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अब 24 घंटे रहेगा फोन नंबर 1930 का पहरा! प्रतिबिंब के साथ मिलकर साइबर अपराधियों के खिलाफ चल रहा वार - Cyber Crime Helpline number

Cyber Crime Helpline number. साइबर अपराधियों के खिलाफ तैयार किए गए हेल्पलाइन नंबर 130 अब 24 घंटे एक्टिव रहेगा. अब 1930 पर साइबर ठगी की शिकायत किसी भी समय किया जा सकता है. डीजीपी अनुराग गुप्ता की पहल पर इसकी सेवा 24 घंटे शुरू कर दी गई है.

CYBER CRIME HELPLINE NUMBER
डिजाइन इमेज (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 27, 2024, 7:50 PM IST

रांची: हर दिन किसी न किसी से साइबर अपराधियों के द्वारा ठगी कर लिए जाने की खबरों के बीच एक राहत भरी खबर है. अच्छी खबर ये है कि राज्य में साइबर अपराधियों पर लगाम कसने में कारगर साबित हुए साइबर हेल्पलाइन अब झारखंड में पूरे 24 घंटे तक सेवा में आ गया है. झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने बताया की 1930 को 24 घंटे एक्टिव कर दिया गया है.

डीजीपी अनुराग गुप्ता का बयान (ईटीवी भारत)
टेक्निकल खामियां हुईं दूर

डीजीपी अनुराग गुप्ता ने बताया कि 1930 हेल्पलाइन को और कारगर बनाया गया है. 1930 के कार्यालय में सभी तरह के टेक्निकल खामियां दूर कर ली गई है. अब 24 घंटे हेल्पलाइन 1930 के कार्यालय में पुलिसकर्मी तैनात हैं जो शिफ्ट वाइज काम कर रहे हैं.

Cyber Crime Helpline number
हेल्पलाइन में पुलिसकर्मी (ईटीवी भारत)
ठगी के पैसे की वापसी हो रही है

डीजीपी अनुराग गुप्ता के अनुसार प्रतिबिंब एप और साइबर हेल्पलाइन 1930 के आने के बाद साइबर अपराधियों के द्वारा ठगी किए गए पैसों की रिकवरी भी शुरू हो गई है. डीजीपी के अनुसार साइबर अपराधियों के खातों को फ्रिज कर अदालत से लोगों के पैसे वापस करवाए जा रहे हैं.

Cyber Crime Helpline number
साइबर ठग कैसे देते हैं झांसा (ईटीवी भारत)
साइबर हेल्पलाइन में कम्प्लेन के बाद खाता होता है फ्रिज

साइबर अपराधियों के खिलाफ हेल्पलाइन नंबर 1930 बेहद कारगर है. झारखंड में सायबर हेल्पलाइन की शुरुवात मार्च 2022 महीने में हुई थीं. 2022 से 2024 के मार्च महीने के बीच साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कुल एक लाख से ज्यादा शिकायतें आयीं, जिस पर कार्रवाई करते हुए अबतक 2 करोड़ रुपये की राशि ब्लाक कर वापस करायी गई है.

वहीं, 20 करोड़ रुपए की ठगी होने से बचाई गई. राज्य में सीआईडी के अधीन साइबर हेल्पलाइन 1930 बेहद सक्रिय है. भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने नागरिक वित्तिय धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली के लिए टोल फ्री नंबर जारी किया था. इसके अंतर्गत ही साइबर अपराध की शिकायत 1930 पर की जा सकती है, शिकायत होने पर 1930 के द्वारा तत्काल ट्रांजेक्शन को ब्लॉक कराया जाता है.

साइबर गोल्डन ऑवर का उठाये फायदा

साइबर ठग अलग-अलग हथकंडे अपनाकर लोगों को अपना शिकार बनाते है. रिवार्ड, कैशबैक, लॉटरी, सेक्सटॉर्शन, इंटरनेट पर मदद करने जैसे लालच देकर फोन कॉल, एसएमएस, ईमेल जैसी टेक्नोलॉजी की मदद से साइबर ठगी को अंजाम दिया जाता है, लेकिन आपको यह जानकारी होनी चाहिए कि जिस तरह से अगर किसी व्यक्ति के साथ सड़क हादसा हो जाए और उसे गोल्डन आवर में अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो उसकी जान बच सकती है, कुछ ऐसा ही साइबर अपराध को लेकर भी है, अगर आप गोल्डन आवर में कुछ स्टेप्स उठा ले तो आप से ठगी की गई रकम भी वापस लौट सकती है और साइबर अपराधी भी शिकंजे में आ सकते हैं.

