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कोसी नदी की दो धाराओं के बीच है गर्जिया देवी का मंदिर, भक्तों की हर मुराद पूरी करती हैं मां - Shardiya Navratri 2024

Garjiya Devi Temple, Shardiya Navratri 2024 देवभूमि उत्तराखंड की दिव्यता किसी से अछूती नहीं है. यहां के कण-कण में देवी-देवताओं का वास माना जाता है. यहां मां भगवती के कई शक्ति पीठ मौजूद हैं. जहां देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचते हैं. रामनगर में भी गर्जिया देवी का मंदिर है, जो कोसी नदी की दो धाराओं के बीच टीले पर मौजूद है. जहां नवरात्रि में श्रद्धालुओं की खासी भीड़ उमड़ती है. माना जाता है कि यहां मां की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. जानिए गर्जिया देवी की महिमा.

Garjiya Devi Temple
र्जिया देवी का मंदिर (फोटो- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 3, 2024, 4:04 PM IST

Updated : Oct 3, 2024, 7:35 PM IST

रामनगर: आज से मां दुर्गा के नौ रूपों की उपासना के दिन यानी नवरात्रि शुरू हो गए हैं. शारदीय नवरात्रि के मौके पर विभिन्न मंदिरों खासकर शक्तिपीठों में श्रद्धालुओं का हुजूम देखने को मिल रहा है. नैनीताल के रामनगर में स्थित प्रसिद्ध गर्जिया देवी मंदिर (गिरिजा) में भी आस्था का सैलाब देखने को मिल रहा है. आलम ये है कि सुबह 4 बजे से ही भक्तों की लंबी कतारें लगनी शुरू हो गई थी. इसके साथ मंदिर परिसर में भजन कीर्तनों से गुंजायमान है.

बता दें कि कि उत्तराखंड के नैनीताल जिले में रामनगर के पास कोसी नदी के बीचों बीच एक टीले पर गर्जिया देवी का मंदिर मौजूद है. जिन्हें देवी पार्वती का अवतार माना जाता है. मान्यता है कि यहां पर जो भी सच्चे मन से मनोकामना मांगी जाती है, वो पूरी हो जाती है. वैसे तो यहां सालों भक्तों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन नवरात्रि के दौरान यहां दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. आज नवरात्रि के पहले दिन भक्तों का हुजूम देखने को मिला.

नवरात्रि पर गर्जिया देवी का नजारा (वीडियो- ETV Bharat)

वहीं, आज मुख्य आकर्षण का केंद्र गर्जिया मंदिर में हरियाणा से आए 30 लोगों की कीर्तन मंडली की रही. मंडली ने मंदिर परिसर में कीर्तनों से ऐसा समां बांधा कि लंबी कतारों में लगे भक्तों की थकान भी दूर हो गई. वो भी इन कीर्तनों में झूमते नजर आए. कीर्तन मंडली की प्रधान गीता देवी ने बताया कि वैसे तो वो उत्तराखंड के ही रहने वाले हैं, लेकिन नौकरी पेशा के चलते वहीं बस गए हैं. उनकी मां गिरिजा पर बड़ी आस्था है और यहां जो मांगते हैं, वो मिल जाता है.

Garjiya Devi Temple
कोसी नदी के बीच में स्थित गर्जिया देवी मंदिर (फोटो- ETV Bharat)

महाभारत काल में राजा विराट ने की थी देवी की तपस्या: गर्जिया मंदिर के मुख्य पुजारी मनोज पांडे ने बताया कि सुबह 4 बजे से ही भक्तों की लंबी कतारें मां के दर्शनों के लिए लगी है. भक्तों का उत्साह देखते ही बन रहा है. उन्होंने बताया कि ऐसी मान्यता है कि महाभारत काल में राजा विराट ने यहां देवी की तपस्या की थी. तब से ही टीले में शक्तिपुंज की स्थापना हुई. यहां जो भी भक्त सच्चे मन से मनोकामना लेकर आता है, मां उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं.

Garjiya Devi Temple
प्रसिद्ध गर्जिया (गिरिजा) देवी मंदिर (फोटो- ETV Bharat)

टीले पर गिरिराज हिमालय की बेटी गर्जिया देवी करती हैं निवास: किवदंती है कि हजारों साल पहले एक मिट्टी का बड़ा सा टीला कोसी नदी के साथ बहकर आया था. बटुक भैरव देवता ने उस टीले में विराजमान गर्जिया माता को देखकर उन्हें रोक दिया था. बटुक भैरव की ओर से रोका हुआ यह टीला आज भी ज्यों का त्यों बना है. जहां गिरिराज हिमालय की बेटी गर्जिया देवी निवास करती हैं, जिन्हें माता पार्वती का दूसरा रूप भी माना जाता है.

Garjia Devi Temple Ramnagar
पिछौड़ा से सजी मां की मूर्ति (फोटो- ETV Bharat)

गिरिजा माता को गर्जिया देवी के नाम से भी जाना जाता: गर्जिया देवी का यह मंदिर रामनगर से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. जानकार बताते हैं कि 19वीं सदी में गर्जिया माता का अस्तित्व आज के समय जैसा नहीं था, बल्कि यहां पर विरान घना जंगल हुआ करता था. साल 1950 में श्री 108 महादेव गिरि बाबा यहां पहुंचे तो उनके शिष्य ने यहां एक झोपड़ी बनाई. जिसमें उनके शिष्य ने गर्जिया मां की उपासना की.

