नैनीताल: विकासनगर में वन भूमि पर अतिक्रमण और खुर्द-बुर्द करने के मामले में आज दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इसी बीच कोर्ट ने याचिकाकर्ता को तीन सप्ताह के अंदर संबंधित डीएफओ को प्रत्यावेदन सौंपने के निर्देश दिए हैं. साथ ही डीएफओ को क्षेत्र का निरीक्षण कर छह महीने में उचित कार्रवाई करने को कहा गया है. देहरादून निवासी विकेश नेगी की ओर से दायर जनहित याचिका पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की युगलपीठ में सुनवाई हुई.
धोखाधड़ी से वन भूमि को किया जा रहा खुर्द-बुर्द: याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि उसके संज्ञान में आया है कि विकासनगर के क्यारकुली भट्टा, चालंग, अम्बारी, डांडा जंगल, रूद्रपुर और आदि गांवों में धोखाधड़ी से वन भूमि को हड़पकर खुर्द-बुर्द किया जा रहा है. साथ ही वनों को भी काटा जा रहा है. उत्तरप्रदेश जमींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार अधिनियम, 1950 के तहत इस भूमि को बेचा या खरीदा नहीं जा सकता है. अधिनियम में कहा गया है कि सरकार और गांव समाज की वन भूमि को किसी भी रूप में हस्तांतरित या बेचा नहीं जा सकता है. इसे वन संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के खिलाफ बताया गया है.
याचिकाकर्ता ने कार्रवाई नहीं करने का लगाया आरोप: याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि इसी साल 20 सितंबर, 2024 को इस मामले में मुख्यमंत्री और वन मंत्री को प्रत्यावेदन सौंपने के अलावा इस मामले को मुख्य वन संरक्षक के संज्ञान में भी लाया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
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