शिमला: अनुकंपा नीति के तहत नियुक्त प्रार्थी के हक में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अहम फैसला दिया है. हाईकोर्ट ने अनुकंपा नीति के तहत नियुक्त प्रार्थी को डेली वेजर की बजाय अनुबंध आधार पर नियुक्ति प्रदान करने के आदेश जारी किए हैं. हाईकोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ ने राजस्व विभाग में नियुक्त सुरिंदर कुमार की याचिका को स्वीकार करते हुए उपरोक्त आदेश जारी किए हैं.
इस मामले में प्रतिवादियों (राजस्व विभाग के संबंधित अधिकारियों) ने प्रार्थी सुरिंदर कुमार को अनुकंपा नीति के तहत दैनिक वेतन भोगी के रूप में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नियुक्त किया था. मामले के अनुसार याचिकाकर्ता के पिता की मृत्यु 26 जून 2003 को हो गई थी. याचिकाकर्ता ने दिसंबर, 2003 में अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए आवेदन किया था. जिस समय प्रार्थी सुरिंदर कुमार के पिता की मौत हुई, उस समय वर्ष 1990 की अनुकंपा नीति प्रभावी थी.
वर्ष 1990 की अनुकंपा नीति में नियमित आधार पर सेवारत किसी कर्मचारी की मौत होने पर आश्रितों को डेली वेजर के आधार पर रोजगार का प्रावधान नहीं था. उस समय अनुबंध आधार पर रोजगार का प्रावधान था. साथ ही, जब प्रार्थी ने अनुकंपा के आधार पर पिता की जगह नौकरी के लिए आवेदन किया, उस दौरान भी 1990 की अनुकंपा नीति प्रभावी थी. हाईकोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता का मामला 1990 की नीति के अंतर्गत आता है. प्रतिवादियों ने 1990 की नीति के अंतर्गत अनुकंपा के आधार पर रोजगार के लिए याचिकाकर्ता के मामले पर स्वयं विचार किया है. प्रार्थी की मांग थी कि उसे नियमित नियुक्ति दी जाए, लेकिन हाईकोर्ट ने उस मांग को अस्वीकार कर दिया.
इस बिंदु पर हाईकोर्ट का मानना था कि जब उचित भर्ती एवं चयन प्रक्रिया का पालन करने के बाद अनुबंध के आधार पर नियुक्ति मिलती है तो किसी व्यक्ति को अनुकंपा के आधार पर रेगुलर नियुक्ति का अधिकार नहीं दिया जा सकता. यदि ऐसा किया जाए तो यह उचित भर्ती प्रक्रिया के तहत रेगुलर नियुक्त किए गए लोगों के प्रति अनुचित होगा. इसलिए याचिकाकर्ता को अनुकंपा के आधार पर नियमित नियुक्ति का हकदार नहीं माना जा सकता है, लेकिन वह निश्चित रूप से अनुबंध आधार पर नियुक्ति का हकदार है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को दैनिक वेतन के आधार पर अपनी प्रारंभिक नियुक्ति की तारीख से अनुबंध नियुक्ति पर माने जाने के आदेश जारी किए.