पटना: पटना हाईकोर्ट ने शक्ति और पद का दुरुपयोग के मामले में बड़ी कार्रवाई की है. राज्य सरकार के दोषी कर्मियों ने 60 हजार लीटर इथेनॉल तेल बहा देने के मामले में हाईकोर्ट ने दोषियों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. अदालत ने नुकसान को लेकर सूबे की नीतीश सरकार पर 46 लाख का जुर्माना लगाया गया है.
नीतीश सरकार पर 46 लाख का जुर्माना: पटना हाईकोर्ट के जस्टिस पीबी बजंथरी और जस्टिस शशि भूषण प्रसाद सिंह की खंडपीठ ने राउल निर्माण प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई के बाद दी. कोर्ट ने कहा कि अधिकारी अपनी शक्ति और पद का दुरुपयोग किये है और कथित गलत कार्यों से राज्य के खजाने को हानि हुई है.
क्या है मामला: दरअसल, ये पूरा मामला इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के मुजफ्फरपुर स्थित भारत ऊर्जा डिस्टिलरीज प्राइवेट लिमिटेड से इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम के तहत लगभग साठ हजार लीटर 'इथेनॉल' की खरीदने का था. जिसे मोतिहारी स्थित इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन तक ले जाना था. सारी कागजी खानापूर्ति होने के बाद पंजीकृत दो टैंकरों में सामग्री अपलोड कर दी गई.
दोनों टैंकर में भरा था इथेनॉल: अदालत ने बताया कि प्रत्येक टैंकर में तीस हज़ार लीटर 'इथेनॉल' भरा हुआ था. जब यह ट्रांज़िट में था तो वाहन को तीन घंटे के भीतर पिपरा कोठी पुलिस ने जब्त कर लिया और थाना कांड संख्या 88/2024 दर्ज कर लिया गया. एक अन्य वाहन अर्बन क्रूजर, चार पहिया वाहन को भी पुलिस अधिकारियों ने जब्त कर लिया और बताया कि चार पहिया वाहन से 155 लीटर कच्ची स्पिरिट बरामद की गई हैं.
60 हजार इथेनॉल बहाने का आरोप: आवेदकों की ओर से दोनों टैंकरों को छोड़ने और पिपरा कोठी थाना में दर्ज प्राथमिकी में किसी प्रकार का कार्रवाई नहीं करने की गुहार कोर्ट से लगाई. कोर्ट ने माना कि इथेनॉल ले जाने में किसी तरह की कोई कानूनी अड़चने नहीं थी. इसके बावजूद अधिकारियों ने अपने पद और शक्ति का दुरुपयोग कर टैंकरों को जब्त किया और साठ हजार लीटर इथेनॉल को नष्ट कर दिये. इसे वापस नहीं किया जा सकता है.
जून में होगी फिर सुनवाई: कोर्ट ने सरकार को आठ सप्ताह के भीतर निपटाए गए इथेनॉल के मूल्य 45,44,800/- (पैंतालीस लाख चौवालीस हजार आठ सौ रुपये) चुकाने का आदेश दिया. साथ ही आवेदक को अनुचित कठिनाई और मानसिक पीड़ा पहुंचाने व बेवजह मुकदमे बाजी करने के लिए बतौर क्षतिपूर्ति एक लाख रुपये का भुगतान इथेनॉल के मूल्य के साथ करने का आदेश दिया कोर्ट ने दोनों टैंकरों को आवेदक के पक्ष में तुरंत छोड़ने का आदेश दिया. इस मामले की सुनवाई जून 2025 में की जाएगी.
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