मसूरी: 'हेलमेट मैन ऑफ इंडिया' के नाम से मशहूर राघवेंद्र कुमार आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है. राघवेंद्र कुमार वो शख्स हैं, जो आज तक कई लोगों की जिंदगी बचा चुके हैं. यही वजह है कि उनके काम को हर कोई तारीफ करता है. वे सड़कों पर उतरकर लोगों को हेलमेट पहनने को लेकर जागरूक करते हैं. ताकि, किसी हादसे में उनकी जान बच सके. उनके हेलमेट मैन बनने की पीछे भी एक मार्मिक कहानी है, जिसने उनकी जिंदगी बदल दी और देश के मिसाल बन गए.
इस तरह से बदली जिंदगी: दरअसल, मूल रूप से बिहार के रहने वाले राघवेंद्र कुमार ने सड़क हादसे में अपने दोस्त कृष्ण कुमार की मौत का उनके दिलो दिमाग में इतना गहरा असर कर गया कि उन्होंने सड़क सुरक्षा की मुहिम चलाने के लिए अपने घर तक को बेच दिया. राघवेंद्र कुमार बताते हैं कि जब वो नोएडा के लॉयड लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई कर रहे थे. तब बिहार के मधुबनी का रहने वाला कृष्ण कुमार उनका दोस्त बन गया था.
दोस्त का हुआ था एक्सीडेंट: कृष्ण कुमार इंजीनियरिंग कर रहा था. उसके (कृष्ण कुमार) के परिजन काफी खुश थे कि उनके बेटे को एक बड़ा भाई जैसा दोस्त (राघवेंद्र कुमार) मिल गया है. अब उन्हें कोई चिंता नहीं है. राघवेंद्र कुमार बताते हैं कि साल 2014 में मार्च महीने में वो किसी काम के सिलसिले में कोलकाता गए हुए थे. तभी उनके पास दोस्तों का फोन आया कि कृष्ण कुमार का एक्सीडेंट हो गया है.
अस्पताल में तोड़ा दोस्त ने दम: यह हादसा नोएडा एक्सप्रेस-वे पर हुआ था. एक्सीडेंट के बाद काफी देर तक वो तड़पता रहा. इसी बीच एक्सप्रेसवे से गुजर रहे एक शख्स की नजर बाइक की जलती इंडिकेटर पर पड़ी. जिसके बाद उन्होंने उसे नजदीकी अस्पताल पहुंचाया. उसके (कृष्ण कुमार) के सिर पर काफी गहरी चोट लगी थी. कृष्ण कुमार कई तक अस्पताल में भर्ती रहा, लेकिन उसकी जान नहीं बच पाई.
दोस्त की मां ने कही थी ये बात: राघवेंद्र कुमार के मुताबिक, वो उसके (कृष्ण कुमार) के अंतिम संस्कार में तक नहीं पहुंच पाए. कृष्ण कुमार की मां ने उनसे कहा कि अपने दोस्त के आखिरी वक्त पर नहीं आ पाए. उसकी मां बार-बार यही कहती रही कि 'मैं कृष्णा को हेलमेट खरीदकर क्यों नहीं दे पाई?' इस बात ने उन्हें अंदर तक झकझोर कर दिया. राघवेंद्र कुमार बताते हैं कि कृष्ण कुमार अपने माता-पिता का इकलौता संतान था.
दोस्त को खोने के बाद हेलमेट बने राघवेंद्र कुमार: उधर, डॉक्टरों का कहना था कि अगर हेलमेट पहना होता तो उसकी जान बच सकती थी. जिसके बाद उन्होंने कृष्ण कुमार की मां को वादा किया वो आगे जाकर कुछ करेंगे. राघवेंद्र ने तय किया कि अब वो सड़क सुरक्षा यानी रोड सेफ्टी को लेकर जागरूकता अभियान चलाएंगे. ताकि. किसी और की इस तरह से सड़क हादसे में मौत न हो.
