जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने हत्या के प्रयास और धमकाने से जुड़े मामले में एफएसएल निदेशक से शपथ पत्र पेश करने को कहा है. अदालत ने शपथ पत्र में यह बताने को कहा है कि जिस दिन इस प्रकरण में परीक्षण कर रिपोर्ट भिजवाई गई थी, उस दिन इस प्रकृति के कौन-कौन से नमूने परीक्षण के लिए लंबित थे और वे किस तिथि को प्राप्त हुए थे. वहीं अदालत ने प्रकरण के अनुसंधान अधिकारी को कहा है कि वे प्रकरण के सह आरोपी कुलविन्दर सिंह के संबंध में जांच पूरी हुए बिना आरोप पत्र पेश करने के संबंध में अपना स्पष्टीकरण पेश करें.
जस्टिस शुभा मेहता की एकलपीठ ने यह आदेश हरप्रीत सिंह और तेजिंदर पाल सिंह की जमानत याचिका को खारिज करते हुए दिए. सुनवाई के दौरान अदालती आदेश की पालना में एफएसएल निदेशक अदालत में पेश हुए. उन्होंने इस प्रकरण में एक माह के भीतर ही रिपोर्ट पेश करने के संबंध में अदालत में जवाब पेश किया. निदेशक ने कहा कि प्रयोगशाला में जैविक, सीरम, फोटो, अस्त्रक्षेप और पोलीग्राफ आदि प्रकरण कम संख्या में हैं. ऐसे में इन प्रकरणों में परीक्षण पूरा कर जल्दी रिपोर्ट भेज दी जाती है. इस पर अदालत ने रिपोर्ट देने के समय समान प्रकृति के लंबित प्रकरणों की जानकारी पेश करने को कहा है.
जमानत याचिका में कहा गया कि प्रकरण में पीड़ित को गोली मारना बताया गया है, जबकि जांच में गोली बरामद नहीं हुई है. इसके अलावा पीड़ित के शरीर में गोली निकलने का कोई घाव नहीं है. वहीं एफएसएल रिपोर्ट में भी घाव के आसपास गन पाउडर नहीं मिला है, इसलिए आरोपियों को जमानत का लाभ दिया जाए. वहीं सरकारी वकील और पीड़ित पक्ष की ओर से कहा गया कि चोट प्रतिवेदन में घुटने के नीचे गोली लगने से हुआ घाव बताया गया है. प्रकरण में पेश एफएसएल रिपोर्ट भी दुर्भावनापूर्वक तैयार कराई गई है. वहीं जांच अधिकारी ने आनन फानन में हत्या का प्रयास और आर्म्स एक्ट का अपराध प्रमाणित नहीं मानते हुए चालान पेश कर दिया, जबकि अन्य आरोपियों के खिलाफ और गन शॉट के संबंध में सही प्रकार से जांच नहीं की गई. एफएसएल रिपोर्ट के बाद भी मेडिकल ज्यूरिस्ट ने घाव गोली लगने जैसा ही बताया है. ऐसे में जमानत याचिका को खारिज किया जाए. सभी पक्षों को सुनने ने बाद अदालत ने जमानत याचिका को खारिज कर एफएसएल निदेशक से समान प्रकृति के लंबित प्रकरणों को लेकर जानकारी मांगी है.