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हिमाचल सरकार को बड़ा झटका, जेएसडब्ल्यू हाइड्रो एनर्जी लिमिटेड करछम वांगतू प्रोजेक्ट से नहीं मिलेगी 18 फीसदी निशुल्क बिजली - HC on JSW Hydro Project

HC on JSW Energy Karcham Wangtoo Plant: जेएसडब्ल्यू एनर्जी करछम वांगटू प्लांट मामले पर हिमाचल हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार को इस प्रोजेक्ट द्वारा दी जारी रही 18 फीसदी मुफ्त बिजली को घटा दिया. जिससे प्रदेश सरकार को निशुल्क बिजली मामले में बड़ा झटका लगा है.

HC on JSW Energy Karcham Wangtoo Plant
जेएसडब्ल्यू एनर्जी करछम वांगटू प्लांट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 29, 2024, 6:44 AM IST

शिमला: हिमाचल सरकार को निशुल्क बिजली के एक मामले में बड़ा झटका लगा है. अब जेएसडब्ल्यू हाइड्रो एनर्जी लिमिटेड के करछम वांगतू बिजली परियोजना से राज्य सरकार को 18 प्रतिशत निशुल्क बिजली नहीं मिलेगी. प्रदेश हाईकोर्ट से राज्य सरकार को इस परियोजना से मिलने वाली निशुल्क बिजली से जुड़े मामले में बड़ा झटका लगा है. अब इस प्रोजेक्ट से प्रदेश सरकार को 18 की बजाए 13 प्रतिशत बिजली ही निशुल्क बिजली मिलेगी.

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने जेएसडब्ल्यू कंपनी के किन्नौर जिले में स्थित करछम वांगतू बिजली प्रोजेक्ट प्रबंधन की याचिका को स्वीकारते हुए राज्य सरकार को इस प्रोजेक्ट द्वारा दी जारी रही 18 फीसदी मुफ्त बिजली को घटा दिया. अदालत ने केंद्रीय इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन के आदेश के अनुसार 13 फीसदी निशुल्क बिजली वसूलने के आदेश दिए. कोर्ट ने जेएसडब्ल्यू ऊर्जा सचिव व ऊर्जा निदेशालय को आदेश दिए है कि वह याचिकाकर्ताओं द्वारा राज्य सरकार को दी गई 18 प्रतिशत निशुल्क बिजली को एडजस्ट करे.

मामले में याचिकाकर्ता कंपनी जेएसडब्ल्यू हाइड्रो एनर्जी लिमिटेड की ओर से अदालत को बताया गया कि सरकार के साथ हुए अनुबंध के अनुसार पहले 12 साल तक कुल बिजली उत्पादन की 13 फीसदी बिजली हिमाचल प्रदेश को निशुल्क देना तय हुआ था. वहीं, बाकी बचे हुए 28 साल तक 18 फीसदी मुफ्त बिजली देना तय हुआ था. हाईकोर्ट को बताया गया था कि प्रोजेक्ट ने हिमाचल को 18 फीसदी की दर से मुफ्त बिजली देना शुरू कर दिया है. कंपनी का कहना था कि वह 18 फीसदी मुफ्त बिजली अपनी आपत्ति के साथ हिमाचल को दे रही है, ताकि याचिकाकर्ता प्रोजेक्ट के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न हो.

कंपनी ने हाईकोर्ट से गुहार लगाई थी कि राज्य सरकार को आदेश दिए जाए कि वह 18 नवंबर 1999 के अनुबंध को केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग विनियमन अधिनियम 2019 के अनुसार लागू करे न कि करार में दर्शाई गई शर्तों के अनुसार. प्रार्थी कंपनी ने मुफ्त बिजली देने के लिए केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग के नियमों का पालन करने के आदेशों की गुहार भी लगाई थी. अब राज्य सरकार को हाईकोर्ट ने उपरोक्त आदेश जारी किए हैं.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में 60 साल की आयु पूरी करने के बाद ही रिटायर होंगे क्लास फोर कर्मचारी, हाईकोर्ट ने दिया बड़ा फैसला

ये भी पढे़ं: मानहानि मामले में सीएम सुक्खू को जारी नोटिस नहीं हुआ तामील, हाई कोर्ट ने नए निर्देश देकर 27 जून तक टाली सुनवाई

शिमला: हिमाचल सरकार को निशुल्क बिजली के एक मामले में बड़ा झटका लगा है. अब जेएसडब्ल्यू हाइड्रो एनर्जी लिमिटेड के करछम वांगतू बिजली परियोजना से राज्य सरकार को 18 प्रतिशत निशुल्क बिजली नहीं मिलेगी. प्रदेश हाईकोर्ट से राज्य सरकार को इस परियोजना से मिलने वाली निशुल्क बिजली से जुड़े मामले में बड़ा झटका लगा है. अब इस प्रोजेक्ट से प्रदेश सरकार को 18 की बजाए 13 प्रतिशत बिजली ही निशुल्क बिजली मिलेगी.

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने जेएसडब्ल्यू कंपनी के किन्नौर जिले में स्थित करछम वांगतू बिजली प्रोजेक्ट प्रबंधन की याचिका को स्वीकारते हुए राज्य सरकार को इस प्रोजेक्ट द्वारा दी जारी रही 18 फीसदी मुफ्त बिजली को घटा दिया. अदालत ने केंद्रीय इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन के आदेश के अनुसार 13 फीसदी निशुल्क बिजली वसूलने के आदेश दिए. कोर्ट ने जेएसडब्ल्यू ऊर्जा सचिव व ऊर्जा निदेशालय को आदेश दिए है कि वह याचिकाकर्ताओं द्वारा राज्य सरकार को दी गई 18 प्रतिशत निशुल्क बिजली को एडजस्ट करे.

मामले में याचिकाकर्ता कंपनी जेएसडब्ल्यू हाइड्रो एनर्जी लिमिटेड की ओर से अदालत को बताया गया कि सरकार के साथ हुए अनुबंध के अनुसार पहले 12 साल तक कुल बिजली उत्पादन की 13 फीसदी बिजली हिमाचल प्रदेश को निशुल्क देना तय हुआ था. वहीं, बाकी बचे हुए 28 साल तक 18 फीसदी मुफ्त बिजली देना तय हुआ था. हाईकोर्ट को बताया गया था कि प्रोजेक्ट ने हिमाचल को 18 फीसदी की दर से मुफ्त बिजली देना शुरू कर दिया है. कंपनी का कहना था कि वह 18 फीसदी मुफ्त बिजली अपनी आपत्ति के साथ हिमाचल को दे रही है, ताकि याचिकाकर्ता प्रोजेक्ट के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न हो.

कंपनी ने हाईकोर्ट से गुहार लगाई थी कि राज्य सरकार को आदेश दिए जाए कि वह 18 नवंबर 1999 के अनुबंध को केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग विनियमन अधिनियम 2019 के अनुसार लागू करे न कि करार में दर्शाई गई शर्तों के अनुसार. प्रार्थी कंपनी ने मुफ्त बिजली देने के लिए केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग के नियमों का पालन करने के आदेशों की गुहार भी लगाई थी. अब राज्य सरकार को हाईकोर्ट ने उपरोक्त आदेश जारी किए हैं.

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