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हिमाचल में 14 मंजिला निर्माण नहीं कर पाएंगे होटल व स्पेशल कमर्शियल प्रोजेक्ट्स, टीसीपी की अधिसूचना पर हाईकोर्ट की रोक

हिमाचल हाईकोर्ट ने 14 मंजिला निर्माण की अनुमति देने वाली टाउन एंड कंट्री प्लानिंग की अधिसूचना पर रोक लगा दी है. पढ़िए पूरी खबर...

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (FILE)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 16 hours ago

शिमला: हिमाचल प्रदेश में अब होटल व स्पेशल कमर्शियल प्रोजेक्ट्स 14 मंजिला निर्माण नहीं कर पाएंगे. इन्हें 14 मंजिला निर्माण की अनुमति देने वाली टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (टीसीपी) विभाग की अधिसूचना पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. उल्लेखनीय है कि टीसीपी ने इस बारे में 18 नवंबर को एक अधिसूचना जारी की थी. टीसीपी ने हिमाचल प्रदेश नगर एवं ग्राम नियोजन (तेरहवां संशोधन) नियम, 2024 को अधिसूचित किया था. इसमें उपरोक्त निर्माण की अनुमति दी गई थी. हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने इस मामले में जनहित याचिका पर सुनवाई में ये आदेश पारित किए.

टीसीपी विभाग की तरफ से जारी नए नियमों के अनुसार पर्यटन इकाइयों सहित अन्य वाणिज्यिक इमारतों और रिवाइज्ड फ्लोर रेशो यानी संवर्धित फर्श क्षेत्र अनुपात (एफएआर) प्रावधानों के तहत, 4,001 वर्ग मीटर और 10,000 वर्ग मीटर के बीच के भूखंडों पर 13 मंजिलें और 10,000 वर्ग मीटर से अधिक के भूखंडों पर 14 मंजिलें बनाई जा सकती हैं. इसी के साथ केंद्रीय व्यापारिक जिलों और फोर लेन, राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों सहित डेवलपमेंट कॉरिडोर के लिए एफएआर प्रावधानों के मामले में 4,001 वर्ग मीटर से 10,000 वर्ग मीटर के भूखंडों पर 18 जबकि 10,001 वर्ग मीटर से अधिक के भूखंडों पर 20 मंजिल तक की इमारतें बनाई जा सकती हैं. सरकार द्वारा बनाई गई इमारतों सहित इन ऊंची इमारतों को बनाने की अनुमति कई शर्तों के साथ आती है. इन शर्तों में मैदानी इलाकों में 15 डिग्री से कम और पहाड़ी इलाकों में 20 डिग्री से कम ढलान वाली जमीन पर ही निर्माण किया जा सकता है. हाईकोर्ट ने इस अधिसूचना पर रोक लगा दी है.

उल्लेखनीय है कि सोलन जिला के कुमारहट्टी में बन रही बहुमंजिला इमारतों को लेकर दाखिल की गई जनहित याचिका को विस्तार देते हुए हाईकोर्ट ने पूरे प्रदेश को टीसीपी के अधीन करने के आदेश जारी किए थे, ताकि पहाड़ियों को काट कर निर्माण कार्य को नियंत्रित किया जा सके. अदालत को सुनवाई के दौरान बताया गया था कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में अंधाधुंध भवन निर्माण किया जा रहा है. कोई कायदा कानून लागू न होने के कारण भू-मालिक बिना किसी डर से बेतहाशा निर्माण कार्य कर रहे हैं. इसके लिए न तो पहाड़ों की ढलान को देखा जाता है और न ही इमारतों की ऊंचाई के साथ साथ कार्य की गुणवत्ता को. सबसे भयावह तो यह है कि प्लानिंग एरिया और स्पेशल एरिया से बाहर के क्षेत्रों में भवन निर्माण को बेलगाम छोड़ दिया गया है.

भौगोलिक दृष्टि से हिमालय की गोद में स्थित हिमाचल प्रदेश अपने नैसर्गिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है. इसके साथ ही यह देश का ऐसा राज्य भी है जो भूकंप के नजरिए से खतरनाक क्षेत्रों में शामिल है. यहां 97 फीसदी क्षेत्र भूस्खलन की जद में है. ऐसे में बेलगाम निर्माण प्रदेश के भयानक साबित हो सकता है. इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने बहुमंजिला निर्माण की अनुमति के संदर्भ में जारी अधिसूचना पर रोक लगा दी है.

