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कांग्रेस के 81 विधायकों के इस्तीफा मामले मे हाईकोर्ट में सुनवाई, विधायकों के इस्तीफों को लेकर तत्कालीन स्पीकर ने नहीं की कोई जांच-विधानसभा अध्यक्ष

कांग्रेस के 81 विधायकों के इस्तीफा देने से जुड़े मामले में विधानसभा स्पीकर की ओर से भाजपा नेता राजेंद्र सिंह राठौड़ की संशोधित याचिका में अपना जवाब पेश किया गया है. याचिकाकर्ता ने संशोधित याचिका पेश कर इन विधायकों को इस्तीफा देने के बाद दिए गए वेतन भत्ते की वसूली करने की गुहार की है.

हाईकोर्ट में सुनवाई
हाईकोर्ट में सुनवाई
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 16, 2024, 4:43 PM IST

कांग्रेस के 81 विधायकों के इस्तीफा मामले में सुनवाई

जयपुर. कांग्रेस के 81 विधायकों के इस्तीफा देने से जुड़े मामले में विधानसभा स्पीकर की ओर से भाजपा नेता राजेंद्र सिंह राठौड़ की संशोधित याचिका में अपना जवाब पेश किया गया है. स्पीकर ने अपने जवाब में कहा कि छह विधायकों ने अपने और 75 अन्य विधायकों के इस्तीफे 25 सितंबर 2022 को स्पीकर को सौंप थे. वहीं, बाद में इन इस्तीफों को स्वैच्छिक नहीं बताकर वापस लेने की बात कही थी. ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है, जिससे साबित हो कि तत्कालीन स्पीकर ने इन विधायकों के इस्तीफों के संबंध में कोई जांच की हो.

छह विधायकों संयम लोढ़ा, शांति धारीवाल, महेंद्र चौधरी, रामलाल जाट, रफीक खान और महेश जोशी ने अपने और अन्य विधायकों के इस्तीफे स्पीकर को दिए थे. इसके बाद इन्होंने अपने इस्तीफे स्वैच्छिक देना नहीं बताया. यदि इन विधायकों को अपनी इच्छा के खिलाफ त्यागपत्र देने के लिए मजबूर किया गया था तो इनके पास स्पीकर को यह जानकारी देने का पर्याप्त अवसर था. वहीं एक साथ इतने त्यागपत्र पेश होने के बाद स्पीकर को चाहिए था कि वह इनकी जांच करते, लेकिन उनकी ओर से भी कोई जांच नहीं की गई.

पढ़ें: भाजपा में जाने की चर्चा के बीच मालवीय कांग्रेस पर भड़के, बोले- देश और जनता के लिए पहले जो विजन था, वो आज नहीं

विधायकों का इस्तीफा,हाईकोर्ट में सुनवाई: ऐसा कोई रिकॉर्ड है, जिससे यह साबित हो कि विधानसभा कार्यालय की ओर से इन 75 विधायकों को त्यागपत्र देने के संबंध में सत्यापन के लिए नोटिस जारी किया कर बुलाया हो. इन विधायकों ने 30 दिसंबर 2022 से लेकर 10 जनवरी 2023 तक अपने इस्तीफे वापस लिए, लेकिन सभी की भाषा एक समान थी और सभी ने इस्तीफा को स्वैच्छिक नहीं बताया था, लेकिन किसी भी विधायक ने अपनी इच्छा के विरुद्ध हस्ताक्षर करने को मजबूर करने को लेकर कोई शिकायत नहीं की. वहीं, 90 दिन बाद अचानक इन्होंने अपने त्यागपत्र वापस ले लिए. विधायकों की इच्छा के विरुद्ध इस्तीफा देने के लिए मजबूर करना लोकतंत्र के खिलाफ व संवैधानिक जनादेश के भी विपरीत था, लेकिन स्पीकर ने इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया.