जानकारी ही बचाव, 2 से 3 घंटे होते हैं महतवपूर्ण

इंटरनेट की पहुंच अब हर वर्ग के हाथों तक है लेकिन काफी कम इंटरनेट यूजर्स हैं, जिन्हें साइबर सिक्योरिटी और प्राइवेसी जैसे मामलो की जानकारी है. इस बारे में जागरूक न होने का मतलब है, साइबर क्रिमिनल्स की चांदी होना और आपका ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार होना. इंटरनेट की दुनिया पहले से ही खतरनाक थी, लेकिन कोविड संक्रमण के बाद उपजे हालात में इसका खतरा व्यापक हो गया है.

एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 4 वर्षों के अंतराल में साइबर अपराध के मामलों में 15% की बढ़ोतरी हुई है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह लोगों का जागरूक नहीं होना है. अक्सर लोग साइबर ठगी होने के बाद इसी उधेड़बुन में रह जाते हैं कि वह कहां जाएं लेकिन ध्यान रहे कि फ्रॉड होने के बाद के 2-3 घंटे बहुत ही अहम होते हैं, जिसमें आपके पैसे बचाए जा सकते हैं. सबसे जरूरी है कि अगर आपके साथ साइबर ठगी हो जाए तो आप तुरंत बिना देर किए इसकी शिकायत दर्ज करवाएं.

हेल्प लाइन नम्बर और बेबसाइट पर तुरंत दर्ज करवाये शिकायत

डीजीपी अनुराग गुप्ता के अनुसार अगर आपके साथ कोई साइबर फ्रॉड होता है तो तुरंत ही हेल्पलाइन नंबर 1930 पर फोन कर के सूचित करें. शिकायत के 7-8 मिनट में भी उस बैंक या ई-साइट को एक अलर्ट मैसेज चला जाएगा, जिसमें आपके खाते से पैसे चुराकर डाले गए होंगे और पैसों को होल्ड कर दिया जाएगा. इस तरह आपके समय रहते फोन कर देने की वजह से पैसे खाते से निकाले जाने से पहले ही उसे होल्ड करने के चलते आप नुकसान से बच जाएंगे. ध्यान रहे कि फ्रॉड होने के बाद के 2-3 घंटे बहुत ही अहम होते हैं, जिसमें आपके पैसे बचाए जा सकते हैं. ऐसे में फ्रॉड होने के बाद जल्द से जल्द शिकायत करें.

ये भी पढ़ें:

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डीजीपी अनुराग गुप्ता का बयान (ईटीवी भारत)
टेक्निकल खामियां हुईं दूर

डीजीपी अनुराग गुप्ता ने बताया कि 1930 हेल्पलाइन को और कारगर बनाया गया है. 1930 के कार्यालय में सभी तरह के टेक्निकल खामियां दूर कर ली गई है. अब 24 घंटे हेल्पलाइन 1930 के कार्यालय में पुलिसकर्मी तैनात हैं जो शिफ्ट वाइज काम कर रहे हैं.

Cyber Crime Helpline number
हेल्पलाइन में पुलिसकर्मी (ईटीवी भारत)
ठगी के पैसे की वापसी हो रही है

डीजीपी अनुराग गुप्ता के अनुसार प्रतिबिंब एप और साइबर हेल्पलाइन 1930 के आने के बाद साइबर अपराधियों के द्वारा ठगी किए गए पैसों की रिकवरी भी शुरू हो गई है. डीजीपी के अनुसार साइबर अपराधियों के खातों को फ्रिज कर अदालत से लोगों के पैसे वापस करवाए जा रहे हैं.

