नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका पर आज सुप्रीमकोर्ट में अपना फैसला सुना दिया. अरविंद केजरीवाल को 1 जून तक अंतरिम बेल मिल गई है. इससे पहले 7 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मामले सुनवाई की थी. ईडी और केजरीवाल के वकीलों के बीच जोरदार बहस हुई थी, लेकिन फैसला नहीं आ सका था. सुप्रीम कोर्ट ने फैसले की तारीख 10 मई तय कर दी थी.
सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने अरविंद केजरीवाल से कहा था कि अगर आपको अंतरिम जमानत दी जाती है, तो आप अपना आधिकारिक काम नहीं करेंगे. चुनाव न होते तो अंतरिम जमानत का सवाल ही नहीं उठता. वहीं ईडी से सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अरविंद केजरीवाल मौजूदा समय में मुख्यमंत्री हैं और चुनाव पांच साल में एक बार आता है.
ईडी ने इस बात पर जोर देते हुए कहा था कि 'आम चुनाव में प्रचार के लिए केजरीवाल को अंतरिम जमानत देकर उनके पक्ष में कोई भी विशेष रियायत कानून के शासन और समानता के लिए अभिशाप होगी. इससे एक मिसाल कायम होगी, जो सभी बेईमान राजनेताओं को किसी न किसी चुनाव की आड़ में अपराध करने और जांच से बचने की अनुमति देगी.
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वहीं मामले में ईडी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका के विरोध में एक नया हलफनामा दायर करते हुए कहा था कि चुनाव प्रचार मौलिक अधिकार नहीं है. साथ ही हलफनामे में कहा था कि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को कभी भी जमानत नहीं दी जाती है. हां, न्यायिक हिरासत में रहते हुए वोट देने का अधिकार है, जिसे यह अदालत वैधानिक/संवैधानिक अधिकार मानती है. ऐसे कई सारे उदाहरण हैं, जिसमें राजनेताओं ने न्यायिक हिरासत में रहते हुए चुनाव लड़ा. जिनमें से कुछ ने तो जीत भी हासिल की, लेकिन उन्हें इस आधार पर कभी जमानत नहीं दी गई.
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