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उत्तराखंड सरकार को हाईकोर्ट का निर्देश- एक साल के अंदर पूरे प्रदेश में लागू करें रेगुलर पुलिस व्यवस्था - Regular Police System - REGULAR POLICE SYSTEM

Revenue Police System Closed Matter उत्तराखंड में राजस्व पुलिस के अधीन कई क्षेत्र आते हैं, जब अपराध की विवेचना होती है तो राजस्व पुलिस को संसाधनों की कमी से जूझना पड़ता है. लंबे समय से राजस्व पुलिस व्यवस्था समाप्त करने की मांग चल रही है.

Uttarakhand High Court
उत्तराखंड हाईकोर्ट (फोटो-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 21, 2024, 3:06 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य में राजस्व पुलिस व्यवस्था समाप्त करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने एक साल के भीतर पूरे प्रदेश में रेगुलर पुलिस की व्यवस्था करके उसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें.

राजस्व पुलिस को नहीं मिले संसाधन: आज सुनवाई पर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि सरकार ने कई क्षेत्रों में रेगुलर पुलिस की व्यवस्था कर दी है और अन्य क्षेत्रों में इस व्यवस्था को लागू करने के लिए सरकार प्रयास कर रही है. साल 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने भी नवीन चन्द्र बनाम राज्य सरकार केस में इस व्यवस्था को समाप्त करने की आवश्यकता समझी थी, जिसमें कहा गया कि राजस्व पुलिस को सिविल पुलिस की भांति ट्रेनिंग नहीं दी जाती. यही नहीं, राजस्व पुलिस के पास आधुनिक साधन, कम्प्यूटर, डीएनए और रक्त परीक्षण, फोरेंसिक जांच, फिंगर प्रिंट जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं होती है. इन सुविधाओं के अभाव में अपराध की समीक्षा करने में परेशानियां होती हैं.

समान कानून व्यवस्था हो लागू: कोर्ट ने यह भी कहा था कि राज्य में एक समान कानून व्यवस्था हो, जो नागरिकों को मिलनी चाहिए. उच्च न्यायालय ने भी इस संबंध में सरकार को साल 2018 में कई दिशा निर्देश दिए थे, लेकिन उस आदेश का पालन नहीं हुआ. जनहित याचिका में कोर्ट से अनुरोध किया है कि पूर्व में दिए आदेश का अनुपालन करवाया जाए. इस मामले में समाधान 256 कृष्णा विहार लाइन न. एक जाखन देहरादून ने जनहित याचिका दायर की है.

पढ़ें- यूकेपीएससी परीक्षा मामले में HC में सुनवाई, कोर्ट ने लोक सेवा आयोग से एक सप्ताह में मांगा जवाब

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य में राजस्व पुलिस व्यवस्था समाप्त करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने एक साल के भीतर पूरे प्रदेश में रेगुलर पुलिस की व्यवस्था करके उसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें.

राजस्व पुलिस को नहीं मिले संसाधन: आज सुनवाई पर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि सरकार ने कई क्षेत्रों में रेगुलर पुलिस की व्यवस्था कर दी है और अन्य क्षेत्रों में इस व्यवस्था को लागू करने के लिए सरकार प्रयास कर रही है. साल 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने भी नवीन चन्द्र बनाम राज्य सरकार केस में इस व्यवस्था को समाप्त करने की आवश्यकता समझी थी, जिसमें कहा गया कि राजस्व पुलिस को सिविल पुलिस की भांति ट्रेनिंग नहीं दी जाती. यही नहीं, राजस्व पुलिस के पास आधुनिक साधन, कम्प्यूटर, डीएनए और रक्त परीक्षण, फोरेंसिक जांच, फिंगर प्रिंट जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं होती है. इन सुविधाओं के अभाव में अपराध की समीक्षा करने में परेशानियां होती हैं.

समान कानून व्यवस्था हो लागू: कोर्ट ने यह भी कहा था कि राज्य में एक समान कानून व्यवस्था हो, जो नागरिकों को मिलनी चाहिए. उच्च न्यायालय ने भी इस संबंध में सरकार को साल 2018 में कई दिशा निर्देश दिए थे, लेकिन उस आदेश का पालन नहीं हुआ. जनहित याचिका में कोर्ट से अनुरोध किया है कि पूर्व में दिए आदेश का अनुपालन करवाया जाए. इस मामले में समाधान 256 कृष्णा विहार लाइन न. एक जाखन देहरादून ने जनहित याचिका दायर की है.

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