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हिमाचल में हर साल डूबने से हो रही 500 लोगों की मौत, सबसे ज्यादा कांगड़ा और मंडी में हो रहे हादसे - Himachal Drowning Death Case

Deaths by Drowning in Himachal: हिमाचल प्रदेश में हर साल डूबने के कारण करीब 500 लोगों की मौत हो रही है. जिसके चलते अब 26 ऐसे हॉटस्पॉट की पहचान की गई है, सबसे ज्यादा डूबने से मौत होती है. इसके अलावा अब पुलिस, एसडीआरएफ और होमगार्ड के जवान को भी ट्रेंड किया जाएगा.

Deaths by Drowning in Himachal
हिमाचल में डूबने से मौत का आंकड़ा (File Photo)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 10, 2024, 11:52 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में डूबने से हर साल औसतन 500 लोगों की मौत हो रही है. इसके लिए एसडीआरएफ, लोकल पुलिस और होमगार्ड के जवानों को ट्रेंड किया जाएगा. डीजीपी डॉ. अतुल वर्मा ने बताया कि हर साल, हिमाचल प्रदेश में डूबने से औसतन 500 मौतें होती हैं. 2006 से 2010 के बीच किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि प्रदेश में हर साल डूबने से 500 से ज्यादा मौतें हुई हैं, जिनमें से 75% आकस्मिक और 16% आत्महत्या थीं.

26 हॉटस्पॉट की पहचान

डीजीपी डॉ. अतुल वर्मा ने बताया कि डूबने की अधिकांश घटनाएं गर्मियों में 34% और मानसून में 31% मौसम के दौरान हुई हैं. कांगड़ा और मंडी जिले में सबसे ज्यादा डूबने की घटनाएं हुई हैं. जहां सबसे ज्यादा डूबने से लोगों की मौतें हुई है, ऐसे 26 हॉटस्पॉट की पहचान की गई है. पुलिस प्रशासन द्वारा इन हॉटस्पॉट की निगरानी की जाएगी और ये सुनिश्चित किया जाएगा कि लोग को जय निकायों के पास जाने से रोका जा सके.

डूबने की घटनाओं के लिए तैयार की एसओपी

एसटीआरएफ के एसपी अर्जित सेन ठाकुर ने बताया कि इसके लिए एक एसओपी तैयार की गई है. जिसमें डूबने की घटनाओं को रोकने और किसी भी घटना के होने की स्थिति पर जल्द से जल्द प्रतिक्रिया करने के लिए तैयारियां की गई है. इसके तहत डूबने की घटनाओं पर तुरंत एक्शन, बचाव और पुनर्प्राप्ति अभियान भी चलाया जाएगा. ऐसी घटनाओं में पुलिस और मेडिकल टीम की भूमिका और जिम्मेदारियां महत्वपूर्ण रहेगी. हालांकि लोगों को खतरनाक जगहों पर जाने से रोकने लिए कुछ कर्मियों की इन हॉटस्पॉट पर नियमित ड्यूटी लगाई जाएगी. इसलिए इन हॉटस्पॉट वाले पुलिस स्टेशनों से होमगार्ड की पहचान की गई है, जो लाइफ गार्ड के तौर पर काम करेंगे.

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शिमला: हिमाचल प्रदेश में डूबने से हर साल औसतन 500 लोगों की मौत हो रही है. इसके लिए एसडीआरएफ, लोकल पुलिस और होमगार्ड के जवानों को ट्रेंड किया जाएगा. डीजीपी डॉ. अतुल वर्मा ने बताया कि हर साल, हिमाचल प्रदेश में डूबने से औसतन 500 मौतें होती हैं. 2006 से 2010 के बीच किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि प्रदेश में हर साल डूबने से 500 से ज्यादा मौतें हुई हैं, जिनमें से 75% आकस्मिक और 16% आत्महत्या थीं.

26 हॉटस्पॉट की पहचान

डीजीपी डॉ. अतुल वर्मा ने बताया कि डूबने की अधिकांश घटनाएं गर्मियों में 34% और मानसून में 31% मौसम के दौरान हुई हैं. कांगड़ा और मंडी जिले में सबसे ज्यादा डूबने की घटनाएं हुई हैं. जहां सबसे ज्यादा डूबने से लोगों की मौतें हुई है, ऐसे 26 हॉटस्पॉट की पहचान की गई है. पुलिस प्रशासन द्वारा इन हॉटस्पॉट की निगरानी की जाएगी और ये सुनिश्चित किया जाएगा कि लोग को जय निकायों के पास जाने से रोका जा सके.

डूबने की घटनाओं के लिए तैयार की एसओपी

एसटीआरएफ के एसपी अर्जित सेन ठाकुर ने बताया कि इसके लिए एक एसओपी तैयार की गई है. जिसमें डूबने की घटनाओं को रोकने और किसी भी घटना के होने की स्थिति पर जल्द से जल्द प्रतिक्रिया करने के लिए तैयारियां की गई है. इसके तहत डूबने की घटनाओं पर तुरंत एक्शन, बचाव और पुनर्प्राप्ति अभियान भी चलाया जाएगा. ऐसी घटनाओं में पुलिस और मेडिकल टीम की भूमिका और जिम्मेदारियां महत्वपूर्ण रहेगी. हालांकि लोगों को खतरनाक जगहों पर जाने से रोकने लिए कुछ कर्मियों की इन हॉटस्पॉट पर नियमित ड्यूटी लगाई जाएगी. इसलिए इन हॉटस्पॉट वाले पुलिस स्टेशनों से होमगार्ड की पहचान की गई है, जो लाइफ गार्ड के तौर पर काम करेंगे.

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