बाड़मेर. 40 साल की उम्र में खुद को फिट ओर बीमारियों से बचाने की चाह में जिम में पसीना बहाना शुरू करने वाली बाड़मेर निवासी अनीता राठी पावर लिफ्टिंग में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर रहीं हैं. हाल ही में अमेरिका में इंटरनेशनल पॉवर लिफ्टिंग फेडरेशन का टूर्नामेंट खेलकर अनीता कुछ दिन पहले बाड़मेर पहुंची हैं. अनीता का सपना है कि इंटरनेशनल वेट लिफ्टिंग टूर्नामेंट में गोल्ड जीतकर अपने देश का नाम रोशन कर सकें.
वर्ल्ड चैम्पियन बनने की तैयारी में जुटीं : दरसअल, यूएसए के ऑस्टिन, टेक्सास में 22 मई से 1 जून तक आयोजित हुई पावर लिफ्टिंग बेंच प्रेस प्रतियोगिता में भाग लेकर हाल ही में 12 जून को अनीता राठी बाड़मेर पहुंची हैं. यहां पहुंचने पर समाज के लोगों और परिजनों ने अनीता का स्वागत किया. पावर लिफ्टिंग की अंतर्राष्ट्रीय प्लेयर अनीता राठी ने बताया कि अमेरिका में हुई इस पावर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में अलग-अलग कैटेगरी में खिलाड़ी शामिल हुए. 57 किलो कैटेगरी में 65 देश के खिलाड़ी पहुंचे थे. इंडिया के अलग-अलग राज्यों से 11 खिलाड़ी और 4 कोच थे. अनीता ने बताया कि वह बेहद कम अंतर से पिछड़ गईं, जिसके चलते उन्हें चौथी रैंक हासिल हुई है. उनका सपना है कि वह इंटरनेशनल वेट लिफ्टिंग टूर्नामेंट में गोल्ड जीतकर अपने देश का राष्ट्रगान सुन सकें. इस सपने को पूरा करने के लिए वह अपनी कैटेगरी में वर्ल्ड चैम्पियन बनने की तैयारी में जुट गईं हैं.
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शादी के 22 साल बाद शुरू हुआ सफर : अनीता राठी ने बताया कि बाड़मेर निवासी अर्जुन राठी के साथ वर्ष 1998 में उनकी शादी हुई थी. उनकी दो बेटियां ओर एक बेटा है. पति अर्जुन राठी मोबाइल व इलेक्ट्रिक सामान की मार्केटिंग का काम करते हैं. अनीता घर की जिम्मेदारियों के साथ अपने पति के बिजनस के अकाउंट का काम भी करती हैं. शादी के करीबन 22 साल बाद खुद को फिट और बीमारियों से बचने के लिए जिम जाने का फैसला किया था. जिम में मेरे जज्बे को देखते हुए कोच करण जांगिड़ ने प्रतिभा को पहचाना और लगातार ट्रेनिंग देने के साथ मोटिवेट करते रहे. इसी के बदौलत आज ये मुकाम हासिल किया है.
पहली बार में जीता सिल्वर : अनीता राठी बताती हैं कि वर्ष 2022 में पहली बार पावर लिफ्टिंग की शुरुआत की. उस समय उनका वजन 69 किलो था. दिन रात मेहनत की और मई 2022 में भरतपुर में स्टेट लेवल प्रतियोगिता हुई. इसमें पावर लिफ्टिंग 69 किलो कैटेगरी में हिस्सा लिया. पहली बार में ही उन्होंने सिल्वर मेडल जीत लिया. इसके बाद फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. इस सफर में पति ने बहुत साथ दिया. परिवार के साथ कोच करण जांगिड़ की वजह से यहां तक पहुंच पाई हूं.