रायपुर: इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है. छत्तीसगढ़वासी भी गर्मी से परेशान हैं. आलम यह है कि लोग घर से बाहर भी नहीं निकल पा रहे हैं. खासकर बच्चे और बुजुर्गों को काफी परेशानी हो रही है. भीषण गर्मी के कारण बच्चे हीट स्ट्रोक का शिकार हो रहे हैं. बात अगर रायपुर की करें तो यहां भी बच्चों में तेजी से हीट स्ट्रोक का केस बढ़ रहा है. वहीं, चाइल्ड स्पेशलिस्ट का दावा है कि अभी सबसे ज्यादा मरीज हीट स्ट्रोक के ही मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं.
इस बारे में अधिक जानकारी और हीट स्ट्रोक से बचाव के बारे में जानने के लिए ईटीवी भारत ने चाइल्ड स्पेशलिस्ट अशोक भट्टर से बातचीत की. बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि बच्चों में हीट स्ट्रोक क्यों होता है? इसके क्या लक्षण हैं? इससे कैसे बचा जा सकता है?
हीट स्ट्रोक का शिकार हो रहे बच्चे: चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ अशोक भट्टर का कहना है कि, "हमारे पास रोज हीट स्ट्रोक से ग्रसित बच्चें पहुंच रहे हैं. यह कोई बीमारी नहीं होती, लेकिन गर्मी की वजह से बच्चा परेशान हो जाता है. उसे बुखार आ जाता है और उल्टी होने लगती है. सर दर्द होने लगता है. बच्चा अस्वस्थ हो जाता है. खाना नहीं खाता है. ये सभी लक्षण हीट स्ट्रोक के हैं. इस समय हीट स्ट्रोक से पीड़ित बच्चे बहुत ज्यादा अस्पताल आ रहे हैं. ऐसे बच्चों को हर हालत में अधिक तापमान के समय घर से कहीं बाहर ले जाने से बचना चाहिए. यदि घर से ले जाना जरूरी है, तो बच्चे को गर्मी से बचाते हुए लेकर जाएं."
गर्मी में बच्चों के खानपान पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए. बच्चों को ताजा आहार ही देना चाहिए, क्योंकि गर्मी के मौसम में विशेष रूप से यदि फूड खुला हुआ रह गया तो उसमें जल्दी इंफेक्शन हो जाता है. इस वजह से फूड प्वाइजनिंग होती है. ऐसे में बच्चों को ताजा आहार देना चाहिए.बच्चों के पीने के पानी का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि गर्मी में शरीर में पानी का कंजप्शन ज्यादा होता है. पानी बच्चे ज्यादा पीते हैं और यदि पानी में थोड़ा बहुत भी इंफेक्शन हुआ, तो उसका असर बच्चों के स्वास्थ्य पर भी पड़ेगा. फूड प्वाइजनिंग का खतरा बना रहता है. ऐसे में आरओ का शुद्ध साफ-सुथरा पानी ही बच्चों को दें. -डॉ अशोक भट्टर, चाइल्ड स्पेशलिस्ट
बर्फ देते समय रखें खास ध्यान: गर्मी में बच्चे ज्यादातर बर्फ का सेवन करते हैं. ऐसे में बच्चों को बर्फ या उससे संबंधित कोई खाने-पीने की चीज देने के पहले सतर्क रहना चाहिए. डॉक्टर अशोक भट्टर कहते हैं कि यदि पानी में बर्फ डाला हुआ है तो हमें यह पता होना चाहिए कि वह बर्फ खाने वाला है या नहीं, क्योंकि खाने का बर्फ अलग होता है और ठंडा रखने के लिए अलग बर्फ का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में बच्चों को दिया जाने वाला बर्फ साफ पानी का बना हो, यह सुनिश्चित करना जरूरी है.