शिमला: देश के उत्तरी राज्य हरियाणा में विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित हो गए हैं. भाजपा पिछले दो चुनाव के प्रदर्शन में सुधार करते हुए रिकॉर्ड तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है.
वहीं, हरियाणा में कांग्रेस की लोगों को दी गई गारंटियां काम नहीं आईं. अपने खराब प्रदर्शन के कारण कांग्रेस बहुमत के जादुई आंकड़े से दूर रह कर सत्ता की रेस से बाहर हो गई है.
दिलचस्प है कि हरियाणा में भी कांग्रेस हिमाचल में दी गई गारंटियां के दम पर सत्ता हासिल करने की उम्मीद से चुनावी रण में उतरी थी. हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी हरियाणा में आखिरी दो दिन चुनाव प्रचार के दौरान हिमाचल में लोगों को दी गई दस गारंटियों का काफी गुणगान किया लेकिन हरियाणा की जनता ने कांग्रेस के सभी वादों को नकारते हुए भाजपा के पक्ष में मतदान किया.
सभी तरह के दावों के बावजूद कांग्रेस इस बार विधानसभा चुनाव में 37 सीटें ही जीतने में सफल रही, जो बहुमत के आंकड़े से 9 सीटें कम थी. अब भाजपा अगले कुछ दिनों में राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करेगी.
हिमाचल, कर्नाटक और तेलंगाना के लोग कांग्रेस को मौका देकर आज पछता रहे हैं...
— BJP (@BJP4India) September 14, 2024
जनता की परेशानी से, जनता की समस्याओं से कांग्रेस को कभी कोई फर्क नहीं पड़ता।
कांग्रेस से बड़ी बेईमान और धोखेबाज पार्टी देश में और कोई नहीं है। कांग्रेस कट्टर बेईमान पार्टी है।
- पीएम श्री… pic.twitter.com/6pA6VMUpSp
PM मोदी ने भी भुनाया हिमाचल का वित्तीय संकट
कुरुक्षेत्र में चुनावी रैली में पीएम नरेंद्र मोदी ने हिमाचल की सुक्खू सरकार के बहाने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा था. पीएम मोदी ने जनता को संबोधित करते हुए कहा था, "आपके पड़ोस में हिमाचल प्रदेश है. वहां 2 साल पहले कांग्रेस की सरकार बनी, लेकिन आज वहां क्या स्थिति है? हिमाचल का कोई भी नागरिक खुश नहीं है. कांग्रेस ने वहां हर वर्ग को झूठ की घुट्टी पिलाई थी. चुनाव में कांग्रेस ने जो भी वादे किए, उनमें से कोई वादा पूरा नहीं किया. आज सरकारी कर्मचारियों को वहां अपने हक की सैलरी के लिए हड़ताल करनी पड़ रही है. कर्मचारियों को डीए नहीं मिल रहा है. हिमाचल के मुख्यमंत्री और मंत्रियों तक को अपनी सैलरी छोड़ने का दिखावा करना पड़ रहा है".
हरियाणा विधानसभा चुनावों में “फिर एक बार भाजपा सरकार” मोदी मैजिक व भाजपा के समर्पित कार्यकर्ताओं की अथक मेहनत का परिणाम है।
— Anurag Thakur (@ianuragthakur) October 8, 2024
हरियाणा में भाजपा की यह यह जीत आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व पर बढ़ते भरोसे का प्रमाण है। भाजपा ने बिना बँटे, बिना कटे पूरी एकजुटता… pic.twitter.com/Iwsn9TmdTe
भाजपा ने चुनाव में भुनाया वित्तीय संकट
हिमाचल में सुक्खू सरकार के वित्तीय संकट को हरियाणा के विधानसभा चुनाव में खूब भुनाया गया. भाजपा ने हिमाचल में लोगों को दी गई 10 गारंटियां पूरा ना करने को लेकर भी हरियाणा में चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस को घेरा.
हिमाचल में वित्तीय संकट की वजह से सितम्बर महीने की पहली तारीख को कर्मचारियों के खाते में सैलरी नहीं डाली गई. प्रदेश में उस दौरान चल रहे विधानसभा के मॉनसून सत्र में भी पहली तारीख को सैलरी न डाले जाने पर भाजपा ने सुक्खू सरकार को घेरा.
वहीं, पेंशनर्स के खाते में भी 10 सितम्बर को पेंशन डाली गई. हालांकि इस महीने सरकार ने कर्मचारियों के खाते में पहली तारीख को सैलरी तो डाल दी, लेकिन पेंशनर्स को 9 अक्टूबर को पेंशन डालने का भरोसा दिया गया.
स्वच्छता अभियान के अंतर्गत हिमाचल 100% ODF हो गया है।
— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) October 4, 2024
लेकिन आज मुझे यहां सुनने को मिला कि सुक्खू जी ने यहां टॉयलेट पर भी टैक्स लगा दिया है। इस कांग्रेस सरकार की बुद्धि भ्रष्ट हो गई है! pic.twitter.com/ytcs7Z00AT
टॉयलेट सीट पर 25 रुपए टैक्स का मुद्दा भी उछला
हरियाणा में मतदान से ठीक पहले भाजपा ने हिमाचल में सुक्खू सरकार का टॉयलेट सीट पर 25 रुपये टैक्स वसूलने के मुद्दे को भी खूब उछाला. बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने हाल में अपने बिलासपुर दौरे के दौरान कहा था "सीएम सुक्खू ने टॉयलेट पर टैक्स लगा दिया इस सरकार की बुद्धि और मति दोनों भ्रष्ट हो चुकी हैं और कांग्रेस राज में भ्रष्टाचार बढ़ा है."
हालांकि मुख्यमंत्री ने मीडिया के सामने आकर इस तरह के टैक्स को ना लगाए जाने पर अपनी सफाई भी दी. सीएम सुक्खू ने कहा कि हरियाणा चुनाव को देखते हुए भाजपा कभी हिंदू-मुसलमान और अब टॉयलेट सीट पर टैक्स लगाने का झूठा प्रचार कर मतदाताओं को प्रभावित करने का प्रयास कर रही है लेकिन जनता ने सीएम सुक्खू की बात को सिरे से नकार दिया. ये हरियाणा में कांग्रेस के लिए चुनाव में नुकसानदायक साबित हुआ.
हिमाचल में ये हैं कांग्रेस की 10 गारंटियां
हिमाचल में साल 2022 में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने सत्ता हासिल करने के लिए 10 गारंटियां दी थीं. इसमें सबसे पहली गारंटी पुरानी पेंशन की बहाली, युवाओं के लिए 5 लाख रोजगार, महिलाओं के लिए हर महीने 1500 रुपये, 300 यूनिट फ्री बिजली, बागवानों को फलों की कीमत तय करने का अधिकार, युवाओं के लिए 680 करोड़ रुपये का स्टार्ट-अप फंड, हर विधानसभा में 4 अंग्रेजी मीडियम स्कूल खोलना, मोबाइल क्लीनिक से हर गांव में मुफ्त इलाज, पशुपालकों से गाय का दूध 80 रुपये और भैंस का दूध 100 रुपये प्रति लीटर खरीदना व किसानों से 2 रुपये में गोबर खरीदने की गारंटी शामिल थी.
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