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हाईकोर्ट का फैसला; पिता को मिल रही पेंशन, तब भी मां की मृत्यु पर बेटी अनुकंप नियुक्ति पाने की अधिकार

कोर्ट ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, मुरादाबाद के आदेश को रद्द करते हुए छह सप्ताह के भीतर नया आदेश पारित करने का निर्देश दिया.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 3 hours ago

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति के मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि यदि पिता पेंशनभोगी हैं, तब भी सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत मां की मौत पर बेटी अनुकंपा नियु​क्ति की हकदार है. कोर्ट ने इस मामले में बीएसए मुरादाबाद के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें उन्होंने याची की अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन को इस आधार पर रद्द कर दिया था कि उसके पिता पेंशन पा रहे हैं. याची को वित्तीय संकट नहीं है. यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने फरहा नसीम की याचिका पर दिया.

याचिका के अनुसार, याची की मां शहाना बी की सहायक अध्यापक के पद पर कार्य करते हुए दो नवंबर 2023 को मृत्यु हो गई थी. शहाना ने बीएसए के समक्ष अनुकंपा नियु​क्ति के लिए आवेदन किया था. याची की बहनें सहायक शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं. साथ ही पिता सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं और पेंशन प्राप्त कर रहे थे. इस आधार पर बीएसए के 12 जून 2024 के आदेश से अनुकंपा नियु​क्ति के आवेदन को खारिज कर दिया गया. जिसे याची ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी.


याची के वकील कमल कुमार केशरवानी ने कहा कि बीएसए का आदेश अवैध है. याची की बहनों की शादी मां की मृत्यु से पहले हो चुकी है. बहनें कहीं काम कर रही हैं तो इससे अनुकंपा नियु​क्ति से इन्कार नहीं किया जा सकता है. वंशिका निगम बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और 3 अन्य मामले का हवाला भी दिया. कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता की अनुकंपा नियुक्ति का दावा जिन दो आधारों पर खारिज कर दिया, वह कानून की नजर में टिकाऊ नहीं हैं. इसके बाद कोर्ट ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, मुरादाबाद के आदेश को रद्द करते हुए छह सप्ताह के भीतर नया आदेश पारित करने का निर्देश दिया.

इसे भी पढ़ें-हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव कृषि से मांगा हलफनामा, क्यों न कुर्क किया जाए निगम का खाता

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति के मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि यदि पिता पेंशनभोगी हैं, तब भी सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत मां की मौत पर बेटी अनुकंपा नियु​क्ति की हकदार है. कोर्ट ने इस मामले में बीएसए मुरादाबाद के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें उन्होंने याची की अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन को इस आधार पर रद्द कर दिया था कि उसके पिता पेंशन पा रहे हैं. याची को वित्तीय संकट नहीं है. यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने फरहा नसीम की याचिका पर दिया.

याचिका के अनुसार, याची की मां शहाना बी की सहायक अध्यापक के पद पर कार्य करते हुए दो नवंबर 2023 को मृत्यु हो गई थी. शहाना ने बीएसए के समक्ष अनुकंपा नियु​क्ति के लिए आवेदन किया था. याची की बहनें सहायक शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं. साथ ही पिता सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं और पेंशन प्राप्त कर रहे थे. इस आधार पर बीएसए के 12 जून 2024 के आदेश से अनुकंपा नियु​क्ति के आवेदन को खारिज कर दिया गया. जिसे याची ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी.


याची के वकील कमल कुमार केशरवानी ने कहा कि बीएसए का आदेश अवैध है. याची की बहनों की शादी मां की मृत्यु से पहले हो चुकी है. बहनें कहीं काम कर रही हैं तो इससे अनुकंपा नियु​क्ति से इन्कार नहीं किया जा सकता है. वंशिका निगम बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और 3 अन्य मामले का हवाला भी दिया. कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता की अनुकंपा नियुक्ति का दावा जिन दो आधारों पर खारिज कर दिया, वह कानून की नजर में टिकाऊ नहीं हैं. इसके बाद कोर्ट ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, मुरादाबाद के आदेश को रद्द करते हुए छह सप्ताह के भीतर नया आदेश पारित करने का निर्देश दिया.

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