पटना : बिहार की पटना हाईकोर्ट में राज्य के पूर्व एवं वर्तमान सांसदों और विधायकों के विरुद्ध लंबित आपराधिक मुकदमों से सम्बन्धित याचिका पर दो सप्ताह बाद सुनवाई होगी. चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ द्वारा इन मामलों पर सुनवाई की जा रही है. इससे पूर्व कोर्ट ने इन मामलों की मॉनिटरिंग करते हुए राज्य के जिला जजों को प्रगति रिपोर्ट छः सप्ताह में देने का निर्देश दिया था.
माननीयों के विरुद्ध लंबित केस पर HC सख्त : पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने महत्वपूर्ण दिशा निर्देश जारी करते हुए राज्य के सभी जिला जजों से सभी जिलाधिकारियों, हितधारकों, एवं पुलिस अधीक्षक की बैठक बुला कर मामलो की त्वरित सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए कहा था. कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के महानिबंधक को इस आदेश की प्रति इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से सभी जिला जजों को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था.
MP/MLA के खिलाफ लंबित हैं मामले : गौरतलब है कि अदालत ने जिला जजों से पूर्व ऐवं वर्तमान एमपी /एमएलए के ख़िलाफ़ लंबित मामलों की सुनवाई की स्थिति से संबंधित रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया था. पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने गृह विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव द्वारा दायर रिपोर्ट की सराहना करते हुए कहा कि यह रिपोर्ट ज्यादा विस्तृत है और मामलों की समय रेखा भी इंगित करती है. कोर्ट ने इससे पहले भी इन मामलों को निष्पादित करने के दिशानिर्देश जारी करते रही है. इन मामलो पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी.
गया के एक न्यायिक दंडाधिकारी (प्रथम श्रेणी) को नोटिस: वहीं एक दूसरे मामले की सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने गया के एक न्यायिक दंडाधिकारी (प्रथम श्रेणी) द्वारा हाई कोर्ट के आदेश का एक वर्ष से ज्यादा की अवधि तक पालन नहीं किए जाने पर गंभीर रुख अपनाते हुए उन्हें नोटिस जारी कर ज़बाब तलब किया है.
अवमानना का केस चलाने का नोटिस : कोर्ट ने संबंधित न्यायिक दंडाधिकारी से यह पूछा है कि अदालती आदेश का पालन नहीं किए जाने पर क्यों नहीं उनके खिलाफ अदालत के आदेश की अवमानना का मामला प्रारंभ किया जाए. कोर्ट में कहा कि नोटिस की प्रति संबंधित न्यायिक दंडाधिकारी को गया के जिला एवं सत्र न्यायाधीश के माध्यम से हस्तगत कराया जाए, ताकि वह अपना जवाब कोर्ट को दे सकें. जस्टिस संदीप कुमार ने अशोक कुमार द्वारा इस मामले को लेकर दायर किए गए अपराधिक रिट याचिका की सुनवाई करने के बाद यह निर्देश दिया.
2023 का मामला : कोर्ट को वरीय अधिवक्ता शशि शेखर द्विवेदी ने बताया कि हाईकोर्ट ने 21 मार्च, 2023 को संबंधित न्यायिक दंडाधिकारी को यह निर्देश दिया था कि दोनों पक्ष द्वारा कर लिए गए समझौता के आधार पर लंबित मुकदमे का निपटारा दो माह के अंदर हर हाल में कर दिया जाए. उन्होंने कोर्ट को बताया कि संबंधित न्यायिक दंडाधिकारी को हाईकोर्ट के आदेश की प्रति उपलब्ध करा दी गई. हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में मामले को निष्पादित करने का अनुरोध किया गया.
2 महीने का दिया गया समय : कोर्ट को बताया गया कि संबंधित दंडाधिकारी के द्वारा यह कहा जाता रहा कि हाईकोर्ट ने, जो आदेश पारित किया है, वह उसके समझ से बाहर है. जब तक सूचक द्वारा कोर्ट में उपस्थित होकर इस मामले को खत्म करने का निवेदन नहीं किया जाएगा, तब तक यह मामला समाप्त नहीं किया जाएगा. अधिवक्ता द्विवेदी ने कोर्ट को बताया कि हाई कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट लिखा है कि अगर दो माह तक सूचक कोर्ट में उपस्थित नहीं होती है, तो निचली अदालत इस मामले का निष्पादन तुरंत कर देगा.
दहेज प्रताड़ना से जुड़ा है मामला : लेकिन संबंधित दंडाधिकारी द्वारा इस मामले को एक साल से ज्यादा की अवधि तक लटका करके रखा गया है. कोर्ट ने इसी मामले को गंभीरता से लेते हुए संबंधित न्यायिक दंडाधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. ये मामला दहेज प्रताड़ना से संबंधित है. इसको लेकर गया के विष्णुपद थाना में एक प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी.
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