शिमला: हिमाचल में सर्दियों के मौसम में बर्फबारी ना होने से सेब की कम पैदावार होने की समस्या से परेशान बागवानों की मुश्किलें अब और बढ़ गई हैं. प्रदेश में सर्दियों के मौसम में बर्फबारी कम होने से सेब के लिए जरूरी चिलिंग आवर्स पूरे ना होने से फसल इस बार पहले ही कम है.
ऐसे में इन दिनों सेब के बगीचे अल्टरनेरिया नामक बीमारी की चपेट में आ गए हैं जिसका सीधा असर सेब के आकार और रंग पर हो रहा है. पौधों में पत्ते पीले पड़ कर समय से पहले झड़ रहे हैं जिससे हिमाचल में 5 हजार करोड़ रुपये की सेब की आर्थिकी पर संकट है. कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं ठियोग विधानसभा क्षेत्र के विधायक कुलदीप सिंह राठौर ने सेब के बगीचों में फैली इस बीमारी को महामारी घोषित करने की मांग की है.
95 फीसदी बगीचे बीमारी की चपेट में
कांग्रेस विधायक कुलदीप सिंह राठौर ने कहा सेब के बगीचे अल्टरनेरिया नामक बीमारी की चपेट में आने से प्रदेश के बागवान खासे चिंतित हैं. उन्होंने केंद्र सरकार से इस बीमारी की रोकथाम के लिए सहयोग की अपील की है.
कुलदीप सिंह राठौर ने कहा अल्टरनेरिया बीमारी प्रदेश के कई इलाकों में महामारी का रूप ले चुकी है. कुछ इलाकों में 95 फीसदी बगीचे बीमारी की चपेट में आ गए हैं. ऐसे में प्रदेश सरकार केंद्र सरकार से बातचीत कर इसकी रोकथाम के लिए कदम उठाए.
साल 1982-83 में भी सेब के बगीचों में स्कैब की बीमारी लगी थी जिस पर समय रहते कदम उठाए गए और केन्द्र सरकार से उस समय मदद ली गई थी. हालांकि बागवानी विभाग ने टीमें भेजी हैं, लेकिन इस बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए रिसर्च की जरूरत है.
बाजार में आ रही दवाइयों की गुणवत्ता पर सवाल
कुलदीप राठौर ने कहा मार्केट में उपलब्ध दवाइयों की गुणवत्ता पर भी सवाल उठ रहे हैं. इसकी भी मॉनिटरिंग होनी चाहिए. इसके अलावा विदेशों से आयात हो रहे सेब के पौधों पर भी शक की नजरें हैं. इन पौधों को क्वारंटाइन करने के बाद ही बागवानों को उपलब्ध करवाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सेब के साथ विदेशों से बीमारियों का आयात नहीं होना चाहिए. यह सरकार और बागवानी विभाग को सुनिश्चित करना है. सेब पहले ही घाटे का सौदा बनता जा रहा है. ऐसे में बीमारियों के पनपने से सेब उत्पादन हिमाचल में बेहद मुश्किल हो जाएगा.
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