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मेयर व पूर्व मेयर की पार्षद पद से निष्कासन के खिलाफ दायर याचिका खारिज, HC ने सही ठहराया शहरी विकास विभाग का आदेश - MC Solan case in High court

MC Solan case: नगर निगम सोलन की महापौर ऊषा शर्मा और पूर्व महापौर पूनम ग्रोवर ने सदस्यता समाप्त करने के आदेशों को चुनौती दी थी. इन आदेशों को हाईकोर्ट में रिट याचिका के माध्यम से चुनौती दी गयी थी.

MC SOLAN CASE IN HIGH COURT
निष्कासित महापौर ऊषा शर्मा और पूर्व महापौर पूनम ग्रोवर (ETV Bharat) (ETV Bharat file photo)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jun 25, 2024, 9:46 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने नगर निगम सोलन की महापौर ऊषा शर्मा और पूर्व महापौर पूनम ग्रोवर की पार्षद पद से निष्कासन के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने शहरी विकास विभाग के इस संबंध में जारी आदेशों को सही ठहराया.

प्रार्थियों ऊषा शर्मा व पूनम ग्रोवर ने उनकी सदस्यता समाप्त करने के आदेशों को चुनौती दी थी. उल्लेखनीय है कि शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव ने व्हिप के उल्लंघन की शिकायत से जुड़ी रिपोर्ट आने के बाद इनकी सदस्यता समाप्त करने के आदेश जारी किए थे.

इन आदेशों को हाईकोर्ट में रिट याचिका के माध्यम से चुनौती दी गयी थी. प्रार्थियों ने शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव सहित शहरी विकास विभाग के निदेशक, डीसी सोलन, नगर निगम सोलन के आयुक्त, भारतीय कांग्रेस कमेटी सोलन के जिलाध्यक्ष शिव कुमार को भी प्रतिवादी बनाया था.

इन पर आरोप था कि दोनों ने व्हिप का उल्लंघन किया व कांग्रेस पार्टी के निशान पर नगर निगम सोलन में पार्षद का चुनाव लड़ा था. सोलन में 7 दिसंबर को ढाई साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद नगर निगम में महापौर व उपमहापौर के चुनाव करवाए गए थे.

आरोप है कि इन चुनावों में कांग्रेस पार्टी की ओर से इन्हें प्रत्याशी न बनाए जाने पर महापौर ऊषा ने भाजपा पार्षदों के साथ मिलकर अपनी ही पार्टी के प्रत्याशी को हराकर यह पद हासिल किया था. कांग्रेस ने महापौर पद के लिए सरदार सिंह ठाकुर और उप महापौर पद के लिए पार्षद संगीता का नाम प्रस्तावित किया था.

यह घोषणा कांग्रेस पार्टी ने चुनाव से एक दिन पहले की थी. इतना होने पर भी चुनाव प्रक्रिया शुरू होते ही पूर्व महापौर पूनम ग्रोवर ने ऊषा का नाम महापौर पद के लिए प्रस्तावित कर दिया. इसके बाद महापौर कांग्रेस पार्टी की पार्षद ऊषा और उप महापौर भाजपा की प्रसाद मीरा आनंद बनी थीं. इसके बाद कांग्रेस जिलाध्यक्ष की शिकायत के बाद दोनों पर जांच बिठाई थी. उपायुक्त ने मामले की जांच की.

जांच रिपोर्ट आने के बाद दोनों को सदस्यता के अयोग्य करार दिया. प्रार्थियों का कहना था कि लिखित में पार्टी ने किसी उम्मीदवार की घोषणा महापौर और उप महापौर पद के लिए नहीं की थी. इस कारण प्रार्थी ऊषा ने बतौर कांग्रेस पार्टी उम्मीदवार नामांकन भरा. कोर्ट ने मामले से जुड़ी जांच रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद प्रार्थियों की दलीलों से असहमति जताई और याचिका खारिज कर दी.

ये भी पढ़ें: 30 साल से आसपास के स्कूलों में नौकरी कर रही थी महिला टीचर, तबादला होने पर छिपाए तथ्य, हाई कोर्ट ने सिखाया करारा सबक

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने नगर निगम सोलन की महापौर ऊषा शर्मा और पूर्व महापौर पूनम ग्रोवर की पार्षद पद से निष्कासन के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने शहरी विकास विभाग के इस संबंध में जारी आदेशों को सही ठहराया.

प्रार्थियों ऊषा शर्मा व पूनम ग्रोवर ने उनकी सदस्यता समाप्त करने के आदेशों को चुनौती दी थी. उल्लेखनीय है कि शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव ने व्हिप के उल्लंघन की शिकायत से जुड़ी रिपोर्ट आने के बाद इनकी सदस्यता समाप्त करने के आदेश जारी किए थे.

इन आदेशों को हाईकोर्ट में रिट याचिका के माध्यम से चुनौती दी गयी थी. प्रार्थियों ने शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव सहित शहरी विकास विभाग के निदेशक, डीसी सोलन, नगर निगम सोलन के आयुक्त, भारतीय कांग्रेस कमेटी सोलन के जिलाध्यक्ष शिव कुमार को भी प्रतिवादी बनाया था.

इन पर आरोप था कि दोनों ने व्हिप का उल्लंघन किया व कांग्रेस पार्टी के निशान पर नगर निगम सोलन में पार्षद का चुनाव लड़ा था. सोलन में 7 दिसंबर को ढाई साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद नगर निगम में महापौर व उपमहापौर के चुनाव करवाए गए थे.

आरोप है कि इन चुनावों में कांग्रेस पार्टी की ओर से इन्हें प्रत्याशी न बनाए जाने पर महापौर ऊषा ने भाजपा पार्षदों के साथ मिलकर अपनी ही पार्टी के प्रत्याशी को हराकर यह पद हासिल किया था. कांग्रेस ने महापौर पद के लिए सरदार सिंह ठाकुर और उप महापौर पद के लिए पार्षद संगीता का नाम प्रस्तावित किया था.

यह घोषणा कांग्रेस पार्टी ने चुनाव से एक दिन पहले की थी. इतना होने पर भी चुनाव प्रक्रिया शुरू होते ही पूर्व महापौर पूनम ग्रोवर ने ऊषा का नाम महापौर पद के लिए प्रस्तावित कर दिया. इसके बाद महापौर कांग्रेस पार्टी की पार्षद ऊषा और उप महापौर भाजपा की प्रसाद मीरा आनंद बनी थीं. इसके बाद कांग्रेस जिलाध्यक्ष की शिकायत के बाद दोनों पर जांच बिठाई थी. उपायुक्त ने मामले की जांच की.

जांच रिपोर्ट आने के बाद दोनों को सदस्यता के अयोग्य करार दिया. प्रार्थियों का कहना था कि लिखित में पार्टी ने किसी उम्मीदवार की घोषणा महापौर और उप महापौर पद के लिए नहीं की थी. इस कारण प्रार्थी ऊषा ने बतौर कांग्रेस पार्टी उम्मीदवार नामांकन भरा. कोर्ट ने मामले से जुड़ी जांच रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद प्रार्थियों की दलीलों से असहमति जताई और याचिका खारिज कर दी.

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