इंडियन आइडल के मंच पर पहुंच चुके राघवेंद्र कुमार: इस अभियान को उन्होंने अपनी जिंदगी का मिशन बना लिया. हेलमेट मैन राघवेंद्र कुमार ने पिछले 10 सालों से देश के 22 राज्यों में लोगों को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक कर चुके हैं. राघवेंद्र कुमार इंडियन आइडल के मंच पर पहुंच चुके हैं. जहां से उन्होंने सड़क सुरक्षा की आवाज को उठाया. लाखों परिवारों ने हेलमेट मैन ऑफ इंडिया की आवाज को इंडियन आइडल के 'फर्ज से फाइटर' कार्यक्रम के जरिए लोगों ने सुना.
हेलमेट बांटकर 35 लोगों की बचा चुके जान: राघवेंद्र कुमार ने बताया कि अभी तक वो 65 हजार से ज्यादा हेलमेट बांट चुके हैं. जिससे उन्होंने विश्व रिकॉर्ड भी बनाया. वो इस मुहिम के तहत अब तक 35 जिंदगियों को बचाने में सफल हुए हैं. उन्होंने बताया कि इस काम को करने के लिए सबसे पहले अपनी नौकरी छोड़ी. उसके बाद नोएडा का अपना घर बेचा, फिर सड़क सुरक्षा के प्रति जागरुकता अभियान को देशभर में चलाने का काम शुरू किया.
निशुल्क हेलमेट बांटने के लिए बेच चुके पुश्तैनी जमीन: राघवेंद्र कुमार बिहार में अपनी 7 बीघा पुश्तैनी जमीन को भी इस अभियान के लिए बेच चुके हैं. ताकि, सड़क पर बिना हेलमेट के बाइक चलाने वाले ज्यादा से ज्यादा लोगों को निशुल्क हेलमेट बांट सके. उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य है कि वो देश की 1 अरब 40 करोड़ की जनता को सड़क सुरक्षा और हेलमेट पहनने के लिए जागरूक करें. जिसके लिए वो भारत के कोने-कोने में घूम रहे हैं.
हर साल सड़क हादसे में जाती है 1.70 लाख लोगों की जान: उन्होंने बताया कि आज भारत की सड़कों पर 1 घंटे में 20 लोग की मौत हो रही और उनमें से 8 लोग वो होते हैं, जो बिना हेलमेट के होते हैं. देश में साल भर में सड़क हादसे में करीब 1 लाख 70 हजार लोगों की मौत होती है. जिसमें से 50 हजार लोग वो होते हैं, जो घर के एकलोते होते हैं. ऐसे में अपनी सुरक्षा के लिए घर से हेलमेट पहनकर ही निकलें.
सुप्रीम कोर्ट से पास कराया बच्चे को हेलमेट पहनाने का कानून: हेलमेट मैन राघवेंद्र कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से उन्होंने 4 साल के बच्चे को हेलमेट पहनना का कानून पास कराया, लेकिन माता-पिता दोपहिया में जाते समय बच्चों को हेलमेट नहीं पहना रहे हैं. अगर बच्चे बचपन से ही हेलमेट पहनने की आदत डालेंगे तो वो अपने पूरे जीवन में दोपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट जरूर पहनेंगे.
उत्तराखंड रोड सेफ्टी का ब्रांड एंबेसडर बने राघवेंद्र कुमार: मसूरी में भी राघवेंद्र कुमार ने हेलमेट बांटे. जहां उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के पुलिस महानिरीक्षक और निदेशक यातायात मुख्तार मोहसिन ने उन्हें उत्तराखंड रोड सेफ्टी का ब्रांड एंबेसडर बनाया है. वो उत्तराखंड के कोने-कोने पर जाकर लोगों को हेलमेट और सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक कर रहे हैं.
उत्तराखंड में जगह-जगह बनाया जाएगा हेलमेट बैंक: उन्होंने कहा कि आने वाले समय पर उत्तराखंड में जगह-जगह पर हेलमेट बैंक बनाया जाएगा. जहां पर लोग दोपहिया चलाने को लेकर आधार कार्ड और टेलीफोन नंबर देकर हेलमेट ले जा सकेंगे और वापस लौटते समय वो हेलमेट वापस हेलमेट बैंक में जमा करेंगे. ताकि, ज्यादा से ज्यादा लोग हेलमेट पहने और उसका इस्तेमाल कर सकें.
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