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हाईकोर्ट का फैसला, रेप के आरोपी की उम्रकैद सात साल के कारावास में तब्दील; एससी/एसटी एक्ट और मारपीट के आरोप की सजा रद्द - High court news - HIGH COURT NEWS

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाहजहांपुर के मदनपुर थानाक्षेत्र के एक घर में घुसकर कर पांच बच्चों की मां के साथ रेप के आरोप को सही पाया है, लेकिन इस अपराध के लिए मिली उम्रकैद को घटाकर सात साल कैद में तब्दील कर दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
इलाहाबाद हाईकोर्ट. (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 3, 2024, 10:30 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाहजहांपुर के मदनपुर थानाक्षेत्र के एक घर में घुसकर कर पांच बच्चों की मां के साथ रेप के आरोप को सही पाया है, लेकिन इस अपराध के लिए मिली उम्रकैद को घटाकर सात साल कैद में तब्दील कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र एवं न्यायमूर्ति एमएएच इदरीसी की खंडपीठ ने श्याम वीर की सजा के खिलाफ आपराधिक अपील पर उसके अधिवक्ता ऋतेश सिंह और सरकारी वकील को सुनकर इसे आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि सत्र न्यायालय ने अधिकतम सजा सुनाई है, जो उचित नहीं है. साथ ही कोई चोट न होने के कारण अभियुक्त को मारपीट व एससी/एसटी एक्ट के तहत सुनाई गई सजा भी रद्द कर दी है.

पीड़िता की एफआईआर में आरोप था कि पीड़िता के पति बाहर काम से गए थे. उसके पांचों बच्चे छत पर खेल रहे थे. पीड़िता खाना बना रही थी, तभी आरोपी ने घर में घुसकर मारपीट व रेप किया. पीड़िता को 20 सप्ताह का गर्भ था. शोर मचाने पर बेटा उदयवीर आया तो आरोपी भाग गया. आरोपी का कहना था कि मेडिकल रिपोर्ट में कोई चोट नहीं पाई गई. साथ ही आठ सप्ताह छह दिन का गर्भ पाया गया. मेडिकल रिपोर्ट अभियोजन कहानी का समर्थन नहीं करती. रेप का आरोप बेबुनियाद है.

कोर्ट ने कहा कि मेडिकल 40 घंटे बाद किया गया इसलिए विश्वसनीय नहीं माना जा सकता. पीड़िता के बयान में तारतम्यता व एकरूपता है. कोर्ट ने रेप के आरोप में उम्रकैद की सजा को सही नहीं माना और कहा कि यह अधिकतम सजा है. आईपीसी की धारा 376 में सात साल कैद से उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है. इसी के साथ कोर्ट ने सत्र अदालत की सजा को संशोधित करते हुए सात साल कैद व 50 हजार रुपये के जुर्माना कर दिया.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाहजहांपुर के मदनपुर थानाक्षेत्र के एक घर में घुसकर कर पांच बच्चों की मां के साथ रेप के आरोप को सही पाया है, लेकिन इस अपराध के लिए मिली उम्रकैद को घटाकर सात साल कैद में तब्दील कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र एवं न्यायमूर्ति एमएएच इदरीसी की खंडपीठ ने श्याम वीर की सजा के खिलाफ आपराधिक अपील पर उसके अधिवक्ता ऋतेश सिंह और सरकारी वकील को सुनकर इसे आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि सत्र न्यायालय ने अधिकतम सजा सुनाई है, जो उचित नहीं है. साथ ही कोई चोट न होने के कारण अभियुक्त को मारपीट व एससी/एसटी एक्ट के तहत सुनाई गई सजा भी रद्द कर दी है.

पीड़िता की एफआईआर में आरोप था कि पीड़िता के पति बाहर काम से गए थे. उसके पांचों बच्चे छत पर खेल रहे थे. पीड़िता खाना बना रही थी, तभी आरोपी ने घर में घुसकर मारपीट व रेप किया. पीड़िता को 20 सप्ताह का गर्भ था. शोर मचाने पर बेटा उदयवीर आया तो आरोपी भाग गया. आरोपी का कहना था कि मेडिकल रिपोर्ट में कोई चोट नहीं पाई गई. साथ ही आठ सप्ताह छह दिन का गर्भ पाया गया. मेडिकल रिपोर्ट अभियोजन कहानी का समर्थन नहीं करती. रेप का आरोप बेबुनियाद है.

कोर्ट ने कहा कि मेडिकल 40 घंटे बाद किया गया इसलिए विश्वसनीय नहीं माना जा सकता. पीड़िता के बयान में तारतम्यता व एकरूपता है. कोर्ट ने रेप के आरोप में उम्रकैद की सजा को सही नहीं माना और कहा कि यह अधिकतम सजा है. आईपीसी की धारा 376 में सात साल कैद से उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है. इसी के साथ कोर्ट ने सत्र अदालत की सजा को संशोधित करते हुए सात साल कैद व 50 हजार रुपये के जुर्माना कर दिया.

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