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एमआईएस के तहत सरकार पर बागवानों का 78 करोड़ बकाया, कांग्रेस विधायक बोले-बाजार से महंगे उपकरण दे रही सरकार

Himachal Budget Session 2024: हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र में बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने बताया कि बागवानों से 52915 मीट्रिक टन से ज्यादा सेब खरीदा गया. एमआईएस के तहत किसानों-बागवानों का 78 करोड़ रुपए बकाया बाकी है. इस वित्तीय वर्ष के 62 करोड़ रुपए बकाए के बचे हैं.

Himachal Budget Session 2024
हिमाचल बजट सत्र 2024
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Feb 22, 2024, 7:06 AM IST

शिमला: हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र में कांग्रेस विधायक कुलदीप राठौर ने मंडी मध्यस्थता योजना के संदर्भ में सवाल किया. विधायक राठौर जानना चाहते थे कि मंडी मध्यस्थता योजना यानी एमआईएस के तहत सरकार ने कितना सेब खरीदा और बागवानों को कितने रुपए देने बाकी हैं. जवाब में बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि बागवानों से 52915 मीट्रिक टन से अधिक सेब खरीदा गया. इस सेब का मूल्य 63 करोड़ से अधिक है.

किसानों-बागवानों का 78 करोड़ बकाया

बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने बताया कि मंडी मध्यस्थता योजना के तहत किसानों और बागवानों को सेब और अन्य फलों का 78 करोड़ रुपए बकाया दिया जाना बाकी है. इनमें से इस साल का 62.29 करोड़ रुपए है. साथ ही बाकी रकम पिछले बकाए के तौर पर है. उन्होंने कहा कि 2022-23 की कुल बकाया रकम 86 करोड़ रुपए थी. इसमें से काफी भुगतान किया गया है और इसका बचा हुआ 15 करोड़ रुपए देनदारी के रूप में है. इस वित्तीय वर्ष के 62 करोड़ रुपए बकाए के बचे हैं.

विधायक कुलदीप राठौर का सवाल

अनुपूरक सवाल पूछते हुए कुलदीप राठौर ने कहा कि अभी एचपीएमसी (हिमाचल प्रदेश हॉर्टिकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग एंड प्रोसेसिंग कारपोरेशन) व हिमफैड की काफी लायबिलिटी हैं. इनमें से एचपीएमसी की 39 करोड़ व हिमफैड की 22 करोड़ रुपए देनदारियां हैं. राठौर ने कहा कि सरकार बकाए के एवज में जो कृषि व बागवानी उपकरण देती है, वो बाजार से महंगे होते हैं. राठौर ने उदाहरण दिया कि स्प्रे के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला इंडियन ऑयल सर्वो का बाजार रेट बीस लीटर का 2450 रुपए है. वहीं, हिमफैड इसे 2750 रुपए में देता है.

बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी का जवाब

इस पर बागवानी मंत्री ने कहा कि बकाया पैसे के बदले में उपकरण देने का प्रचलन काफी पुराना है. उन्होंने कहा कि केंद्र से एमआईएस के तहत पैसा मिलता था, लेकिन इस बार वहां से केवल मात्र एक लाख रुपए का ही प्रावधान किया गया है. जो उपकरण दिए जा रहे हैं, वह बाजार से सस्ते हैं. उन्होंने कहा कि एचपीएमसी ने अपनी कमीशन भी कम की है और यह उपकरण अब बाजार से सस्ते हैं. मंत्री ने बताया कि हाल ही में एचपीएमसी ने 22 करोड़ रुपए के इनपुट्स बागवानों को दिए हैं.

अनुपूरक सवाल में भाजपा विधायक बलवीर वर्मा ने कहा कि एमआईएस के तहत सीमांत बागवानों का सेब लिया जाता है. आईआरडीपी के तहत आने वाले छोटे बागवानों का कुल 15 से 20 बोरी सेब एमआईएस के तहत लिया जाता है. सर्दियां आने पर ऐसे बागवानों ने राशन-पानी लेना होता है. ऐसे में उन्हें प्राथमिकता के आधार पर जल्द पेमेंट दी जानी चाहिए.