Garjia Devi Temple Ramnagar
गर्जिया देवी मंदिर परिसर में मेले जैसा माहौल (फोटो- ETV Bharat)

बताया जाता है कि महादेव गिरि एक नागा बाबा और तांत्रिक थे, जिन्हें कई सिद्धियां प्राप्त थी. यही नागा बाबा एक जमाने में जापान के फौज के सिपाही भी थे. इन्हीं नागा बाबा ने राजस्थान से भैरव, गणेश और तीन महादेवी की मूर्तियों को लाकर यहां पर स्थापित की थी. इस मंदिर को गिरिजा या फिर गर्जिया के नाम से जाना जाता है.

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बता दें कि कि उत्तराखंड के नैनीताल जिले में रामनगर के पास कोसी नदी के बीचों बीच एक टीले पर गर्जिया देवी का मंदिर मौजूद है. जिन्हें देवी पार्वती का अवतार माना जाता है. मान्यता है कि यहां पर जो भी सच्चे मन से मनोकामना मांगी जाती है, वो पूरी हो जाती है. वैसे तो यहां सालों भक्तों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन नवरात्रि के दौरान यहां दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. आज नवरात्रि के पहले दिन भक्तों का हुजूम देखने को मिला.

नवरात्रि पर गर्जिया देवी का नजारा (वीडियो- ETV Bharat)

वहीं, आज मुख्य आकर्षण का केंद्र गर्जिया मंदिर में हरियाणा से आए 30 लोगों की कीर्तन मंडली की रही. मंडली ने मंदिर परिसर में कीर्तनों से ऐसा समां बांधा कि लंबी कतारों में लगे भक्तों की थकान भी दूर हो गई. वो भी इन कीर्तनों में झूमते नजर आए. कीर्तन मंडली की प्रधान गीता देवी ने बताया कि वैसे तो वो उत्तराखंड के ही रहने वाले हैं, लेकिन नौकरी पेशा के चलते वहीं बस गए हैं. उनकी मां गिरिजा पर बड़ी आस्था है और यहां जो मांगते हैं, वो मिल जाता है.

Garjiya Devi Temple
कोसी नदी के बीच में स्थित गर्जिया देवी मंदिर (फोटो- ETV Bharat)

महाभारत काल में राजा विराट ने की थी देवी की तपस्या: गर्जिया मंदिर के मुख्य पुजारी मनोज पांडे ने बताया कि सुबह 4 बजे से ही भक्तों की लंबी कतारें मां के दर्शनों के लिए लगी है. भक्तों का उत्साह देखते ही बन रहा है. उन्होंने बताया कि ऐसी मान्यता है कि महाभारत काल में राजा विराट ने यहां देवी की तपस्या की थी. तब से ही टीले में शक्तिपुंज की स्थापना हुई. यहां जो भी भक्त सच्चे मन से मनोकामना लेकर आता है, मां उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं.

Garjiya Devi Temple
प्रसिद्ध गर्जिया (गिरिजा) देवी मंदिर (फोटो- ETV Bharat)

टीले पर गिरिराज हिमालय की बेटी गर्जिया देवी करती हैं निवास: किवदंती है कि हजारों साल पहले एक मिट्टी का बड़ा सा टीला कोसी नदी के साथ बहकर आया था. बटुक भैरव देवता ने उस टीले में विराजमान गर्जिया माता को देखकर उन्हें रोक दिया था. बटुक भैरव की ओर से रोका हुआ यह टीला आज भी ज्यों का त्यों बना है. जहां गिरिराज हिमालय की बेटी गर्जिया देवी निवास करती हैं, जिन्हें माता पार्वती का दूसरा रूप भी माना जाता है.

Garjia Devi Temple Ramnagar
पिछौड़ा से सजी मां की मूर्ति (फोटो- ETV Bharat)

गिरिजा माता को गर्जिया देवी के नाम से भी जाना जाता: गर्जिया देवी का यह मंदिर रामनगर से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. जानकार बताते हैं कि 19वीं सदी में गर्जिया माता का अस्तित्व आज के समय जैसा नहीं था, बल्कि यहां पर विरान घना जंगल हुआ करता था. साल 1950 में श्री 108 महादेव गिरि बाबा यहां पहुंचे तो उनके शिष्य ने यहां एक झोपड़ी बनाई. जिसमें उनके शिष्य ने गर्जिया मां की उपासना की.

Garjia Devi Temple Ramnagar
गर्जिया देवी मंदिर परिसर में मेले जैसा माहौल (फोटो- ETV Bharat)

बताया जाता है कि महादेव गिरि एक नागा बाबा और तांत्रिक थे, जिन्हें कई सिद्धियां प्राप्त थी. यही नागा बाबा एक जमाने में जापान के फौज के सिपाही भी थे. इन्हीं नागा बाबा ने राजस्थान से भैरव, गणेश और तीन महादेवी की मूर्तियों को लाकर यहां पर स्थापित की थी. इस मंदिर को गिरिजा या फिर गर्जिया के नाम से जाना जाता है.

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Last Updated : Oct 3, 2024, 7:35 PM IST
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