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नदियों की सफाई नहीं होने से भूकटाव मामले पर हाईकोर्ट में हुई सुनवाई, पंगुट अभ्यारण्य मार्ग पर दिया ये आदेश - Hearing in HC on river cleaning - HEARING IN HC ON RIVER CLEANING

Hearing in Nainital High Court on cleaning silt from rivers नैनीताल हाईकोर्ट में नदियों की सफाई नहीं होने कारण उनसे भूकटाव मामले पर सुनवाई हुई. उच्च न्यायालय ने अगली सुनवाई के लिए सितबंर में डेट दी है. इसके साथ ही पंगुट अभ्यारण्य में रास्ते खोलने को लेकर दायर याचिका पर भी सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने इस पर महत्वपूर्ण आदेश दिया.

Hearing in Nainital High Court
नैनीताल हाईकोर्ट. (फाइल फोटो.)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 8, 2024, 11:20 AM IST

Updated : May 8, 2024, 2:51 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नंधौर नदी सहित बरसात के दौरान गौला, कोसी, गंगा, दाबका में हो रहे भूकटाव व बाढ़ से नदियों के मुहाने अवरुद्ध होने के कारण अबादी क्षेत्रों में जल भराव, भू कटाव को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने इस मामले में अगली सुनवाई हेतु सितंबर माह की तारीख नियत की है.

नदियों से भूकटाव पर सुनवाई: सुनवाई पर याचिकाकर्ता भुवन पोखरिया ने कोर्ट को अवगत कराया कि पिछली तिथि को कोर्ट ने कहा था कि जो याचिकाकर्ता ने आरटीआई में प्रश्न उठाये थे, राज्य सरकार उसका अवलोकन करे. परन्तु आज राज्य सरकार ने इसका अवलोकन करने हेतु कोर्ट से समय मांगा. जिस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई हेतु सितंबर माह की तिथि नियत की है. सुनवाई पर याचिकाकर्ता पोखरिया के द्वारा कहा गया कि पिछली तिथि को कोर्ट ने कहा था कि जो तथ्य इनको आरटीआई में मिले हैं, राज्य सरकार उसका अवलोकन करके कोर्ट को बताए. परंतु इस पर राज्य सरकार से समय दिए जाने की मांग की गई. जिस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई हेतु सितंबर माह की तिथि नियत की है. याचिकाकर्ता का ये भी कहना है कि जून 15 के बाद बरसात का समय शुरू हो जाता है. इसलिए कोर्ट के पूर्व में जारी आदेशों का अनुपालन हो, ताकि आने वाले बरसात सीजन में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोग परेशान न हों.

मामले के अनुसार हल्द्वानी चोरगलिया निवासी भुवन चन्द्र पोखरिया ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उत्तराखंड में बरसात की वजह से नदियां उफान पर रहती हैं. नदियों के मुहाने अवरुद्ध होने के कारण बाढ़ व भूकटाव हो जाता है. जिसके चलते आबादी क्षेत्र में जलभराव होता है. नदियों के उफान पर होने के कारण हजारों हेक्टेयर वन भूमि, पेड़, सरकारी योजनाएं बह चुकी हैं. नदियों के चैनलाइज नही होने के कारण नदियों ने अपना रुख आबादी की तरफ कर दिया है.

पंगुट अभ्यारण्य मार्ग पर सुनवाई: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने वन विभाग के द्वारा नैनीताल के पंगुट क्षेत्र स्थित पक्षी अभ्यारण्य की जद में आए करीब आधा दर्जन गांवों का रास्ता बंद किए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने इस क्षेत्र के वाशिन्दों को निर्देश दिए हैं कि वे इस प्रतिबंध को स्वयं हटा सकते हैं. क्योंकि अधिकारी लोग वनाग्नि में व्यस्त हैं. वन विभाग कोई भी विभागीय कार्रवाई उनके खिलाफ नहीं करेगा.

सुनवाई के दौरान वन विभाग की तरफ से दायर शपथ पत्र में कहा गया कि उनके द्वारा पक्षी अभ्यारण्य क्षेत्र में रह रहे लोगों के आने जाने के रास्ते जो पूर्व में बंद कर दिए गए थे, उनको खोल दिया गया है. जबकि इसका विरोध करते हुए याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि तीन रास्तों में से विभाग ने केवल एक रास्ता खोला है. बाकी दो रास्ते अभी भी बंद हैं. उनको भी खोला जाये. यह रास्ते बंद होने के कारण अभी भी इस क्षेत्र के आधा दर्जन गांव मुख्य मोटर मार्ग से वंचित हैं. जिसकी वजह से इस क्षेत्र में रह रहे लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

