांग समुचित ध्यान आकर्षित करने की क्षमता रखती है. शिमला के सांसद सुरेश कश्यप भी इसे जायज मांग बताते हैं. युवा भाजपा नेता कर्ण नंदा भी इस मांग के पक्षधर हैं. अब विक्रमादित्य सिंह ने नए सिरे से हिमाचल रेजिमेंट की चर्चा शुरू की है. क्या हिमाचल अथवा सभी पहाड़ी राज्यों को मिलाकर हिमालयन रेजिमेंट की मांग को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी भी अपनी मंडी दौरे पर कोई जिक्र करेंगे, ये देखना होगा.

ये भी पढ़ें: "सांसद बना तो प्रदेश के सैनिकों के लिए करूंगा हिमाचल रेजिमेंट की मांग, OPS पर भी नहीं आने दूंगा आंच"

Last Updated : May 22, 2024, 3:34 PM IST
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