शिमला: सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू इस समय दिल्ली में हैं. हिमाचल कांग्रेस पर छाए संकट के बादलों के बीच दिल्ली में पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट पर मंथन हो रहा है. राज्यसभा सीट पर क्रॉस वोटिंग के कारण बहुमत होने पर भी कांग्रेस की शर्मनाक पराजय की वजहों को खंगालने के लिए हाई कमान ने ऑब्जर्वर हिमाचल भेजे थे. कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार व अन्यों ने जो रिपोर्ट खड़गे को दी है, उसमें सीएम सुक्खू सहित अन्यों की भूमिका का जिक्र है.
क्या लिखा है ऑब्जर्वर की रिपोर्ट में?
बताया जा रहा है कि ये रिपोर्ट तीन पन्नों की है. इसमें कहा गया है कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू क्रॉस वोटिंग का खतरा भांप नहीं पाए. साथ ही प्रतिभा सिंह व विक्रमादित्य सिंह के रवैये का भी रिपोर्ट में जिक्र है. बागी हुए विधायकों के बारे में कहा गया है कि उन्हें भाजपा की तरफ से प्रलोभन दिया गया. सीएम सुक्खू के लिए ये भी कहा गया कि वे हालात से बेखबर रहे. राज्यसभा चुनाव में हार के लिए पीसीसी चीफ प्रतिभा सिंह को भी जिम्मेदार ठहराया गया. विक्रमादित्य सिंह के इस्तीफे को पार्टी के डिसिप्लिन को तोड़ने वाला कदम करार दिया गया.
रिपोर्ट में दिए डैमेज कंट्रोल के लिए उपाय
डैमेज कंट्रोल के लिए रिपोर्ट में उपायों का ब्यौरा दिया गया है. इसमें कहा गया कि सरकार को अस्थिर होने से बचाने के लिए जल्दी ही कुछ जरूरी सुधार करने की जरूरत है. लोकसभा चुनाव की आचार संहिता से पहले असंतुष्ट विधायकों को कॉरपोरेशन व निगमों में नियुक्ति दी जाए. रिपोर्ट में लिखा गया है कि भाजपा हिमाचल की सरकार को गिरा कर लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव साथ-साथ कराने की मंशा रखती थी. ऐसे में राज्य में सीएम बदलना सही नहीं होगा. साथ ही सीएम, डिप्टी सीएम व पीसीसी चीफ सहित अन्य नेताओं की कमेटी का जिक्र भी किया गया है.
क्या रिपोर्ट कर पाएगी डैमेज कंट्रोल?
हिमाचल के वरिष्ठ मीडिया कर्मी कृष्ण भानु का कहना है कि इस रिपोर्ट में जो कहा गया है, उससे प्रदेश कांग्रेस में खाइयां और गहरी हो जाएंगी. ऑब्जर्वर की यह रिपोर्ट पार्टी के घावों को सहलाने के बजाय नासूर बना देगी. कृष्ण भानु के अनुसार ऑब्जर्वर की रिपोर्ट न सीएम सुक्खू की कार्यप्रणाली पर भरोसा रखती है, न प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह की भूमिका को सही परिप्रेक्ष्य में देख रही है. रिपोर्ट लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह को भी कटघरे में खड़ा करती है और छह बागियों को भी. फिलहाल अब हिमाचल की सियासी गेंद हाईकमान के कोर्ट में है.