नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने ऋषिकेश में गंगा की सहायक चंद्रभागा नदी पर उत्तराखंड पेयजल निगम द्वारा 8 एमएलडी का एसटीपी प्लांट नियमों को ताक पर रखकर लगाए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने पेयजल निगम व सरकार से दो सप्ताह के भीतर स्थिति से अवगत कराने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई दशहरे के बाद की जाएगी.
कुलबिंदर सिंह रावत ने दायर की थी याचिका: मामले के अनुसार महादेव मंदिर ट्रस्ट के कुलबिंदर सिंह रावत ने जनहित याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया कि ऋषिकेश में उत्तराखंड पेयजल निगम के द्वारा बिना एनजीटी व राज्य प्रदूषण बोर्ड से अनुमति लिए नियमों को ताक पर रखकर गंगा की सहायक नदी चंद्रभागा पर 8 एमएलडी ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जा रहा है. ट्रीटमेंट प्लांट लगने से चंद्रभागा और गंगा नदी प्रदूषित होने के साथ-साथ स्थानीय लोगों को कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जैसे दुर्गंध और जहरीली गैसों का रिसाव आदि का सामना करना पड़ सकता है.
निर्माण कार्य पर रोक लगाने की मांग: केंद्र सरकार की नमामि गंगे योजना के तहत यह नियम बनाए गए थे कि गंगा और उसकी सहायक नदियों के तट से 100 मीटर के भीतर कोई पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले प्रोजेक्ट न लगाए जाएं, जबकि यह प्रोजेक्ट 100 मीटर नदी से कम दूरी पर लगाया जा रहा है, इसलिए इस एसटीपी ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण पर रोक लगाकर इसे लक्कड़घाट या चोरपानी ढालवाला में शिफ्ट किया जाए. इस संबंध में स्थानीय लोगों द्वारा राज्य सरकार को प्रत्यावेदन दिया गया, लेकिन अभी तक उसपर कोई अग्रिम कार्रवाई नहीं हुई. जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि इसके निर्माण कार्य पर रोक लगाने के आदेश राज्य सरकार को दिए जाएं.
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