शिमला: सोलन जिला के कसौली में एक महिला की सड़क किनारे 33 केवी हाई वोल्टेज बिजली लाइन से करंट लगने के कारण मौत हो गई थी. महिला के बेटे ने बिजली बोर्ड को इस हादसे का जिम्मेदार बताते हुए न्याय की गुहार लगाई थी. हादसा चार साल पहले हुआ था. अब हाईकोर्ट ने राज्य बिजली बोर्ड को आदेश जारी किया है कि वो पीड़ित व्यक्ति को पांच लाख रुपए अंतरिम मुआवजा प्रदान करे.
यह मुआवजा राशि आठ हफ्ते में अदा करनी होगी. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने याचिका का निपटारा करते हुए प्रार्थी सोहनलाल को उपयुक्त न्यायालय में नुकसान की भरपाई के लिए उचित कार्रवाई आरंभ करने की छूट भी प्रदान की है.
क्या है मामला
सोलन जिला के कसौली में 30 अगस्त 2020 को फूला देवी नामक महिला के साथ हादसा हुआ था. फूला देवी को कसौली में अपने आवास के समीप सड़क किनारे चलते समय गलती से बिजली बोर्ड के नियंत्रण और रखरखाव वाली 33 केवी हाई वोल्टेज बिजली लाइन से करंट लग गया. करंट लगने से वे 45 फीसदी जल गई. उन्हें इलाज के लिए पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ ले जाया गया. फूला देवी वहां नौ दिन तक भर्ती रही, लेकिन 8 सितंबर 2020 को उसकी मृत्यु हो गई. फूला देवी के बेटे ने बार-बार बिजली बोर्ड से मुआवजा प्रदान करने का अनुरोध किया, लेकिन बोर्ड ने कोई कदम नहीं उठाया. मजबूरन प्रार्थी को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा.
बिजली बोर्ड ने याचिका की सुनवाई में बताया कि साइट निरीक्षण के बाद पाया गया कि सिटी केबल से संबंधित एक काली कोएक्सियल टीवी केबल 33 केवी एचटी लाइन कंडक्टर पर लटकी हुई थी, लेकिन जमीन को नहीं छू रही थी. बिजली बोर्ड के अनुसार स्थानीय निवासियों से भी जानकारी ली गई. स्थानीय नागरिकों ने बताया कि चोपड़ा अपार्टमेंट के ब्लॉक-8 में 33 केवी हाई टेंशन लाइन के ऊपर कुछ शरारती तत्वों ने 29 अगस्त 2020 की शाम कोएक्सियल केबल तार के टुकड़े फेंके थे. फिर 29 अगस्त 2020 को विद्युत प्रणाली, डिवीजन, सोलन द्वारा 33 केवी एचटी लाइन कसौली फीडर में ट्रिपिंग दर्ज की गई थी. चूंकि सह-अक्षीय केबल तार का एक लंबा टुकड़ा 33 केवी एचटी लाइन से लटका हुआ था, जो जमीन से कुछ फीट ऊपर था और लाइन को डिस्कनेक्ट नहीं किया गया था.
बिजली बोर्ड के अनुसार महिला को इसी लटकते सह-अक्षीय केबल तार से 33 केवी हाई टेंशन के सीधे संपर्क में आने के कारण हुई. बोर्ड का कहना था कि चूंकि स्थानीय निवासियों द्वारा प्रतिवादी-बोर्ड या पुलिस को कोई शिकायत नहीं की गई थी, इसलिए करंट की कथित घटना से पहले कोई सुधारात्मक उपाय नहीं किया जा सका. प्रतिवादी बोर्ड ने कहा कि महिला की करंट लगने से मौत में बिजली बोर्ड की कोई गलती नहीं थी.
हाईकोर्ट ने मामले का निपटारा करते हुए कहा कि बिजली बोर्ड ने दुर्भाग्यपूर्ण हादसे को रोकने के लिए सभी उपाय किए थे. ये भी सही है कि बिजली बोर्ड मानव जीवन के लिए खतरनाक या जोखिम भरा काम करता है. लेकिन फिर भी बोर्ड अपकृत्य कानून के तहत हर्जाना देने के लिए उत्तरदायी है. उल्लेखनीय है कि अपकृत्य एक सिविल दोष है, जिसमें पीड़ित व्यक्ति को क्षतिपूर्ति दिलाई जाती है.