नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को दिल्ली दंगा मामले के आरोपी शरजील इमाम की वैधानिक जमानत याचिका पर सुनवाई 17 फरवरी तक पूरी करने के निर्देश दिए हैं. सुनवाई के दौरान शरजील इमाम की ओर से पेश वकील तालिब मुस्तफा ने कहा कि कड़कड़डूमा कोर्ट ने 22 जनवरी को हुई सुनवाई में इस याचिका पर 7 फरवरी को सुनवाई करने का आदेश दिया था.
उन्होंने इस याचिका पर जल्द सुनवाई करने का दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की. जस्टिस सुरेश कैत की अध्यक्षता वाली बेंच ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि वह 7 फरवरी को सुनवाई के बाद दस दिन के अंदर 17 फरवरी तक वैधानिक जमानत याचिका पर फैसला सुनाए.
बता दें कि शरजील इमाम की वैधानिक जमानत याचिका पर पहले कड़कड़डूमा कोर्ट के एडिशनल जज अमिताभ रावत सुनवाई कर रहे थे. उनका ट्रांसफर होने के बाद ने जज समीर बाजपेई ने इस मामले पर नए सिरे से सुनवाई करने का आदेश दिया था. इसके बाद शरजील इमाम ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी.
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9 दिसंबर 2023 को एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने दिल्ली पुलिस ने इस मामले में कुछ स्पष्टीकरण मांगे थे. सुनवाई के दौरान स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा था कि प्रावधानों में कुछ भ्रम है. उन्होंने कहा कि सवाल ये है कि क्या यूएपीए के तहत कोई आरोपी आधी सजा पूरी करने के बाद अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 436ए के तहत जमानत पाने का हकदार है. उन्होंने कहा था कि वह दो हफ्ते में इस पर स्पष्टीकरण दे देंगे।
अमित प्रसाद की दलील का शरजील इमाम की ओर से पेश वकील तालिब मुस्तफा ने विरोध करते हुए कहा कि वे दोषी सिद्ध होने के बाद के प्रावधानों का जिक्र कर रहे हैं जबकि शरजील इमाम अभी विचाराधीन कैदी है. इसलिए ये दलील सही नहीं मानी जा सकती है. तालिब मुस्तफा ने कहा कि शरजील इमाम की जमानत याचिका पर फैसला दो महीने से सुरक्षित है. अब और इंतजार नहीं किया जा सकता है.
कोर्ट ने 29 अगस्त 2023 को दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था. शरजील इमाम की ओर से वकील अहमद इब्राहिम और तालिब मुस्तफा ने याचिका में कहा है कि उसने अधिकतम 7 साल की सजा की आधी सजा काट ली है. ऐसे में उसको तत्काल जेल से रिहा किया जाए. याचिका में कहा गया है कि शरजील इमाम 28 जनवरी 2020 से हिरासत में है.
वैधानिक जमानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा था कि अपराध की गंभीरता को नजरंदाज़ नहीं किया जा सकता है. दिल्ली पुलिस का कहना था कि सिर्फ इसलिए कि आरोपी ने उसके ऊपर दर्ज मामलों में मिलने वाली अधिकतम सजा का आधा हिस्सा जेल मे बिता लिया है, इस आधार पर ज़मानत नहीं दी जा सकती है.
बता दें कि दिल्ली पुलिस ने शरजील इमाम के खिलाफ यूएपीए के तहत दाखिल चार्जशीट में कहा है कि शरजील इमाम ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को अखिल भारतीय स्तर पर ले जाने के लिए बेताब था और ऐसा करने की जी तोड़ कोशिश कर रहा था। दिल्ली पुलिस ने शरजील इमाम के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए, 153ए, 153बी और 505(2) के तहत एफआईआर दर्ज किया था।
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