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आरएएस परीक्षा में उत्तर पुस्तिका जांचने में मनमानी को लेकर पेश अभ्यावेदन तय करने के आदेश - Highcourt Order

एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने आरएएस भर्ती-2021 की मुख्य परीक्षा की उत्तर पुस्तिका जांचने में मनमानी को लेकर पेश होने वाले अभ्यावेदन को तय करने को कहा है.

आरएएस भर्ती 2021 मामला
आरएएस भर्ती 2021 मामला (ETV Bharat File Photo)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 3, 2024, 8:53 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आरएएस भर्ती-2021 की मुख्य परीक्षा की उत्तर पुस्तिका जांचने में मनमानी को लेकर पेश होने वाले अभ्यावेदन को तय करने को कहा है. अदालत ने कहा कि इस संबंध में याचिकाकर्ता की ओर से पेश होने वाले अभ्यावेदन को तय किया जाए कि सवालों के उत्तर जांचने के दौरान अंक देने में भेदभाव क्यों किया गया. जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश आशुतोष गुप्ता की याचिका का निस्तारण करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने आरएएस भर्ती की मुख्य परीक्षा में भाग लिया था. परीक्षा के प्रश्नपत्र में पूछे गए सवाल नंबर 12 और 19 के उत्तर को जांचने के बाद याचिकाकर्ता को शून्य अंक दिए गए, जबकि जब याचिकाकर्ता ने अन्य अभ्यर्थी की उत्तर पुस्तिका देखी, तो उसमें संबंधित अभ्यर्थी को अंक दिए गए थे, जबकि उस अभ्यर्थी ने भी याचिकाकर्ता की ओर से दिया जवाब ही दिया था.

इसे भी पढ़ें-समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष व महारानी कॉलेज प्रिंसिपल के निलंबन पर रोक - Ban On Suspension

इसे चुनौती देते हुए कहा गया कि आरएएस भर्ती प्रदेश की बड़े पदों के लिए आयोजित की जाती है. ऐसे में आरपीएससी से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह इसमें मनमानी करे. आयोग ने उत्तर पुस्तिका जांचने में मनमानी और भेदभाव किया है, यदि दोनों सवालों के अंक उसे दिए जाते, तो उसका साक्षात्कार के लिए चयन हो जाता. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को इस संबंध में अपना अभ्यावेदन आरपीएससी के समक्ष पेश करने को कहा है और आरपीएससी को उस अभ्यावेदन को तय करने को कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आरएएस भर्ती-2021 की मुख्य परीक्षा की उत्तर पुस्तिका जांचने में मनमानी को लेकर पेश होने वाले अभ्यावेदन को तय करने को कहा है. अदालत ने कहा कि इस संबंध में याचिकाकर्ता की ओर से पेश होने वाले अभ्यावेदन को तय किया जाए कि सवालों के उत्तर जांचने के दौरान अंक देने में भेदभाव क्यों किया गया. जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश आशुतोष गुप्ता की याचिका का निस्तारण करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने आरएएस भर्ती की मुख्य परीक्षा में भाग लिया था. परीक्षा के प्रश्नपत्र में पूछे गए सवाल नंबर 12 और 19 के उत्तर को जांचने के बाद याचिकाकर्ता को शून्य अंक दिए गए, जबकि जब याचिकाकर्ता ने अन्य अभ्यर्थी की उत्तर पुस्तिका देखी, तो उसमें संबंधित अभ्यर्थी को अंक दिए गए थे, जबकि उस अभ्यर्थी ने भी याचिकाकर्ता की ओर से दिया जवाब ही दिया था.

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इसे चुनौती देते हुए कहा गया कि आरएएस भर्ती प्रदेश की बड़े पदों के लिए आयोजित की जाती है. ऐसे में आरपीएससी से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह इसमें मनमानी करे. आयोग ने उत्तर पुस्तिका जांचने में मनमानी और भेदभाव किया है, यदि दोनों सवालों के अंक उसे दिए जाते, तो उसका साक्षात्कार के लिए चयन हो जाता. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को इस संबंध में अपना अभ्यावेदन आरपीएससी के समक्ष पेश करने को कहा है और आरपीएससी को उस अभ्यावेदन को तय करने को कहा है.

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