नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 16 दिसंबर को हल्द्वानी दंगे के मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक, अब्दुल मोईद और जावेद के जमानत प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने सुनवाई जारी रखते हुए अगली सुनवाई के लिए 18 दिसंबर की तिथि नियत की है. खंडपीठ ने सरकार से कहा कि तब तक चार्जशीट कोर्ट में पेश करें.
सुनवाई पर सरकार की तरफ से कहा गया कि अब मामले में चार्जशीट दायर हो गई है. इसलिए ये जमानत के लिए सेशन कोर्ट में जा सकते हैं. जबकि मलिक की तरफ से कहा गया कि सेशन कोर्ट ने उनका जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया है. इसलिए उनकी जमानत प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई उच्च न्यायालय में ही की जाए.
मामले के अनुसार, 8 फरवरी 2024 को हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में अतिक्रमण हटाने गई प्रशासन और पुलिस की टीम पर मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक समेत अतिक्रमणकारियों और कई अन्य लोगों ने पथराव और आगजनी की. हिंसा के दौरान अतिक्रमणकारियों ने कई गाड़ियों समेत थाने को आग के हवाले कर दिया था. इस हिंसा में कई लोगों की जान भी चली गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हुए. पुलिस जांच के बाद पुलिस ने 100 से अधिक हिंसकों को गिरफ्तार किया. जिसमें अब्दुल मलिक, अब्दुल मोईद और जावेद भी आरोपी हैं.
हालांकि, आरोपियों की तरफ से जमानत प्रार्थना पत्र में यह भी कहा है कि जिस दिन यह घटना हुई वे वहां न होकर दिल्ली में थे. उन्हें वेबजह फंसाकर उनके ऊपर दंगा भड़काने और दंगाइयों का साथ देने का झूठा मुकदमा दर्ज कर दिया. जब अपराध किया ही नहीं तो झूठा मुकदमा किस आधार पर दर्ज किया गया? इसलिए उन्हें जमानत दी जाए. 16 दिसंबर हाईकोर्ट में उनकी जमानत प्रार्थना पत्र की पैरवी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने की.
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