प्रयागराज : मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि कटरा केशव देव की जमीन से शाही ईदगाह का कब्जा हटाने की मांग वाले दाखिल दीवानी मुकदमों को निरस्त करने की मांग में मुस्लिम पक्ष की ओर से सीपीसी के आदेश सात नियम 11 के तहत अर्जी पर दो मुकदमों में बहस पूरी कर ली गई है. शेष 16 मुकदमों में हिंदू पक्ष की बहस का जवाब देने के लिए मुस्लिम पक्ष की ओर से कहा गया कि इनका जवाब दाखिल किया जाएगा और इसके लिए समय की मांग की गई. कोर्ट ने उन्हें 30 मई तक जवाब दाखिल करने को कहा है और अगली सुनवाई उसी दिन करने को कहा है.
यह आदेश न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने दिया है. हालांकि हिंदू पक्ष की ओर से कहा गया था कि हाईकोर्ट में ग्रीष्मकालीन अवकाश शुरू होने वाला है. विपक्षी सीपीसी के आदेश सात नियम 11 पर बहस कर चुके हैं. फिर कुछ दिन बहस जारी रखने के लिए समय मांगा जा रहा है. मुस्लिम पक्ष की ओर से कहा गया कि विभिन्न मुकदमों में कई वकीलों और वादकारी ने बहस की है. उसका जवाब देना जरूरी है. यह भी कहा कि वाद संख्या पांच व छह में वादी की बहस का जवाब वाद संख्या 17 की सुनवाई के समय दिया जाएगा.
एसपी हापुड़ से जवाब तलब, इंस्पेक्टर से स्पष्टीकरण मांगा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश की अनदेखी कर सिविल प्रकृति के विवाद में आपराधिक मुकदमा कायम करने पर कड़ी नाराजगी जताई है. कोर्ट ने एसपी हापुड़ को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. साथ ही मुकदमा दर्ज करने वाले हापुड़ नगर के थानाध्यक्ष विवेक चौहान से स्पष्टीकरण मांगा है. साथ ही कोर्ट ने याची ओमवीर व अन्य चार लोगों के खिलाफ मुकदमे में गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है.
हापुड़ के ओमवीर की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति अरविंद सिंह सांगवान और न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की खंडपीठ ने दिया है. याची का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी का कहना था कि विपक्षी शिकायतकर्ता और याची के बीच एक जमीन की रजिस्ट्री को लेकर सिविल विवाद चल रहा है. जिसमें शिकायतकर्ता ने सिविल सूट दाखिल किया जो उसके पक्ष में डिग्री हो गया. इसके खिलाफ याची ने भी ऊपर की अदालत में सिविक सूट दाखिल किया है.
इस दौरान शिकायतकर्ता ने सीजेएम हापुड़ के समक्ष दो परिवाद दाखिल किए. जिस पर सीजेएम ने संबंधित थाने से रिपोर्ट मांगी. थाने ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि प्रकरण पूर्णतया सिविल विवाद का है तथा इसमें कोई संज्ञेय अपराध नहीं बनता है. इसके बाद सीजेएम ने दोनों प्रार्थना पत्र खारिज कर दिए. शिकायतकर्ता ने तीसरा प्रार्थना पत्र दाखिल किया जिस पर उसी थाने के उपनिरीक्षक ने पुनः वही रिपोर्ट दी. इसके बावजूद थाना अध्यक्ष विवेक चौहान ने याचियों के खिलाफ धोखाधड़ी, कूट रचना व दस्तावेजों में हेरफेर का मुकदमा दर्ज कर लिया.
वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना था कि हाईकोर्ट ने हाल ही में ओमवीर केस में 1 मई 2024 से सिविल प्रकृति के सभी मामलों में मुकदमा दर्ज करने से पहले डीजीसी क्रिमिनल की विधिक राय लेने को अनिवार्य कर दिया है. थानाध्यक्ष ने हाईकोर्ट के इस आदेश की अनदेखी की और बिना विधिक राय लिए आपराधिक मुकदमा कायम कर लिया. जबकि इसी मामले में दो प्रार्थना पत्र पूर्व में सीजेएम द्वारा खारिज किया जा चुका है. कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों को नोटिस जारी करते हुए एसपी हापुड़ को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. साथ ही थानाध्यक्ष हापुड़ नगर को स्पष्टीकरण देने के लिए कहा है कि क्यों न अदालत के आदेश की अनदेखी पर उन पर 50 हजार रुपये का हर्जाना लगाया जाए. साथ ही कोर्ट ने याचियों के विरुद्ध किसी भी प्रकार की उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है.