शिमला: रात को मोबाइल स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने से या देर रात तक मोबाइल का प्रयोग करन से, मस्तिष्क एक केमिकल उत्पन्न करता है, जिससे हमारी नींद उड़ जाती है. फिर रात को नींद नहीं आती है. मोबाइल के अधिक प्रयोग से उत्पन्न केमिकल में डोपामिन शामिल होता है, जो कि हमारी नींद उड़ाने में बड़ा रोल प्ले करता है. ये कहना है आईजीएमसी के मनोचिकित्सा विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉक्टर देवेश शर्मा का.
आईजीएमसी के मनोचिकित्सा विभाग के सहायक डॉ देवेश शर्मा ने बताया कि कोरोना काल के बाद युवा और बच्चे फोन का ज्यादा इस्तेमाल करने लगे थे. उस समय की स्थिति ही ऐसी थी कि बच्चों की पढ़ाई सब कुछ फोन पर ही चल रहा था. जिसकी वजह से उनमें फोन की आदत ज्यादा बढ़ गई. जिससे उनमें नींद की कमी, डिप्रेशन और चिड़चिड़ापन जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं. आईजीएमसी में एक सप्ताह में फोन एडिक्शन के 5 से 6 मामले आ रहे हैं. ये चिंता का विषय है. ऐसे युवाओं को विशेषज्ञों की सलाह लेने की जरूरत है.
युवाओं में बढ़ रहा स्मार्ट फोन का चलन
स्मार्टफोन के बढ़ते इस्तेमाल ने लोगों को कई तरह के लाभ और सुविधाएं मुहैया कराई हैं. हालांकि इस तकनीक का बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा है. स्मार्टफोन के ज्यादा इस्तेमाल से इन दिनों बच्चों में कई तरह की परेशानियां देखने को मिल रही हैं. जिनमें विशेष रूप से डिप्रेशन से जुड़ी समस्याएं हैं. ऐसे में स्मार्टफोन के उपयोग और बच्चों में डिप्रेशन के लक्षणों के बीच संभावित लिंक को समझना बेहद महत्वपूर्ण है.
स्मार्टफोन के इस्तेमाल के साइड इफेक्ट्स
- सोशल कॉन्टेक्ट में कमी
- ऑनलाइन दोस्तों में अधिक समय देना
- वास्तविक दुनिया के साथ कम समय व्यतीत करना
- आपसी संबंधों और लगाव में कमी
- अकेलापन महसूस करना
- डिप्रेशन
- आंखों पर बुरा प्रभाव
- नींद की कमी
- चिड़चिड़ापन
स्मार्टफोन और डिप्रेशन के बीच की कड़ी
स्मार्टफोन के उपयोग और डिप्रेशन के बीच की कड़ी में योगदान देने वाला एक प्रमुख कारक नींद के पैटर्न पर नकारात्मक प्रभाव है. स्मार्टफोन की स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट बच्चों की स्लीप साइकिल में बाधा डाल सकती है. जिससे नींद आने और आराम की नींद लेने में कठिनाई होती है. अपर्याप्त नींद से बच्चों और किशोरों में डिप्रेशन का बढ़ना और चिढ़चिढ़ाहट पैदा करने की एक बड़ी वजह है.
ऐसे करें इससे बचाव
डॉ. देवेश ने कहा कि बच्चों में स्मार्टफोन से संबंधित डिप्रेशन के मुद्दे का समाधान करना काफी महत्वपूर्ण है. डिप्रेशन की शुरुआती लक्षणों की पहचान कर उसे समय पर रोकने में मदद मिल सकती है. इसके अलावा बच्चों को आउटडोर खेल के लिए बढ़ावा देना, सोशल मीडिया से अलग अपने आस-पास लोगों से बातचीत और संबंध ज्यादा फायदेमंद होगा.