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हाईकोर्ट ने पूछा, OTT प्लेटफॉर्म पर फिल्मों के प्रदर्शन का सर्टिफिकेट देने के लिए कौन अधिकृत? - Lucknow Bench of High Court - LUCKNOW BENCH OF HIGH COURT

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने एक याचिका (Lucknow Bench of High Court) में सुनवाई की. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड से पूछा है कि ओटीटी प्लेटफार्म पर फिल्मों के प्रदर्शन का सर्टिफिकेट देने का अधिकार किसके पास है?

हाईकोर्ट ने CBFC से मांगा जवाब
हाईकोर्ट ने CBFC से मांगा जवाब (फोटो क्रेडिट : Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 22, 2024, 7:28 AM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) से पूछा है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स जैसे नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम व अन्य प्रकार के सोशल मीडिया नेटवर्क पर फिल्मों के प्रदर्शन का सर्टिफिकेट देने के लिए कौन अधिकृत है? न्यायालय ने जवाबी हलफनामा दाखिल कर यह बताने को कहा है कि ओटीटी की फिल्मों के लिए क्या कोई अन्य व्यवस्था है अथवा सीबीएफसी ही उन्हें भी प्रमाण पत्र देने के लिए अधिकृत है. न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 13 अगस्त 2024 की तिथि नियत की है.


यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने दीपांकर कुमार की जनहित याचिका पर पारित किया है. दरअसल, याचिका में तेलगू मूवी ‘ताकतवर पुलिसवाला’ में बिहारियों पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया गया है. उक्त मूवी तेलगू भाषा की ‘धी आंते धी’ का हिन्दी रूपांतरण है. याची का कहना है कि वर्ष 2015 में बनी मूलतः तेलगू भाषा की यह फिल्म यू ट्यूब पर उपलब्ध है, जिसमें बिहारियों को गंदगी फैलाने वाला बताया गया है. याचिका में फिल्म का सेंसर सर्टिफिकेट रद्द करने की मांग की गई है.


याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने अधिवक्ता कुलदीप पति त्रिपाठी को न्याय मित्र नियुक्त करते हुए, मामले की सुनवाई में सहयोग देने को कहा था. न्याय मित्र ने उक्त फिल्म को देखने के पश्चात न्यायालय को बताया कि उक्त फिल्म में बहुत ही आपत्तिजनक संवाद हैं, जिनसे क्षेत्र के आधार पर भेदभाव, अलग-अलग राज्यों के लोगों के बीच कटुता व लोकशान्ति भंग हो सकती है. इस पर न्यायालय ने केंद्र सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय व सीबीएफसी से जवाब तलब कर लिया. न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगली सुनवाई तक जवाब न आने पर सीबीएफसी के किसी गैजटेड अधिकारी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा सुनवाई में हाजिर होना होगा.

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) से पूछा है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स जैसे नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम व अन्य प्रकार के सोशल मीडिया नेटवर्क पर फिल्मों के प्रदर्शन का सर्टिफिकेट देने के लिए कौन अधिकृत है? न्यायालय ने जवाबी हलफनामा दाखिल कर यह बताने को कहा है कि ओटीटी की फिल्मों के लिए क्या कोई अन्य व्यवस्था है अथवा सीबीएफसी ही उन्हें भी प्रमाण पत्र देने के लिए अधिकृत है. न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 13 अगस्त 2024 की तिथि नियत की है.


यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने दीपांकर कुमार की जनहित याचिका पर पारित किया है. दरअसल, याचिका में तेलगू मूवी ‘ताकतवर पुलिसवाला’ में बिहारियों पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया गया है. उक्त मूवी तेलगू भाषा की ‘धी आंते धी’ का हिन्दी रूपांतरण है. याची का कहना है कि वर्ष 2015 में बनी मूलतः तेलगू भाषा की यह फिल्म यू ट्यूब पर उपलब्ध है, जिसमें बिहारियों को गंदगी फैलाने वाला बताया गया है. याचिका में फिल्म का सेंसर सर्टिफिकेट रद्द करने की मांग की गई है.


याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने अधिवक्ता कुलदीप पति त्रिपाठी को न्याय मित्र नियुक्त करते हुए, मामले की सुनवाई में सहयोग देने को कहा था. न्याय मित्र ने उक्त फिल्म को देखने के पश्चात न्यायालय को बताया कि उक्त फिल्म में बहुत ही आपत्तिजनक संवाद हैं, जिनसे क्षेत्र के आधार पर भेदभाव, अलग-अलग राज्यों के लोगों के बीच कटुता व लोकशान्ति भंग हो सकती है. इस पर न्यायालय ने केंद्र सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय व सीबीएफसी से जवाब तलब कर लिया. न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगली सुनवाई तक जवाब न आने पर सीबीएफसी के किसी गैजटेड अधिकारी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा सुनवाई में हाजिर होना होगा.

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