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सिरमौर के इस स्कूल को मर्ज करने के आदेशों पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, शिक्षा विभाग के फैसले से असंतुष्ट थे ग्रामीण - HP High Court on School Merger

Himachal High Court Stay on School Merger in Sirmaur: सिरमौर जिले में एक प्राथमिक स्कूल को केंद्रीय प्राथमिक स्कूल में मर्ज करने पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. शिक्षा विभाग के फैसले के खिलाफ ग्रामीणों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट ने भी तथ्यों की जांच के बाद स्कूल मर्ज के आदेशों पर स्टे लगा दिया है.

Himachal High Court Stay on School Merger in Sirmaur
प्राथमिक स्कूल रनवा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 10, 2024, 7:05 AM IST

सिरमौर: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने जिला सिरमौर के रनवा स्कूल को शिक्षा विभाग द्वारा मर्ज करने के आदेशों पर रोक लगाई है. ऐसे में अब प्राथमिक स्कूल रनवा के बच्चों को पढ़ाई करने केंद्रीय प्राथमिक स्कूल हरिपुरधार नहीं जाना पड़ेगा. हाईकोर्ट के इस फैसले से ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है.

हाईकोर्ट ने स्कूल मर्ज करने पर क्यों लगाई रोक ?

इस मामले को लेकर पिटीशन दायर करने वाले हाईकोर्ट के अधिवक्ता ह्रदयराम ने बताया कि शिक्षा विभाग ने प्राइमरी स्कूल रनवा को केंद्रीय प्राथमिक स्कूल हरिपुरधार में मर्ज करने के आदेश दिए थे. उन्होंने बताया कि रनवा से हरिपुरधार की दूरी सड़क मार्ग से लगभग 8 किलोमीटर है. रास्ते में कई बड़े-बड़े ढांक हैं. कई स्थानों पर चट्टानें गिरने का खतरा अकसर बना रहता है. रास्ते में पड़ने वाले 2 खड्ड बरसात के दिनों में उफान पर होते हैं. पैदल चलने के लिए 3 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करनी पड़ती है, जिसमें एक किलोमीटर से अधिक खड़ी चढ़ाई है.

अधिवक्ता ह्रदयराम ने बताया, "शिक्षा विभाग ने मौके की वस्तुस्थिति जाने बगैर ही इस स्कूल को दूसरे स्कूल में मर्ज करने के आदेश जारी किए थे. रनवा गांव के लोग शिक्षा विभाग के इन आदेशों से असंतुष्ट थे."

ग्रामीणों ने स्कूल मर्ज करने का किया विरोध

वहीं, ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर गांव की भौगोलिक परिस्थितियों का हवाला देकर स्कूल को दूसरे स्कूल में मर्ज न करने की भी मांग की थी. यही नहीं विभाग को चेताया था कि यदि उनकी बात को नहीं माना गया तो वह अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे. ग्रामीणों को सबसे अधिक चिंता इस बात की सता रही थी कि नवंबर से लेकर मार्च तक हरिपुरधार व उनके गांव रनवा में डेढ़ से ढाई फीट तक बर्फ गिरती है. ऐसे में वह अपने बच्चों को स्कूल कैसे भेजेंगे. इसके बाद 2 सितंबर को ग्रामीणों ने प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर की.

अधिवक्ता ह्रदयराम ने बताया, "अदालत ने सभी तथ्यों की जांच की और प्राइमरी स्कूल रनवा को हरिपुरधार में मर्ज करने पर स्टे लगा दिया." बता दें कि हाल ही में सुक्खू सरकार के फैसले के बाद शिक्षा विभाग ने प्रदेश के बहुत से स्कूलों को मर्ज करने के आदेश जारी किए थे. ऐसे में कई स्थानों पर स्कूलों को मर्ज करने का विरोध भी हो रहा है.

ये भी पढ़ें: घने जंगल में जंगली जानवरों के डर के बीच स्कूल कैसे जाएंगे नौनिहाल, अभिभावकों ने किया आग्रह तो HC ने स्कूल मर्ज करने पर लगाई रोक

ये भी पढ़ें: हिमाचल में कितने स्कूल हुए मर्ज और क्या रहा आधार ?, सरकार ने विधानसभा में दिया जवाब

ये भी पढ़ें: हिमाचल सरकार ने 99 सरकारी स्कूल किये डी-नोटिफाई, इतने विद्यालय होंगे मर्ज

सिरमौर: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने जिला सिरमौर के रनवा स्कूल को शिक्षा विभाग द्वारा मर्ज करने के आदेशों पर रोक लगाई है. ऐसे में अब प्राथमिक स्कूल रनवा के बच्चों को पढ़ाई करने केंद्रीय प्राथमिक स्कूल हरिपुरधार नहीं जाना पड़ेगा. हाईकोर्ट के इस फैसले से ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है.

हाईकोर्ट ने स्कूल मर्ज करने पर क्यों लगाई रोक ?

इस मामले को लेकर पिटीशन दायर करने वाले हाईकोर्ट के अधिवक्ता ह्रदयराम ने बताया कि शिक्षा विभाग ने प्राइमरी स्कूल रनवा को केंद्रीय प्राथमिक स्कूल हरिपुरधार में मर्ज करने के आदेश दिए थे. उन्होंने बताया कि रनवा से हरिपुरधार की दूरी सड़क मार्ग से लगभग 8 किलोमीटर है. रास्ते में कई बड़े-बड़े ढांक हैं. कई स्थानों पर चट्टानें गिरने का खतरा अकसर बना रहता है. रास्ते में पड़ने वाले 2 खड्ड बरसात के दिनों में उफान पर होते हैं. पैदल चलने के लिए 3 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करनी पड़ती है, जिसमें एक किलोमीटर से अधिक खड़ी चढ़ाई है.

अधिवक्ता ह्रदयराम ने बताया, "शिक्षा विभाग ने मौके की वस्तुस्थिति जाने बगैर ही इस स्कूल को दूसरे स्कूल में मर्ज करने के आदेश जारी किए थे. रनवा गांव के लोग शिक्षा विभाग के इन आदेशों से असंतुष्ट थे."

ग्रामीणों ने स्कूल मर्ज करने का किया विरोध

वहीं, ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर गांव की भौगोलिक परिस्थितियों का हवाला देकर स्कूल को दूसरे स्कूल में मर्ज न करने की भी मांग की थी. यही नहीं विभाग को चेताया था कि यदि उनकी बात को नहीं माना गया तो वह अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे. ग्रामीणों को सबसे अधिक चिंता इस बात की सता रही थी कि नवंबर से लेकर मार्च तक हरिपुरधार व उनके गांव रनवा में डेढ़ से ढाई फीट तक बर्फ गिरती है. ऐसे में वह अपने बच्चों को स्कूल कैसे भेजेंगे. इसके बाद 2 सितंबर को ग्रामीणों ने प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर की.

अधिवक्ता ह्रदयराम ने बताया, "अदालत ने सभी तथ्यों की जांच की और प्राइमरी स्कूल रनवा को हरिपुरधार में मर्ज करने पर स्टे लगा दिया." बता दें कि हाल ही में सुक्खू सरकार के फैसले के बाद शिक्षा विभाग ने प्रदेश के बहुत से स्कूलों को मर्ज करने के आदेश जारी किए थे. ऐसे में कई स्थानों पर स्कूलों को मर्ज करने का विरोध भी हो रहा है.

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