शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने लाहौल स्थित मृकुला देवी मंदिर की वास्तविक स्थिति जानने के लिए कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति की है. हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने कोर्ट कमिश्नर को चार सप्ताह के भीतर मंदिर से जुड़ी स्टेट्स रिपोर्ट तैयार कर अदालत के समक्ष रखने के आदेश भी दिए. लाहौल के उदयपुर स्थित मृकुला माता मंदिर की पौराणिक नक्काशी को बदलने से जुड़ी जनहित याचिका की सुनवाई के बाद यह आदेश जारी किए गए हैं.
एनआईटी हमीरपुर ने अपनी रिपोर्ट में मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए 22,42,000 रुपए के बजट की आवश्यकता बताई थी. केंद्र सरकार ने इसे स्वीकारते हुए उक्त बजट मुहैया करने की बात अदालत को बताई. कोर्ट ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के डायरेक्टर जनरल को आदेश दिए हैं कि वह तुरंत यह राशि सुपरिंटेंडिंग आर्कियोलॉजिस्ट, आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया शिमला सर्कल को जारी करें.
उल्लेखनीय है कि इस मामले में सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कुल्लू ने स्टेट्स रिपोर्ट के माध्यम से माता मृकुला देवी मंदिर की जर्जर स्थिति को हाईकोर्ट के समक्ष रखा था. रिपोर्ट में बताया गया था कि मंदिर के दोनों हिस्सों के बीच की छत झुकी हुई है. लकड़ी का एक पुराना खंभा फट रहा है. छत का बाहरी हिस्सा भी गिर रहा है.
मंदिर का पुराना रंग पुरातत्व विभाग ने फिर से रंगने के लिए हटा दिया था, लेकिन उसके बाद मंदिर को बिल्कुल भी रंग नहीं किया गया. मंदिर के रखरखाव का जिम्मा वर्ष 1989 से पुरातत्व विभाग के पास है. विभाग ने मंदिर को संरक्षित स्मारक घोषित किया है. इस मंदिर की श्रद्धालुओं में बहुत मान्यता है.
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