ये भी पढ़ें: सरकारी वन भूमि पर अतिक्रमण के कथित मामले में SC से राहत, जानिए कुल्लू व शिमला से जुड़े केस में क्यों निरस्त हुआ हाईकोर्ट का फैसला?

शिमला: हिमाचल प्रदेश में अब होटल व स्पेशल कमर्शियल प्रोजेक्ट्स 14 मंजिला निर्माण नहीं कर पाएंगे. इन्हें 14 मंजिला निर्माण की अनुमति देने वाली टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (टीसीपी) विभाग की अधिसूचना पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. उल्लेखनीय है कि टीसीपी ने इस बारे में 18 नवंबर को एक अधिसूचना जारी की थी. टीसीपी ने हिमाचल प्रदेश नगर एवं ग्राम नियोजन (तेरहवां संशोधन) नियम, 2024 को अधिसूचित किया था. इसमें उपरोक्त निर्माण की अनुमति दी गई थी. हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने इस मामले में जनहित याचिका पर सुनवाई में ये आदेश पारित किए.

टीसीपी विभाग की तरफ से जारी नए नियमों के अनुसार पर्यटन इकाइयों सहित अन्य वाणिज्यिक इमारतों और रिवाइज्ड फ्लोर रेशो यानी संवर्धित फर्श क्षेत्र अनुपात (एफएआर) प्रावधानों के तहत, 4,001 वर्ग मीटर और 10,000 वर्ग मीटर के बीच के भूखंडों पर 13 मंजिलें और 10,000 वर्ग मीटर से अधिक के भूखंडों पर 14 मंजिलें बनाई जा सकती हैं. इसी के साथ केंद्रीय व्यापारिक जिलों और फोर लेन, राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों सहित डेवलपमेंट कॉरिडोर के लिए एफएआर प्रावधानों के मामले में 4,001 वर्ग मीटर से 10,000 वर्ग मीटर के भूखंडों पर 18 जबकि 10,001 वर्ग मीटर से अधिक के भूखंडों पर 20 मंजिल तक की इमारतें बनाई जा सकती हैं. सरकार द्वारा बनाई गई इमारतों सहित इन ऊंची इमारतों को बनाने की अनुमति कई शर्तों के साथ आती है. इन शर्तों में मैदानी इलाकों में 15 डिग्री से कम और पहाड़ी इलाकों में 20 डिग्री से कम ढलान वाली जमीन पर ही निर्माण किया जा सकता है. हाईकोर्ट ने इस अधिसूचना पर रोक लगा दी है.

उल्लेखनीय है कि सोलन जिला के कुमारहट्टी में बन रही बहुमंजिला इमारतों को लेकर दाखिल की गई जनहित याचिका को विस्तार देते हुए हाईकोर्ट ने पूरे प्रदेश को टीसीपी के अधीन करने के आदेश जारी किए थे, ताकि पहाड़ियों को काट कर निर्माण कार्य को नियंत्रित किया जा सके. अदालत को सुनवाई के दौरान बताया गया था कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में अंधाधुंध भवन निर्माण किया जा रहा है. कोई कायदा कानून लागू न होने के कारण भू-मालिक बिना किसी डर से बेतहाशा निर्माण कार्य कर रहे हैं. इसके लिए न तो पहाड़ों की ढलान को देखा जाता है और न ही इमारतों की ऊंचाई के साथ साथ कार्य की गुणवत्ता को. सबसे भयावह तो यह है कि प्लानिंग एरिया और स्पेशल एरिया से बाहर के क्षेत्रों में भवन निर्माण को बेलगाम छोड़ दिया गया है.

भौगोलिक दृष्टि से हिमालय की गोद में स्थित हिमाचल प्रदेश अपने नैसर्गिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है. इसके साथ ही यह देश का ऐसा राज्य भी है जो भूकंप के नजरिए से खतरनाक क्षेत्रों में शामिल है. यहां 97 फीसदी क्षेत्र भूस्खलन की जद में है. ऐसे में बेलगाम निर्माण प्रदेश के भयानक साबित हो सकता है. इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने बहुमंजिला निर्माण की अनुमति के संदर्भ में जारी अधिसूचना पर रोक लगा दी है.

ये भी पढ़ें: सरकारी वन भूमि पर अतिक्रमण के कथित मामले में SC से राहत, जानिए कुल्लू व शिमला से जुड़े केस में क्यों निरस्त हुआ हाईकोर्ट का फैसला?

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