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दुमका सीट पर हर हाल में फतह चाहता है झामुमो, जेल में रहकर हेमंत लड़ सकते हैं चुनाव! झारखंड में बड़ा मैसेज देना चाहती है पार्टी - Hemant Soren contest elections

Hemant Soren can contest elections from Dumka. झामुमो संथाल और कोल्हान पर फोकस कर रहा है. पार्टी हर हाल में दुमका सीट पर फतह चाहती है. चर्चा है कि जेल में रहकर हेमंत सोरेन यहां से चुनाव लड़ेंगे. हेमंत को दुमका से चुनाव लड़ाकर जेएमएम पूरे झारखंड में बड़ा मैसेज देना चाहता है.

Hemant Soren can contest elections from Dumka
Hemant Soren can contest elections from Dumka
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Mar 14, 2024, 5:47 PM IST

Updated : Mar 14, 2024, 9:30 PM IST

रांची: झारखंड में इसबार लोकसभा का चुनाव बेहद दिलचस्प हो सकता है. इसकी वजह है मुख्यमंत्री रहते हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी. झामुमो को भरोसा है कि उनके पक्ष में सहानुभूति की लहर है. खासकर ट्राइबल समाज से एकजुट समर्थन की आस है. इसको भुनाने के लिए पार्टी अप्रत्याशित फैसला ले सकती है. सूत्रों के मुताबिक मौजूदा राजनीतिक हालात को देखते हुए पार्टी का एक धड़ा चाहता है कि दुमका सीट से कल्पना सोरेन को मैदान में उतारा जाना चाहिए ताकि सहानुभूति का फायदा उठाया जा सके.

वहीं दूसरा धड़ा हेमंत सोरन के पक्ष में है. सूत्रों के मुताबिक जेल में रहते हेमंत सोरेन के दुमका से ताल ठोकने पर पार्टी को माइलेज मिल सकता है. इसका असर दूसरे सीटों खासकर, ट्राइबल के लिए रिजर्व सीटों पर पड़ सकता है. इसपर लगातार आंतरिक मंथन चल रहा है. क्योंकि दुमका सीट से सोरेन परिवार की प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है. क्योंकि 2019 के चुनाव में शिबू सोरेन जैसे कद्दावर नेता को हराकर भाजपा ने मानसिक रुप से बढ़त हासिल कर ली थी.

Hemant Soren can contest elections from Dumka
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हेमंत सोरेन के चुनाव लड़ने के फायदे

अगर जेल में रहते हेमंत सोरेन चुनाव लड़ते हैं तो दुमका में भाजपा प्रत्याशी सुनील सोरेन की चुनौती बढ़ जाएगी. इस फैसले से झामुमो के दोनों हाथों में लड्डू रहेगा. जीतने पर पूरे राज्य में मैसेज जाएगा कि हेमंत सोरेन को साजिश के तहत परेशान किया जा रहा है और जनता का उनके साथ समर्थन है. वहीं हारने पर यह मैसेज दिया जाएगा कि हेमंत सोरेन आदिवासी हित में हर मोर्चा पर संघर्ष के लिए तैयार हैं. अगर हेमंत सोरेन दुमका से चुनाव लड़ते हैं तो उनकी पत्नी कल्पना सोरेन को वोटरों से डायरेक्ट कनेक्ट करने में आसानी हो जाएगी.

सिंहभूम सीट तय करेगी विधानसभा की राह

संथाल को साधने के अलावा झारखंड मुक्ति मोर्चा की नजर कोल्हान के सिंहभूम लोकसभा सीट पर है. कोल्हान में विधानसभा की कुल 14 सीटें हैं. 2009 में भाजपा 6 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी. तब झामुमो के खाते में 04 सीटें गई थी. शेष चार सीटों में आजसू, कांग्रेस, जेवीएम और अन्य को 1-1 सीट मिला था. लेकिन 2014 के विधानसभा चुनाव में कोल्हान की 14 सीटों में से 07 सीटों पर झामुमो ने जीत हासिल कर सबसे बड़ी पार्टी का तमगा ले लिया था. उस वक्त भाजपा को 05 सीट, आजसू को 01 और अन्य को 01 सीट मिला था. लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का कोल्हान में खाता तक नहीं खुला. सीएम रहते रघुवर दास चुनाव हार गये. झामुमो ने 14 में से 11, कांग्रेस ने तीन और एक सीट पर निर्दलीय यानी सरयू राय की जीत हुई थी.

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गीता ने बदल दी है कोल्हान की राजनीतिक फिजा

इस बार परिस्थिति बदली हुई दिख रही है. इसके बावजूद 2019 के चुनाव में सिंहभूम सीट से कांग्रेस की इकलौती सासंद रहीं गीता कोड़ा ने भाजपा का दामन थामकर कोल्हान की राजनीतिक फिजा में सस्पेंस का तड़का डाल दिया है. इसबार वह भाजपा प्रत्याशी के रुप में मैदान में हैं. लिहाजा, कोल्हान में मजबूत पकड़ रखने वाली पार्टी झामुमो ने चाईबासा से इसबार अपना प्रत्याशी देने का फैसला लिया है. संभव है कि कांग्रेस कांप्रोमाइज भी कर लेगी. अभी तक की जानकारी के मुताबिक गीता कोड़ा से दो-दो हाथ करने के लिए जोबा मांझी, दशरथ गगराई या सुखराम उरांव को पार्टी प्रत्याशी बना सकती है.

