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हंस फाउंडेशन सोमेश्वर महादेव मंदिर का नहीं करेगा मरम्मत कार्य, हाईकोर्ट ने शासन की जांच पूरी होने तक लगाई रोक - Nainital high court

Nainital high court हंस फाउंडेशन द्वारा सोमेश्वर महादेव मंदिर की मरम्मत करने पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. कोर्ट का कहना है कि जब, तक शासन की जांच पूरी नहीं होती, तब तक हंस फाउंडेशन मंदिर का मरम्मत कार्य नहीं कर सकता.

Nainital high court
उत्तराखंड हाईकोर्ट (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 14, 2024, 8:42 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उत्तरकाशी के ग्राम जखोल मोरी के पौराणिक सोमेश्वर महादेव मंदिर का हंस फाउंडेशन द्वारा मरम्मत किये जाने पर शासन द्वारा की जा रही जांच पूरी होने तक रोक लगा दी है. इस मामले में सोमेश्वर महादेव मंदिर समिति के संयुक्त सचिव रामलाल विश्वकर्मा की ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. जनहित याचिका की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रितू बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में हुई.

जनहित याचिका में कहा गया कि जखोल (मोरी) स्थित सोमेश्वर महादेव मंदिर सदियों पुराना है. यहां पांडवों द्वारा पूजा किये जाने की भी मान्यता है. 1861 में यहां आकर्षक नक्काशी युक्त मूर्ति स्थापित हुई. इस मंदिर में आसपास के 22 गांवों के ग्रामीणों सहित दूर दराज के लोगों की अटूट आस्था है. स्थानीय लोग इस मंदिर की मरम्मत पुरातत्व विभाग से कराने की मांग लंबे समय से कर रहे हैं. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि मंदिर का मरम्मत कार्य स्थानीय देव शिल्पियों द्वारा होगा, लेकिन हंस फाउंडेशन बाहर के मिस्त्रियों से यह काम कराना चाहता है.

मंदिर समिति ने इस संबंध में हंस फाउंडेशन के समक्ष विरोध दर्ज किया था. साथ ही संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज को भी प्रत्यावेदन दिया. उन्होंने इस मामले की जांच के आदेश विभाग के सचिव को दिए हैं. हाईकोर्ट ने मामले में सभी पक्षों की सुनवाई के बाद शासन द्वारा इस प्रकरण में सुनवाई की है. जांच पूरी होने तक हंस फाउंडेशन मंदिर के मरम्मत का कार्य आगे नहीं बढ़ाएगा. मामले की अगली सुनवाई 19 नवंबर को होगी.

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जनहित याचिका में कहा गया कि जखोल (मोरी) स्थित सोमेश्वर महादेव मंदिर सदियों पुराना है. यहां पांडवों द्वारा पूजा किये जाने की भी मान्यता है. 1861 में यहां आकर्षक नक्काशी युक्त मूर्ति स्थापित हुई. इस मंदिर में आसपास के 22 गांवों के ग्रामीणों सहित दूर दराज के लोगों की अटूट आस्था है. स्थानीय लोग इस मंदिर की मरम्मत पुरातत्व विभाग से कराने की मांग लंबे समय से कर रहे हैं. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि मंदिर का मरम्मत कार्य स्थानीय देव शिल्पियों द्वारा होगा, लेकिन हंस फाउंडेशन बाहर के मिस्त्रियों से यह काम कराना चाहता है.

मंदिर समिति ने इस संबंध में हंस फाउंडेशन के समक्ष विरोध दर्ज किया था. साथ ही संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज को भी प्रत्यावेदन दिया. उन्होंने इस मामले की जांच के आदेश विभाग के सचिव को दिए हैं. हाईकोर्ट ने मामले में सभी पक्षों की सुनवाई के बाद शासन द्वारा इस प्रकरण में सुनवाई की है. जांच पूरी होने तक हंस फाउंडेशन मंदिर के मरम्मत का कार्य आगे नहीं बढ़ाएगा. मामले की अगली सुनवाई 19 नवंबर को होगी.

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