नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल के तत्कालीन जिलाधिकारी रहे सविन बंसल द्वारा दैवीय आपदा के बचाव कार्य में लापरवाही बरतने, रिहायशी और ग्रामीण क्षेत्रों में एनजीटी और उच्च न्यायालय के आदेशों के विरुद्ध जाकर खनन भंडारण की अनुमति दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने राज्य सरकार सहित कुमाऊं कमिश्नर, सचिव कार्मिक और पूर्व जिलाधिकारी सविन बंसल को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 10 जुलाई की तिथि निर्धारित की गई है.
मामले के अनुसार हल्द्वानी चोरगलिया निवासी भुवन पोखरिया ने खुद अपने केस की पैरवी करते हुए याचिका में कहा है कि नैनीताल के तत्कालीन जिलाधिकारी ने अपने कार्यकाल में दैवीय आपदा से बचाव की दशा में घोर लापरवाही की थी. यहीं नहीं उनके द्वारा रिहायशी व ग्रामीण क्षेत्रों में एनजीटी व उच्च न्यायालय के आदेशों के विरुद्ध जाकर खनन भंडारण की अनुमति दी गई.
याचिका में कहा गया कि जिलाधकारी द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान बाढ़ प्रभावित क्षेत्र चोरलगिया का दौरा किया था और पीड़ितों को बाढ़ से बचाने का आश्वासन दिया, लेकिन जिला अधिकारी ने ना तो बाढ़ सुरक्षा के लिए कोई कार्य किया और ना ही बजट स्वीकृत किया. जबकि दैवीय आपदा से निपटने के लिए बजट पड़ा हुआ था. साल 2020 में ये सारे साक्ष्य जमा करके एक शपथ पत्र द्वारा उनके द्वारा सचिव कार्मिक से शिकायत की गई.
शासन ने उनकी शिकायत का संज्ञान लेते हुए इसकी जांच कुमाऊं कमिश्वन को सौंपी थी और रिपोर्ट पेश करने को कहा, लेकिन चार साल बीत जाने के बाद भी जांच पूरी नहीं हुई. जांच को लेकर उनके द्वारा आरटीआई मांगी गई, लेकिन उन्हें आरटीआई का जवाब नहीं दिया गया. याचिकाकर्ता का कहना है कि अगर उन्हें शासन ने क्लीन चिट दे दी है, तो उसकी प्रति उन्हें भी दी जाए, लेकिन नहीं दी गई. कमिश्नर की जांच में क्या हुआ इसकी रिपोर्ट दी जाए. याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में चीफ सेक्रेटरी, सेक्रेटरी कार्मिक, कुमाऊं कमिश्नर और तत्कालीन जिलाधिकारी सविन बंसल को पक्षकार बनाया है.
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