कुल मिलाकर देखें तो झारखंड में संथाल और कोल्हान की सीटें भाजपा और झामुमो की ताकत साबित करने में अहम भूमिका निभाएंगी. इसमें हेमंत सोरेन की इंट्री पूरे खेल को दिलचस्प बना देगी. राजनीति के जानकारों का कहना है कि झारखंड में इसबार मोदी फैक्टर का भी टेस्ट हो जाएगा. अब सबकी नजर इंडिया गठबंधन की ओर से घोषित होने वाले प्रत्याशियों पर टिकी है.

ये भी पढ़ें-

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वहीं दूसरा धड़ा हेमंत सोरन के पक्ष में है. सूत्रों के मुताबिक जेल में रहते हेमंत सोरेन के दुमका से ताल ठोकने पर पार्टी को माइलेज मिल सकता है. इसका असर दूसरे सीटों खासकर, ट्राइबल के लिए रिजर्व सीटों पर पड़ सकता है. इसपर लगातार आंतरिक मंथन चल रहा है. क्योंकि दुमका सीट से सोरेन परिवार की प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है. क्योंकि 2019 के चुनाव में शिबू सोरेन जैसे कद्दावर नेता को हराकर भाजपा ने मानसिक रुप से बढ़त हासिल कर ली थी.

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हेमंत सोरेन के चुनाव लड़ने के फायदे

अगर जेल में रहते हेमंत सोरेन चुनाव लड़ते हैं तो दुमका में भाजपा प्रत्याशी सुनील सोरेन की चुनौती बढ़ जाएगी. इस फैसले से झामुमो के दोनों हाथों में लड्डू रहेगा. जीतने पर पूरे राज्य में मैसेज जाएगा कि हेमंत सोरेन को साजिश के तहत परेशान किया जा रहा है और जनता का उनके साथ समर्थन है. वहीं हारने पर यह मैसेज दिया जाएगा कि हेमंत सोरेन आदिवासी हित में हर मोर्चा पर संघर्ष के लिए तैयार हैं. अगर हेमंत सोरेन दुमका से चुनाव लड़ते हैं तो उनकी पत्नी कल्पना सोरेन को वोटरों से डायरेक्ट कनेक्ट करने में आसानी हो जाएगी.

सिंहभूम सीट तय करेगी विधानसभा की राह

संथाल को साधने के अलावा झारखंड मुक्ति मोर्चा की नजर कोल्हान के सिंहभूम लोकसभा सीट पर है. कोल्हान में विधानसभा की कुल 14 सीटें हैं. 2009 में भाजपा 6 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी. तब झामुमो के खाते में 04 सीटें गई थी. शेष चार सीटों में आजसू, कांग्रेस, जेवीएम और अन्य को 1-1 सीट मिला था. लेकिन 2014 के विधानसभा चुनाव में कोल्हान की 14 सीटों में से 07 सीटों पर झामुमो ने जीत हासिल कर सबसे बड़ी पार्टी का तमगा ले लिया था. उस वक्त भाजपा को 05 सीट, आजसू को 01 और अन्य को 01 सीट मिला था. लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का कोल्हान में खाता तक नहीं खुला. सीएम रहते रघुवर दास चुनाव हार गये. झामुमो ने 14 में से 11, कांग्रेस ने तीन और एक सीट पर निर्दलीय यानी सरयू राय की जीत हुई थी.

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गीता ने बदल दी है कोल्हान की राजनीतिक फिजा

इस बार परिस्थिति बदली हुई दिख रही है. इसके बावजूद 2019 के चुनाव में सिंहभूम सीट से कांग्रेस की इकलौती सासंद रहीं गीता कोड़ा ने भाजपा का दामन थामकर कोल्हान की राजनीतिक फिजा में सस्पेंस का तड़का डाल दिया है. इसबार वह भाजपा प्रत्याशी के रुप में मैदान में हैं. लिहाजा, कोल्हान में मजबूत पकड़ रखने वाली पार्टी झामुमो ने चाईबासा से इसबार अपना प्रत्याशी देने का फैसला लिया है. संभव है कि कांग्रेस कांप्रोमाइज भी कर लेगी. अभी तक की जानकारी के मुताबिक गीता कोड़ा से दो-दो हाथ करने के लिए जोबा मांझी, दशरथ गगराई या सुखराम उरांव को पार्टी प्रत्याशी बना सकती है.

कुल मिलाकर देखें तो झारखंड में संथाल और कोल्हान की सीटें भाजपा और झामुमो की ताकत साबित करने में अहम भूमिका निभाएंगी. इसमें हेमंत सोरेन की इंट्री पूरे खेल को दिलचस्प बना देगी. राजनीति के जानकारों का कहना है कि झारखंड में इसबार मोदी फैक्टर का भी टेस्ट हो जाएगा. अब सबकी नजर इंडिया गठबंधन की ओर से घोषित होने वाले प्रत्याशियों पर टिकी है.

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Last Updated : Mar 14, 2024, 9:30 PM IST
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