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सिंचाई शोध संस्थान रुड़की के 100 से अधिक आवासीय भवनों के नियम विरुद्ध आवंटन वाली याचिका पर सुनवाई, सरकार से मांगा जवाब - illegal allotment of buildings

Hearing on residential buildings of Irrigation Research Institute Roorkee एक जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि उत्तराखंड में कई ऐसे लोगों को सरकारी भवन एलॉट हैं जो इसके लिए पात्र नहीं हैं. जनहित याचिका में ये भी आरोप है कि इन लोगों को बाजार मूल्य से न्यूनतम दर पर आवास किराए पर दिए गए हैं. सिंचाई शोध संस्थान रुड़की के 100 से अधिक आवासायी भवनों के इस मामले पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से 18 जून तक जवाब मांगा है.

HEARING IN NAINITAL HIGH COURT
नैनीताल हाईकोर्ट समाचार (Photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 13, 2024, 7:22 AM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सिंचाई शोध संस्थान रुड़की के 100 से अधिक आवासीय भवनों को गैर निवर्तमान घर से सम्पन्न व्यक्तियों, पूर्व विधायकों, मेयरों व कई राष्ट्रीय पार्टियों के मंडल प्रभारी व्यक्तियों को किराए पर बाजार मूल्य से न्यूनतम दर पर दिए जाने के मामले पर सुनवाई की.

मामले की सुनवाई करने बाद कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य सरकार से 18 जून तक इस पर स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए. कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी बताने को कहा है कि यह आवंटन किस नीति के तहत हुए हैं और यदि यह नीतिगत निर्णय के विरुद्ध है तो मकानों का नियम विरुद्ध आवंटन करने वाले जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ राज्य सरकार तत्काल अनुशासनात्मक कार्रवाई कर 18 जून तक अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें.

मामले के अनुसार विधि के छात्र रितिक निषाद ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा कि सचिव सिंचाई, अधिशासी अधिकारी सिंचाई शोध संस्थान रुड़की और सचिव हाउसिंग अलॉटमेंट कमेटी, सिंचाई शोध संस्थान रुड़की ने 2004 से 2021-22 तक गैर सरकारी व्यक्तियों, जनप्रतिनिधियों, पुलिस अधिकारियों, कर्मचारियों, प्रशासनिक अधिकारियों, अधिवक्ताओं, एलआईसी कर्मियों, राजस्व, वन, व्यापार कर विभाग के कर्मचारियों आदि को मकानों के आवंटन किया गया. इसमें हरिद्वार जिले के कई विधायकों जिनमें मदन कौशिक, प्रणव सिंह चैम्पियन, कुंवर दिव्य प्रताप सिंह चैम्पियन, प्रदीप बत्रा, फुरकान अहमद, सरबत करीम अंसारी, अमरीश कुमार, फिरदौश, ब्रह्म दत्त त्यागी, पुलिस अधिकारी मंजूनाथ, संयुक्त सचिव ऊर्जा दिल्ली विनोद कुमार मित्तल, पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष हरिद्वार मीनाक्षी, अधिवक्ता अरविंद गौतम, श्यामबीर,आशीष सैनी सरीखे नाम प्रमुख हैं. इनमें से कई लोगों ने आवास किराया भी जमा नहीं किया है.

जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति रितू बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार के अधिवक्ता से शपथ पत्र पेश कर यह बताने को कहा है कि इन लोगों को किस नीति के तहत मकान आवंटन किये हैं. इस मामले की अगली सुनवाई 18 जून को होगी.
ये भी पढ़ें: आलीशान बंगलों को छोड़ने से कतराते हैं ये 'माननीय', विपक्षियों पर भी मेहरबान सरकार

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सिंचाई शोध संस्थान रुड़की के 100 से अधिक आवासीय भवनों को गैर निवर्तमान घर से सम्पन्न व्यक्तियों, पूर्व विधायकों, मेयरों व कई राष्ट्रीय पार्टियों के मंडल प्रभारी व्यक्तियों को किराए पर बाजार मूल्य से न्यूनतम दर पर दिए जाने के मामले पर सुनवाई की.

मामले की सुनवाई करने बाद कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य सरकार से 18 जून तक इस पर स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए. कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी बताने को कहा है कि यह आवंटन किस नीति के तहत हुए हैं और यदि यह नीतिगत निर्णय के विरुद्ध है तो मकानों का नियम विरुद्ध आवंटन करने वाले जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ राज्य सरकार तत्काल अनुशासनात्मक कार्रवाई कर 18 जून तक अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें.

मामले के अनुसार विधि के छात्र रितिक निषाद ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा कि सचिव सिंचाई, अधिशासी अधिकारी सिंचाई शोध संस्थान रुड़की और सचिव हाउसिंग अलॉटमेंट कमेटी, सिंचाई शोध संस्थान रुड़की ने 2004 से 2021-22 तक गैर सरकारी व्यक्तियों, जनप्रतिनिधियों, पुलिस अधिकारियों, कर्मचारियों, प्रशासनिक अधिकारियों, अधिवक्ताओं, एलआईसी कर्मियों, राजस्व, वन, व्यापार कर विभाग के कर्मचारियों आदि को मकानों के आवंटन किया गया. इसमें हरिद्वार जिले के कई विधायकों जिनमें मदन कौशिक, प्रणव सिंह चैम्पियन, कुंवर दिव्य प्रताप सिंह चैम्पियन, प्रदीप बत्रा, फुरकान अहमद, सरबत करीम अंसारी, अमरीश कुमार, फिरदौश, ब्रह्म दत्त त्यागी, पुलिस अधिकारी मंजूनाथ, संयुक्त सचिव ऊर्जा दिल्ली विनोद कुमार मित्तल, पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष हरिद्वार मीनाक्षी, अधिवक्ता अरविंद गौतम, श्यामबीर,आशीष सैनी सरीखे नाम प्रमुख हैं. इनमें से कई लोगों ने आवास किराया भी जमा नहीं किया है.

जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति रितू बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार के अधिवक्ता से शपथ पत्र पेश कर यह बताने को कहा है कि इन लोगों को किस नीति के तहत मकान आवंटन किये हैं. इस मामले की अगली सुनवाई 18 जून को होगी.
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