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नैनीताल हाईकोर्ट ने बीडी पांडे अस्पताल में सुविधाओं के प्लान पर मांगा जवाब, पर्यावरण संरक्षण वाली याचिका पर सरकार देगी उत्तर - nainital high court news

Hearing on the facilities of BD Pandey Hospital in Nainital High Court नैनीताल हाईकोर्ट ने दो महत्वपूर्ण जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की. पहली याचिका नैनीताल के बीडी पांडे पुरुष चिकित्सालय में सुविधाओं की कमी को लेकर थी. इस पर हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से सरकार द्वारा भेजे गए सुविधाओं के प्लान पर जवाब मांगा है. दूसरी जनहित याचिका देहरादून जिले में पर्यावरण संरक्षण को लेकर थी. इस पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से प्रगति रिपोर्ट मांगी है.

Nainital High Court
नैनीताल हाईकोर्ट सुनवाई (Photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 26, 2024, 12:52 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल शहर के एकमात्र जिला पुरुष चिकित्सालय बीडी पांडे में कई स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव होने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता से कहा है कि राज्य सरकार ने अस्पताल में सुविधाओं को लेकर जो प्लान भेजा है, उस पर दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब दें.

बीडी पांडे अस्पताल की सुविधाओं पर सुनवाई: पूर्व में कोर्ट ने माना था कि अब भी नैनीताल शहर में चिकित्सा सुविधाओं का अभाव है. इसको सुधारने के लिए कोर्ट ने नगर के जागरूक नागरिकों, एनजीओ और अधिवक्ताओं से अपनी राय जुलाई माह तक पेश करने को कहा था, ताकि यहां पर एम्स जैसी बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करायी जा सकें. लेकिन अभी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर सुझाव नहीं आया.

मामले के अनुसार अशोक शाह ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उन्हें छोटी से छोटी शिकायतों के लिए उच्च न्यायलय की शरण लेनी पड़ी रही है. जिले का मुख्य हॉस्पिटल होने के कारण अभी भी हॉस्पिटल के कर्मचारियों के द्वारा छोटी सी जांच करने के लिए भी सीधे हल्द्वानी भेज दिया जाता है. इस हॉस्पिटल में जिले से इलाज कराने हेतु दूर दराज से मरीज आते हैं, परंतु उनकी जांच करके हायर सेंटर रेफर किया जा रहा है. याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय की खंडपीठ से प्रार्थना की है कि इस हॉस्पिटल में सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं. ताकि नगर के दूरदराज से आने वाले लोगों को सही समय पर इलाज मिल सके.

पर्यावरण संरक्षण की याचिकाओं पर सुनवाई: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने देहरादून में जल धाराओं, जल स्रोतों, पर्यावरण संरक्षण सहित नदियों पर मंडरा रहे खतरे और पर्यावरण संरक्षण को लेकर दायर अलग अलग जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की. सभी मामलों की एक साथ सुनवाई करते मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूर्व में दिए गए आदेशों की प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है. मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 4 सप्ताह बाद की तिथि नियत की है.

मामले के अनुसार देहरादून निवासी अजय नारायण शर्मा, रेनू पाल व उर्मिला थापर ने उच्च न्यायालय में अलग अलग जनहित याचिका दायर कर कहा है कि देहरादून में सहस्त्रधारा में जलमग्न भूमि में भारी निर्माण कार्य किए जा रहे हैं. इससे जल स्रोतों के सूखने के साथ ही पर्यावरण को खतरा पैदा हो रहा है. दूसरी याचिका में कहा गया है कि ऋषिकेश में नालों, खालों और ढांग पर बेइंतहा अतिक्रमण और अवैध निर्माण किया गया. याचिका में यह भी कहा गया है कि देहरादून में 100 एकड़, विकासनगर में 140 एकड़, ऋषिकेश में 15 एकड़, डोईवाला में 15 एकड़ करीब नदियों की भूमि पर अतिक्रमण किया है.
ये भी पढ़ें: सिंचाई शोध संस्थान रुड़की के आवासीय भवनों को आवांटित करने का मामला, नियमों को कोर्ट में पेश करेगी सरकार

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल शहर के एकमात्र जिला पुरुष चिकित्सालय बीडी पांडे में कई स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव होने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता से कहा है कि राज्य सरकार ने अस्पताल में सुविधाओं को लेकर जो प्लान भेजा है, उस पर दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब दें.

बीडी पांडे अस्पताल की सुविधाओं पर सुनवाई: पूर्व में कोर्ट ने माना था कि अब भी नैनीताल शहर में चिकित्सा सुविधाओं का अभाव है. इसको सुधारने के लिए कोर्ट ने नगर के जागरूक नागरिकों, एनजीओ और अधिवक्ताओं से अपनी राय जुलाई माह तक पेश करने को कहा था, ताकि यहां पर एम्स जैसी बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करायी जा सकें. लेकिन अभी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर सुझाव नहीं आया.

मामले के अनुसार अशोक शाह ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उन्हें छोटी से छोटी शिकायतों के लिए उच्च न्यायलय की शरण लेनी पड़ी रही है. जिले का मुख्य हॉस्पिटल होने के कारण अभी भी हॉस्पिटल के कर्मचारियों के द्वारा छोटी सी जांच करने के लिए भी सीधे हल्द्वानी भेज दिया जाता है. इस हॉस्पिटल में जिले से इलाज कराने हेतु दूर दराज से मरीज आते हैं, परंतु उनकी जांच करके हायर सेंटर रेफर किया जा रहा है. याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय की खंडपीठ से प्रार्थना की है कि इस हॉस्पिटल में सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं. ताकि नगर के दूरदराज से आने वाले लोगों को सही समय पर इलाज मिल सके.

पर्यावरण संरक्षण की याचिकाओं पर सुनवाई: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने देहरादून में जल धाराओं, जल स्रोतों, पर्यावरण संरक्षण सहित नदियों पर मंडरा रहे खतरे और पर्यावरण संरक्षण को लेकर दायर अलग अलग जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की. सभी मामलों की एक साथ सुनवाई करते मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूर्व में दिए गए आदेशों की प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है. मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 4 सप्ताह बाद की तिथि नियत की है.

मामले के अनुसार देहरादून निवासी अजय नारायण शर्मा, रेनू पाल व उर्मिला थापर ने उच्च न्यायालय में अलग अलग जनहित याचिका दायर कर कहा है कि देहरादून में सहस्त्रधारा में जलमग्न भूमि में भारी निर्माण कार्य किए जा रहे हैं. इससे जल स्रोतों के सूखने के साथ ही पर्यावरण को खतरा पैदा हो रहा है. दूसरी याचिका में कहा गया है कि ऋषिकेश में नालों, खालों और ढांग पर बेइंतहा अतिक्रमण और अवैध निर्माण किया गया. याचिका में यह भी कहा गया है कि देहरादून में 100 एकड़, विकासनगर में 140 एकड़, ऋषिकेश में 15 एकड़, डोईवाला में 15 एकड़ करीब नदियों की भूमि पर अतिक्रमण किया है.
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