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शहीद पथ का नाम बदलने वाली याचिका खारिज, हाईकोर्ट ने की ऐसी टिप्पणी - High Court Lucknow Bench

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (High Court Lucknow Bench) ने अमर शहीद पथ का नाम बदलने वाली एक याचिका को निरस्त करते हुए गंभीर टिप्पणी की है. याचिका में दुर्घटनाओं को हवाला देकर ‘शहीद’ पथ के नाम से नकारात्मक अनुभूति की बात कही गई थी.

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच का आर्डर.
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच का आर्डर. (Photo Credit-Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 23, 2024, 10:38 PM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष पेश की गई एक जनहित याचिका में दुर्घटनाओं के नजरिए से शहीद पथ का नाम बदलने की गुजारिश की गई थी. याचिका में दलील दी गई थी कि शहीद पथ के नाम में सड़क दुर्घटनाओं के नजरिए से ‘शहीद’ शब्द से नकारात्मक अनुभूति होती है. संभव है कि इस सड़क पर होने वाली दुर्घटनाओं को देखते हुए, लोगों में इसके नाम को लेकर भय उत्पन्न होता है. याचिका में मांग की गई कि शहीद पथ का नाम बदलकर ‘प्रगति पथ’ कर दिया जाए.

न्यायालय ने दलील को तर्कहीन बताते हुए कहा कि हम मात्र इतना कह सकते हैं कि यह अंधविश्वास है और यही नहीं, ऐसा कहना शहीदों का अपमान भी है. इन टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने याचिका को खारिज कर दिया. यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने आदर्श मेहरोत्रा की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया.

सुनवाई के दौरान याची ने स्वयं ही न्यायालय को बताया कि नगर निगम ने अमर शहीद पथ का नाम डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम रोड करने सम्बंधी प्रस्ताव पारित कर रखा है. शहीद पथ का नाम परिवर्तित होना चाहिए, चाहे इसका नाम प्रगति पथ रखा जाए या फिर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम रोड. इस पर न्यायालय ने कहा कि ऐसे मामले न तो संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत सुने जा सकते हैं और न ही जनहित याचिका के तहत.

न्यायालय ने कहा कि जो भी प्राधिकारी शहीद पथ का नाम परिवर्तित करने में सक्षम हो, वह इसके लिए स्वतंत्र है. याचिका में शहीद पथ पर दुर्घटनाओं को कम करने के लिए कदम उठाने की भी मांग की गई थी. जिस पर न्यायालय ने कहा कि इस संबंध में भी याची की ओर से कोई डाटा नहीं दिया गया है. न्यायालय ने कहा कि इसका यह आशय नहीं है कि शहीद पथ पर दुर्घटनाएं नहीं होतीं, लेकिन ऐसे किसी डाटा के आभाव में हम इस प्रश्न पर भी विचार नहीं कर सकते.

यह भी पढ़ें : हाईकोर्ट का बड़ा आदेश, कम दहेज का ताना देना दंडात्मक अपराध नहीं - High Court

यह भी पढ़ें : कानून के गलत प्रयोग पर रद नहीं किया जा सकता वैध मध्यस्थता अवार्ड: HC - High Court News

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष पेश की गई एक जनहित याचिका में दुर्घटनाओं के नजरिए से शहीद पथ का नाम बदलने की गुजारिश की गई थी. याचिका में दलील दी गई थी कि शहीद पथ के नाम में सड़क दुर्घटनाओं के नजरिए से ‘शहीद’ शब्द से नकारात्मक अनुभूति होती है. संभव है कि इस सड़क पर होने वाली दुर्घटनाओं को देखते हुए, लोगों में इसके नाम को लेकर भय उत्पन्न होता है. याचिका में मांग की गई कि शहीद पथ का नाम बदलकर ‘प्रगति पथ’ कर दिया जाए.

न्यायालय ने दलील को तर्कहीन बताते हुए कहा कि हम मात्र इतना कह सकते हैं कि यह अंधविश्वास है और यही नहीं, ऐसा कहना शहीदों का अपमान भी है. इन टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने याचिका को खारिज कर दिया. यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने आदर्श मेहरोत्रा की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया.

सुनवाई के दौरान याची ने स्वयं ही न्यायालय को बताया कि नगर निगम ने अमर शहीद पथ का नाम डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम रोड करने सम्बंधी प्रस्ताव पारित कर रखा है. शहीद पथ का नाम परिवर्तित होना चाहिए, चाहे इसका नाम प्रगति पथ रखा जाए या फिर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम रोड. इस पर न्यायालय ने कहा कि ऐसे मामले न तो संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत सुने जा सकते हैं और न ही जनहित याचिका के तहत.

न्यायालय ने कहा कि जो भी प्राधिकारी शहीद पथ का नाम परिवर्तित करने में सक्षम हो, वह इसके लिए स्वतंत्र है. याचिका में शहीद पथ पर दुर्घटनाओं को कम करने के लिए कदम उठाने की भी मांग की गई थी. जिस पर न्यायालय ने कहा कि इस संबंध में भी याची की ओर से कोई डाटा नहीं दिया गया है. न्यायालय ने कहा कि इसका यह आशय नहीं है कि शहीद पथ पर दुर्घटनाएं नहीं होतीं, लेकिन ऐसे किसी डाटा के आभाव में हम इस प्रश्न पर भी विचार नहीं कर सकते.

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