गौरतलब है की विधायकों के इस्तीफे लंबित रहने के दौरान राजेंद्र सिंह राठौड़ ने याचिका दायर कर गुहार की थी कि विधानसभा स्पीकर को इन इस्तीफों पर निर्णय करने के संबंध में कहा जाए. इसी बीच स्पीकर ने इस्तीफा स्वैच्छिक नहीं होने के आधार पर इन्हें अस्वीकार कर दिया था. इसके बाद याचिकाकर्ता ने संशोधित याचिका पेश कर इन विधायकों को इस्तीफा देने के बाद दिए गए वेतन भत्ते की वसूली करने की गुहार की है.

कांग्रेस के 81 विधायकों के इस्तीफा मामले में सुनवाई

जयपुर. कांग्रेस के 81 विधायकों के इस्तीफा देने से जुड़े मामले में विधानसभा स्पीकर की ओर से भाजपा नेता राजेंद्र सिंह राठौड़ की संशोधित याचिका में अपना जवाब पेश किया गया है. स्पीकर ने अपने जवाब में कहा कि छह विधायकों ने अपने और 75 अन्य विधायकों के इस्तीफे 25 सितंबर 2022 को स्पीकर को सौंप थे. वहीं, बाद में इन इस्तीफों को स्वैच्छिक नहीं बताकर वापस लेने की बात कही थी. ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है, जिससे साबित हो कि तत्कालीन स्पीकर ने इन विधायकों के इस्तीफों के संबंध में कोई जांच की हो.

छह विधायकों संयम लोढ़ा, शांति धारीवाल, महेंद्र चौधरी, रामलाल जाट, रफीक खान और महेश जोशी ने अपने और अन्य विधायकों के इस्तीफे स्पीकर को दिए थे. इसके बाद इन्होंने अपने इस्तीफे स्वैच्छिक देना नहीं बताया. यदि इन विधायकों को अपनी इच्छा के खिलाफ त्यागपत्र देने के लिए मजबूर किया गया था तो इनके पास स्पीकर को यह जानकारी देने का पर्याप्त अवसर था. वहीं एक साथ इतने त्यागपत्र पेश होने के बाद स्पीकर को चाहिए था कि वह इनकी जांच करते, लेकिन उनकी ओर से भी कोई जांच नहीं की गई.

पढ़ें: भाजपा में जाने की चर्चा के बीच मालवीय कांग्रेस पर भड़के, बोले- देश और जनता के लिए पहले जो विजन था, वो आज नहीं

विधायकों का इस्तीफा,हाईकोर्ट में सुनवाई: ऐसा कोई रिकॉर्ड है, जिससे यह साबित हो कि विधानसभा कार्यालय की ओर से इन 75 विधायकों को त्यागपत्र देने के संबंध में सत्यापन के लिए नोटिस जारी किया कर बुलाया हो. इन विधायकों ने 30 दिसंबर 2022 से लेकर 10 जनवरी 2023 तक अपने इस्तीफे वापस लिए, लेकिन सभी की भाषा एक समान थी और सभी ने इस्तीफा को स्वैच्छिक नहीं बताया था, लेकिन किसी भी विधायक ने अपनी इच्छा के विरुद्ध हस्ताक्षर करने को मजबूर करने को लेकर कोई शिकायत नहीं की. वहीं, 90 दिन बाद अचानक इन्होंने अपने त्यागपत्र वापस ले लिए. विधायकों की इच्छा के विरुद्ध इस्तीफा देने के लिए मजबूर करना लोकतंत्र के खिलाफ व संवैधानिक जनादेश के भी विपरीत था, लेकिन स्पीकर ने इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया.

गौरतलब है की विधायकों के इस्तीफे लंबित रहने के दौरान राजेंद्र सिंह राठौड़ ने याचिका दायर कर गुहार की थी कि विधानसभा स्पीकर को इन इस्तीफों पर निर्णय करने के संबंध में कहा जाए. इसी बीच स्पीकर ने इस्तीफा स्वैच्छिक नहीं होने के आधार पर इन्हें अस्वीकार कर दिया था. इसके बाद याचिकाकर्ता ने संशोधित याचिका पेश कर इन विधायकों को इस्तीफा देने के बाद दिए गए वेतन भत्ते की वसूली करने की गुहार की है.

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