अजमेर. अनियमित खानपान और जीवनशैली के चलते प्रोसेस्ड फूड का चलन बढ़ा है और रॉ फूड का इस्तेमाल कम हो रहा है. जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है. हम बात कर रहे हैं दांतो की. दांतो के सबसे पीछे के हिस्से में आने वाली अक्ल दाढ़ कई लोगों के लिए असहनीय दर्द और परेशानी का कारण बन जाती है. जानते है अजमेर संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल में दंत रोग विभाग के विभाग अध्यक्ष एवं दांत रोग विशेषज्ञ डॉ बलराम चौधरी से अक्ल दाढ़ से होने वाली तकलीफ और दर्द से निजात पाने के लिए हेल्थ टिप्स.
डॉ बलराम चौधरी बताते हैं कि अक्ल दाढ़ दांतों के पिछले हिस्से में होती है. ऊपर दो और नीचे दो अक्ल दाढ़ होती है. मतलब कुल चार अक्ल दाढ़ और 28 दांत होते हैं. डॉ चौधरी बताते हैं कि 18 से 25 वर्ष की आयु वर्ग के युवाओं में अक्ल दाढ़ आती है. कई बार यह दाढ़ पूरी बाहर नहीं निकाल पाती है, तो कई लोगों के यह टेढ़ी-मेढ़ी निकलती है. इस कारण दाढ़ में खाना फंसता है. साथ ही टेढ़ी-मेढ़ी अक्ल दाढ़ की वजह से गाल का भीतरी हिस्सा जख्मी हो जाता है. मसूड़े फूलने की समस्या भी होती है. बार-बार गाल के भीतर हिस्से से रगड़ लगने पर वहां छाला भी हो जाता है. इतना ही नहीं अक्ल दाढ़ के कारण उसके समीप का दांत भी कमजोर हो जाता है और उसमें छेद बन जाता है. जिसको आम भाषा में लोग कीड़ा लगना भी कहते हैं.
पढ़ें: Teething Problems In Children : टीथिंग की प्रक्रिया में राहत दिला सकते हैं ये उपाय और सावधानियां
अक्ल दाढ़ के लक्षण: डॉ चौधरी बताते हैं कि अक्ल दाढ़ में दर्द गले तक होता है. खाना निकालने में समस्या होती है. मुंह कम खुलता है. मसूड़े में सूजन और मवाद जमा होती है. समीप के दांत कमजोर और उनमें छिद्र हो जाते हैं. कई बार रोगी को बुखार भी आता है. वहीं असहनीय दर्द भी होता है.
अक्ल दाढ़ है वेस्ट ऑर्गन: डॉ चौधरी बताते हैं कि अक्ल का दाढ़ का कोई उपयोग नहीं है. इसका खाना चबाने में भी कोई सहयोग नहीं है. उल्टा खाना इसमें फंस जाता है. उन्होंने बताया कि अक्ल दाढ़ परेशानी का सबब बन जाती है. उसके बावजूद लोग डर के कारण इलाज के लिए चिकित्सक के पास नहीं जाते हैं और तकलीफ और दर्द को सहते रहते हैं. जबकि अक्ल दाढ़ परेशान करती है, तो दंत रोग चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए.
पढ़ें: Dental Problems In Children : भारतीय वैज्ञानिकों बताया इन कारणों से बच्चों में दांत नहीं बन पाते
माइनर सर्जरी है अक्ल दाढ़ से निजात पाने का उपाय: डॉ बलराम चौधरी बताते हैं कि अक्ल दाढ़ के कारण बड़ी समस्या भी हो सकती है. लगातार दाढ़ की रगड़ से गाल में लगातार जख्म रहने से मुश्किल बढ़ सकती है. उन्होंने बताया कि लंबे समय तक असहनीय दर्द और तकलीफ अपने से अच्छा है कि अक्ल दाढ़ को निकलवा लिया जाए. इसके लिए माइनर सर्जरी की जाती है. सर्जरी से पहले उसे स्थान को सुन्न कर देते हैं और उसके बाद दाढ़ को निकाल लिया जाता है. सर्जरी के दौरान रोगी को बिल्कुल भी दर्द नहीं होता है. 5 से 7 दिन में रोगी ठीक हो जाता है.
पढ़ें: दांत पीले...इसलिए युवाओं की नहीं हो रही शादी, फ्लोराइड का दंश झेल रहे हजारों ग्रामीण
गुटका, तंबाकू खाने वालों के लिए घातक: डॉ चौधरी बताते हैं कि गुटका, तंबाकू खाने वालों के लिए अक्ल दाढ़ घातक है. दाढ़ की वजह से गाल का कटना और ऐसा बार—बार होने पर वहां कैंसर होने की संभावना रहती है. लिहाजा गुटका, तंबाकू खाने वालों को विशेष रूप से अक्ल दाढ़ को निकलवा लेनी चाहिए.