ये भी पढ़ें: विधानसभा में बल्क ड्रग और मेडिकल डिवाइस पार्क पर हंगामा, सीएम बोले, अपनी शर्तों पर काम करेगी सरकार

शिमला: हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र में कांग्रेस विधायक कुलदीप राठौर ने मंडी मध्यस्थता योजना के संदर्भ में सवाल किया. विधायक राठौर जानना चाहते थे कि मंडी मध्यस्थता योजना यानी एमआईएस के तहत सरकार ने कितना सेब खरीदा और बागवानों को कितने रुपए देने बाकी हैं. जवाब में बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि बागवानों से 52915 मीट्रिक टन से अधिक सेब खरीदा गया. इस सेब का मूल्य 63 करोड़ से अधिक है.

किसानों-बागवानों का 78 करोड़ बकाया

बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने बताया कि मंडी मध्यस्थता योजना के तहत किसानों और बागवानों को सेब और अन्य फलों का 78 करोड़ रुपए बकाया दिया जाना बाकी है. इनमें से इस साल का 62.29 करोड़ रुपए है. साथ ही बाकी रकम पिछले बकाए के तौर पर है. उन्होंने कहा कि 2022-23 की कुल बकाया रकम 86 करोड़ रुपए थी. इसमें से काफी भुगतान किया गया है और इसका बचा हुआ 15 करोड़ रुपए देनदारी के रूप में है. इस वित्तीय वर्ष के 62 करोड़ रुपए बकाए के बचे हैं.

विधायक कुलदीप राठौर का सवाल

अनुपूरक सवाल पूछते हुए कुलदीप राठौर ने कहा कि अभी एचपीएमसी (हिमाचल प्रदेश हॉर्टिकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग एंड प्रोसेसिंग कारपोरेशन) व हिमफैड की काफी लायबिलिटी हैं. इनमें से एचपीएमसी की 39 करोड़ व हिमफैड की 22 करोड़ रुपए देनदारियां हैं. राठौर ने कहा कि सरकार बकाए के एवज में जो कृषि व बागवानी उपकरण देती है, वो बाजार से महंगे होते हैं. राठौर ने उदाहरण दिया कि स्प्रे के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला इंडियन ऑयल सर्वो का बाजार रेट बीस लीटर का 2450 रुपए है. वहीं, हिमफैड इसे 2750 रुपए में देता है.

बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी का जवाब

इस पर बागवानी मंत्री ने कहा कि बकाया पैसे के बदले में उपकरण देने का प्रचलन काफी पुराना है. उन्होंने कहा कि केंद्र से एमआईएस के तहत पैसा मिलता था, लेकिन इस बार वहां से केवल मात्र एक लाख रुपए का ही प्रावधान किया गया है. जो उपकरण दिए जा रहे हैं, वह बाजार से सस्ते हैं. उन्होंने कहा कि एचपीएमसी ने अपनी कमीशन भी कम की है और यह उपकरण अब बाजार से सस्ते हैं. मंत्री ने बताया कि हाल ही में एचपीएमसी ने 22 करोड़ रुपए के इनपुट्स बागवानों को दिए हैं.

अनुपूरक सवाल में भाजपा विधायक बलवीर वर्मा ने कहा कि एमआईएस के तहत सीमांत बागवानों का सेब लिया जाता है. आईआरडीपी के तहत आने वाले छोटे बागवानों का कुल 15 से 20 बोरी सेब एमआईएस के तहत लिया जाता है. सर्दियां आने पर ऐसे बागवानों ने राशन-पानी लेना होता है. ऐसे में उन्हें प्राथमिकता के आधार पर जल्द पेमेंट दी जानी चाहिए.

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