खासकर गर्भवती महिलाओं व बुजुर्गों को सही समय पर कोई मेडिकल सुविधा उपलब्ध नही हो पा रही है. जबकि वे इस क्षेत्र में 1890 से रहे हैं. विभाग का कानून खुद कहता है कि जो लोग 1980 से पहले रिर्जव फॉरेस्ट में रह रहे हैं, उनको प्रकृति के द्वारा दी गयी सुविधा पर कोई असुविधा नहीं देगा. 2008 में पक्षी अभ्यारण्य बनने के बाद विभाग हमेशा कई तरह के प्रतिबंध लगाता आया है. रिपोर्ट के मुताबिक वन विभाग के कई रेस्ट हाउस, पक्की रोड व गाड़ियां खड़ी हुई हैं. या तो हमारा रास्ता खोलें या फिर सभी रास्ते बंद करें.
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आबादी वाले क्षेत्रों में जल भराव और भू कटाव मामले पर सुनवाई, HC ने राज्य सरकार से मांगी जानकारी

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नंधौर नदी सहित बरसात के दौरान गौला, कोसी, गंगा, दाबका में हो रहे भूकटाव व बाढ़ से नदियों के मुहाने अवरुद्ध होने के कारण अबादी क्षेत्रों में जल भराव, भू कटाव को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने इस मामले में अगली सुनवाई हेतु सितंबर माह की तारीख नियत की है.

नदियों से भूकटाव पर सुनवाई: सुनवाई पर याचिकाकर्ता भुवन पोखरिया ने कोर्ट को अवगत कराया कि पिछली तिथि को कोर्ट ने कहा था कि जो याचिकाकर्ता ने आरटीआई में प्रश्न उठाये थे, राज्य सरकार उसका अवलोकन करे. परन्तु आज राज्य सरकार ने इसका अवलोकन करने हेतु कोर्ट से समय मांगा. जिस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई हेतु सितंबर माह की तिथि नियत की है. सुनवाई पर याचिकाकर्ता पोखरिया के द्वारा कहा गया कि पिछली तिथि को कोर्ट ने कहा था कि जो तथ्य इनको आरटीआई में मिले हैं, राज्य सरकार उसका अवलोकन करके कोर्ट को बताए. परंतु इस पर राज्य सरकार से समय दिए जाने की मांग की गई. जिस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई हेतु सितंबर माह की तिथि नियत की है. याचिकाकर्ता का ये भी कहना है कि जून 15 के बाद बरसात का समय शुरू हो जाता है. इसलिए कोर्ट के पूर्व में जारी आदेशों का अनुपालन हो, ताकि आने वाले बरसात सीजन में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोग परेशान न हों.

मामले के अनुसार हल्द्वानी चोरगलिया निवासी भुवन चन्द्र पोखरिया ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उत्तराखंड में बरसात की वजह से नदियां उफान पर रहती हैं. नदियों के मुहाने अवरुद्ध होने के कारण बाढ़ व भूकटाव हो जाता है. जिसके चलते आबादी क्षेत्र में जलभराव होता है. नदियों के उफान पर होने के कारण हजारों हेक्टेयर वन भूमि, पेड़, सरकारी योजनाएं बह चुकी हैं. नदियों के चैनलाइज नही होने के कारण नदियों ने अपना रुख आबादी की तरफ कर दिया है.

पंगुट अभ्यारण्य मार्ग पर सुनवाई: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने वन विभाग के द्वारा नैनीताल के पंगुट क्षेत्र स्थित पक्षी अभ्यारण्य की जद में आए करीब आधा दर्जन गांवों का रास्ता बंद किए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने इस क्षेत्र के वाशिन्दों को निर्देश दिए हैं कि वे इस प्रतिबंध को स्वयं हटा सकते हैं. क्योंकि अधिकारी लोग वनाग्नि में व्यस्त हैं. वन विभाग कोई भी विभागीय कार्रवाई उनके खिलाफ नहीं करेगा.

सुनवाई के दौरान वन विभाग की तरफ से दायर शपथ पत्र में कहा गया कि उनके द्वारा पक्षी अभ्यारण्य क्षेत्र में रह रहे लोगों के आने जाने के रास्ते जो पूर्व में बंद कर दिए गए थे, उनको खोल दिया गया है. जबकि इसका विरोध करते हुए याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि तीन रास्तों में से विभाग ने केवल एक रास्ता खोला है. बाकी दो रास्ते अभी भी बंद हैं. उनको भी खोला जाये. यह रास्ते बंद होने के कारण अभी भी इस क्षेत्र के आधा दर्जन गांव मुख्य मोटर मार्ग से वंचित हैं. जिसकी वजह से इस क्षेत्र में रह रहे लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

खासकर गर्भवती महिलाओं व बुजुर्गों को सही समय पर कोई मेडिकल सुविधा उपलब्ध नही हो पा रही है. जबकि वे इस क्षेत्र में 1890 से रहे हैं. विभाग का कानून खुद कहता है कि जो लोग 1980 से पहले रिर्जव फॉरेस्ट में रह रहे हैं, उनको प्रकृति के द्वारा दी गयी सुविधा पर कोई असुविधा नहीं देगा. 2008 में पक्षी अभ्यारण्य बनने के बाद विभाग हमेशा कई तरह के प्रतिबंध लगाता आया है. रिपोर्ट के मुताबिक वन विभाग के कई रेस्ट हाउस, पक्की रोड व गाड़ियां खड़ी हुई हैं. या तो हमारा रास्ता खोलें या फिर सभी रास्ते बंद करें.
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Last Updated : May 8, 2024, 2:51 PM IST
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