Cyber Crime Helpline number
साइबर ठग कैसे देते हैं झांसा (ईटीवी भारत)
साइबर हेल्पलाइन में कम्प्लेन के बाद खाता होता है फ्रिज

साइबर अपराधियों के खिलाफ हेल्पलाइन नंबर 1930 बेहद कारगर है. झारखंड में सायबर हेल्पलाइन की शुरुवात मार्च 2022 महीने में हुई थीं. 2022 से 2024 के मार्च महीने के बीच साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कुल एक लाख से ज्यादा शिकायतें आयीं, जिस पर कार्रवाई करते हुए अबतक 2 करोड़ रुपये की राशि ब्लाक कर वापस करायी गई है.

वहीं, 20 करोड़ रुपए की ठगी होने से बचाई गई. राज्य में सीआईडी के अधीन साइबर हेल्पलाइन 1930 बेहद सक्रिय है. भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने नागरिक वित्तिय धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली के लिए टोल फ्री नंबर जारी किया था. इसके अंतर्गत ही साइबर अपराध की शिकायत 1930 पर की जा सकती है, शिकायत होने पर 1930 के द्वारा तत्काल ट्रांजेक्शन को ब्लॉक कराया जाता है.

साइबर गोल्डन ऑवर का उठाये फायदा

साइबर ठग अलग-अलग हथकंडे अपनाकर लोगों को अपना शिकार बनाते है. रिवार्ड, कैशबैक, लॉटरी, सेक्सटॉर्शन, इंटरनेट पर मदद करने जैसे लालच देकर फोन कॉल, एसएमएस, ईमेल जैसी टेक्नोलॉजी की मदद से साइबर ठगी को अंजाम दिया जाता है, लेकिन आपको यह जानकारी होनी चाहिए कि जिस तरह से अगर किसी व्यक्ति के साथ सड़क हादसा हो जाए और उसे गोल्डन आवर में अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो उसकी जान बच सकती है, कुछ ऐसा ही साइबर अपराध को लेकर भी है, अगर आप गोल्डन आवर में कुछ स्टेप्स उठा ले तो आप से ठगी की गई रकम भी वापस लौट सकती है और साइबर अपराधी भी शिकंजे में आ सकते हैं.

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इंटरनेट की पहुंच अब हर वर्ग के हाथों तक है लेकिन काफी कम इंटरनेट यूजर्स हैं, जिन्हें साइबर सिक्योरिटी और प्राइवेसी जैसे मामलो की जानकारी है. इस बारे में जागरूक न होने का मतलब है, साइबर क्रिमिनल्स की चांदी होना और आपका ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार होना. इंटरनेट की दुनिया पहले से ही खतरनाक थी, लेकिन कोविड संक्रमण के बाद उपजे हालात में इसका खतरा व्यापक हो गया है.

एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 4 वर्षों के अंतराल में साइबर अपराध के मामलों में 15% की बढ़ोतरी हुई है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह लोगों का जागरूक नहीं होना है. अक्सर लोग साइबर ठगी होने के बाद इसी उधेड़बुन में रह जाते हैं कि वह कहां जाएं लेकिन ध्यान रहे कि फ्रॉड होने के बाद के 2-3 घंटे बहुत ही अहम होते हैं, जिसमें आपके पैसे बचाए जा सकते हैं. सबसे जरूरी है कि अगर आपके साथ साइबर ठगी हो जाए तो आप तुरंत बिना देर किए इसकी शिकायत दर्ज करवाएं.

हेल्प लाइन नम्बर और बेबसाइट पर तुरंत दर्ज करवाये शिकायत

डीजीपी अनुराग गुप्ता के अनुसार अगर आपके साथ कोई साइबर फ्रॉड होता है तो तुरंत ही हेल्पलाइन नंबर 1930 पर फोन कर के सूचित करें. शिकायत के 7-8 मिनट में भी उस बैंक या ई-साइट को एक अलर्ट मैसेज चला जाएगा, जिसमें आपके खाते से पैसे चुराकर डाले गए होंगे और पैसों को होल्ड कर दिया जाएगा. इस तरह आपके समय रहते फोन कर देने की वजह से पैसे खाते से निकाले जाने से पहले ही उसे होल्ड करने के चलते आप नुकसान से बच जाएंगे. ध्यान रहे कि फ्रॉड होने के बाद के 2-3 घंटे बहुत ही अहम होते हैं, जिसमें आपके पैसे बचाए जा सकते हैं. ऐसे में फ्रॉड होने के बाद जल्द से जल्द शिकायत करें.

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