ग्वालियर: मध्य प्रदेश के गृह विभाग में काम कर रहे और रिटायर हो चुके अधिकारियों-कर्मचारियों को हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच से बड़ी राहत मिली है. बता दें कि मध्य प्रदेश गृह विभाग द्वारा कई कर्मचारियों को गलती से उच्च कैडर के समान वेतन भुगतान किया गया और बाद में गलती का एहसास होने पर रिकवरी के नोटिस जारी किए गए. अब उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने याचिकाकर्ता कर्मचारियों के हक में फैसला देते हुए इन रिकवरी नोटिस को खारिज कर दिया है.
विभाग की गलती से हो गया था अधिक भुगतान
असल में गृह विभाग द्वारा अपने मिनिस्ट्रियल कैडर के विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों को पात्रता से अधिक वेतन भुगतान कर दिया था. इस केस से जुड़े वकील आलोक शर्मा ने बताया कि "गृह विभाग द्वारा मिनिस्ट्रियल कैडर के अधिकारियों कर्मचारियों को एग्जीक्यूटिव कैडर के समान वेतन का भुगतान किया था लेकिन जब विभाग को इस गलती का एहसास हुआ तो उन्होंने कई कर्मचारियों को 10 से 35 लाख रुपए तक की रिकवरी के लिए नोटिस जारी कर दिए थे."
3 साल में 35 याचिकाएं हुईं दायर
इन नोटिस के खिलाफ 2020 से 2023 तक करीब 35 याचिकाएं हाईकोर्ट के समक्ष दर्ज की गईं. जिनमें ऐसे 50 से अधिक पीड़ित कर्मचारियों अधिकारियों ने विभाग के नोटिस के खिलाफ याचिकाएं लगाई गई थीं. जिनमे कुछ इंडिविजुअल और कुछ में एक से ज्यादा पक्षकार थे.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व आदेश के हवाले से मिली राहत
इन सभी याचिकाओं पर लंबे समय तक चली सुनवाई के बाद मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ के जस्टिस मिलिंद रमेश फड़के ने सुनवाई की. उन्होंने पूर्व में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा है "कि अगर विभाग की गलती से किसी कर्मचारी को अधिक भुगतान किया जाता है तो वह विभाग कोई रिकवरी नहीं कर सकता. साथ ही कहा की वर्तमान में जो कर्मचारी विभाग के लिए कार्य कर रहे हैं उनके वेतन को दोबारा से निर्धारित किया जा सकता है जिससे कि आने वाले समय में इस तरह की पुनरावृत्ति ना हो."
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अधिकारी-कर्मचारियों को मिली राहत
एडवोकेट आलोक शर्मा ने बताया कि "इस मामले में मिनिस्ट्रियल कैडर के कर्मचारियों ने एग्जीक्यूटिव केडर कर्मचारियों अधिकारियों के समान वेतन दिए जाने की लंबे समय तक मांग की थी. जिसके बाद राज्य प्रशासन न्यायाधिकरण द्वारा इन कर्मचारियों के हक में फैसला दिया गया था और इस फैसले के आधार पर एग्जीक्यूटिव कैडर के समान वेतन और वेतनवृद्धि दिए जाने का फैसला लिया था. अब कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद गृह विभाग के रिकवरी नोटिस रद्द किए जाने के फैसले से इन कर्मचारियों को बड़ी राहत मिली है क्योंकि इनमें कई रिटायर भी हो चुके थे."