नई दिल्ली: राउज एवेन्यू कोर्ट के सेशंस कोर्ट ने निवेशकों के साथ धोखाधड़ी के मामले में पूर्व विधायक रणबीर सिंह खर्ब और पत्नी अनीता को ट्रायल कोर्ट से मिली 7 साल कैद की सजा को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई टाल दी है. स्पेशल जज कावेरी बावेजा ने याचिका पर अगली सुनवाई 4 सितंबर को करने का आदेश दिया है.
पहले की सुनवाई के दौरान आरोपियों की ओर से पेश वकील कल्लू सिंह ने कहा कि 29 फरवरी को दिए आदेश में कोर्ट ने इस बात पर गौर किया था कि एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की कोर्ट के फैसले में भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी के तहत दोषी करार देने का जिक्र नहीं है. जबकि, आरोपियों के खिलाफ धारा 120बी के तहत आरोप तय किया गया था.
बता दें, 29 फरवरी को स्पेशल जज ने दोनों की सजा को निलंबित कर रिहा करने का आदेश दिया था. स्पेशल जज ने 25-25 हजार रुपये के निजी मुचलके और एक-एक जमानती के आधार पर रिहा करने का आदेश दिया था. स्पेशल जज ने रणबीर खर्ब और पत्नी अनीता को रिहा होने के दस दिनों के अंदर जुर्माने की एवज में पांच-पांच लाख रुपये जमा करने का निर्देश दिया था.
सुनवाई के दौरान दोनों आरोपियों की ओर से वकील एएन अग्रवाल और नुपुर सचदेवा ने कहा था कि रणबीर सिंह खर्ब ने 39 महीने न्यायिक हिरासत में गुजारे हैं. जबकि, अनीता करीब 30 महीने न्यायिक हिरासत में थी. उन्होंने सजा को निलंबित करने की मांग करते हुए कहा कि रणबीर की उम्र 62 साल है. अनीता की 56 वर्ष है. सेशंस कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का फैसला देने पर पाया कि इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी के तहत के आरोप पर कोई आदेश नहीं दिया गया है.
26 फरवरी को एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट प्रियंका राजपूत ने रणबीर सिंह खर्ब और उनकी पत्नी अनीता को सात साल जेल की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने दोनों पर 44 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था. कोर्ट ने 26 फरवरी को ही दोनों को हिरासत में लेने का आदेश दिया था. मामला ऊंचे रिटर्न का झांसा देकर निवेशकों से धोखाधड़ी से जुड़ा है.
इस मामले में पहली शिकायत एएस हुड्डा नामक निवेशक ने 30 सितंबर 2005 को की थी. शिकायतकर्ता ने 1998 से 2002 के बीच कंपनी में 95 लाख रुपए का निवेश किया था. हुड्डा की शिकायत के आधार पर रणबीर सिंह खर्ब और अनीता खर्ब समेत कंपनी के दूसरे निदेशकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. ज्योति फेयर फाइनेंस कंपनी का गठन 1998 में किया गया था. दिसंबर 2003 में रणबीर खर्ब महाराष्ट्र से विधायक बन गए. उसके बाद वो निवेशकों को रिटर्न देने से इनकार कर दिया. बाद में वो निवेशकों को धमकाने भी लगे. निवेशकों को धमकी मिलने के बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की.
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